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सफ़ाई कर्मियों का होना चाहिए नियमित स्वास्थ्य चैकअप, अवहेलना करने पर 2 साल तक की जेल का प्रावधान : डीसी, कैथल

Ravi Press
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सफाई कर्मियों का होना चाहिए नियमित स्वास्थ्य चैकअप–नियमानुसार सीवर व सेप्टिक टैंक की मैन्युवल सफाई निषेध-अवहेलना करने पर 2 साल तक की जेल का प्रावधान–:- डीसी डॉ. संगीता तेतरवाल

डीसी डॉ. संगीता तेतरवाल ने ली मैनुअल स्कैवेंजिंग व अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति (अत्याचार निवारण एवं अधिनियम एक्ट 1989) की जिला स्तरीय सतर्कता निगरानी कमेटी की बैठक

कैथल, 26 अगस्त ( ) उपायुक्त डॉ. संगीता तेतरवाल ने कह कि सेप्टिक टैंक की मैन्युवल सफाई अधिनियमानुसार निषेध है। अगर कोई ऐसा करवाता है तो एक्ट में दो साल तक की जेल का प्रावधान है। सफाई कर्मियों की नियमित तौर पर स्वास्थ्य जांच होनी चाहिए। किसी भी व्यक्ति के मानव मल को उसके निपटान तक मैन्युवल रूप से साफ करने, ले जाने, निपटाने या अन्यथा किसी भी तरीके से संभालने के लिए उपयोग पर प्रतिबंधित है।

डीसी डॉ. संगीता तेतरवाल लघु सचिवालय में मैनुअल स्कैवेंजिंग व अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति (अत्याचार निवारण एवं अधिनियम एक्ट 1989) की जिला स्तरीय सतर्कता निगरानी कमेटी की बैठक लेकर आवश्यक दिशा निर्देश दे रही थी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 में सेप्टिक टैंक, खाई या रेलवे ट्रैक को साफ करने के लिए नियोजित लोगों को शामिल करने के लिए मैन्युवल मैला ढोने वालों की परिभाषा को भी विस्तृत किया गया था। यह अधिनियम हाथ से मैला उठाने की प्रथा को अमानवीय प्रथा के रूप में मान्यता देता है और हाथ से मैला ढोने वालों द्वारा झेले गए ऐतिहासिक अन्याय और अपमान को ठीक करने की आवश्यकता का हवाला देता है।

उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश अनुसार यदि किसी कर्मचारी की सीवर सफाई के दौरान मृत्यु हो जाती है तो उसके आश्रितों को 10 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी जाएगी। किसी कर्मचारी की मृत्यु वर्ष 1993 के बाद सीवर सफाई के दौरान हुई है और इस तथ्य को छिपाया गया तो इसे भी न्यायालय की अवहेलना माना जाएगा। नियमित अंतराल के बाद सफाई कर्मचारियों के स्वास्थ्य की जांच सुनिश्चित की जाए और समय-समय पर शिविर आयोजित करके उन्हें प्रशिक्षण भी किया जाए। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही सफाई के कार्य में लगे हुए कर्मचारियों के लिए जरूरी सुरक्षा औजार उपलब्ध करवाने की व्यवस्था भी सुनिश्चित करें।

इस मौके पर सीईओ जिप सुरेश राविश, डीएसपी विवेक चौधरी, वैल्फेयर डिपार्टमेंट चण्डीगढ से नोडल अधिकारी अमिता गोयल, बीडीपीओ रोजी, जिला न्यायवादी इंद्रदीप, जिला कल्याण अधिकारी विनोद चावला, कार्यकारी सिविल सर्जन रेनु चावला, एडवोकेट शक्ति सौदा, लाभ सिंह, ओपी मढ़ाढ, जिले सिंह, भवानी दास, अशोक कुमार आदि मौजूद रहे।

बॉक्स :- डीसी डॉ. संगीता तेतरवाल ने अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति केसों के दृष्टिगत जिला स्तरीय अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति (अत्याचार निवारण एवं अधिनियम एक्ट 1989) की जिला स्तरीय सतर्कता निगरानी कमेटी की समीक्षा बैठक ली। उन्होंने निर्देश दिए कि इस संदर्भ में जो भी केस हैं, उनका निपटान तेजी से करें ताकि पीडि़त व्यक्तियों को जल्द न्याय मिल सके। पीडि़त व्यक्तियों को जो भी आर्थिक सहायता दी जानी हैं, उन्हें विलंब दें। बैठक के दौरान उन्होंने संबन्धित विषयों के तहत एजेंडे में रखे केसों की विस्तृत जानकारी हासिल की। उन्होने कहा कि एससी, एसटी केसों में जिनकी गवाही होनी होती है, उन केसों में सम्मन की कार्रवाई समय रहते सुनिश्चित होनी चाहिए ताकि इन केसों के निपटान में तीव्रता लाई जा सके। उन्होंने जिला न्यायवादी से इन केसों से संबन्ध में कोर्ट संबन्धी जो प्रक्रिया चल रही है, उसकी भी जानकारी हासिल की।