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हमारे देश में जो अच्छा काम करता है उसे परेशान किया जाता है : मनीष सिसोदिया के संबंध में सीबीआई ने एफ़आईआर में क्या लिखा है, जानिये!

”अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के संबंध अब एक अच्छे बॉस और एक अच्छे मातहत के तौर पर तब्दील हो गए हैं. सिसोदिया ने सबसे पहले यह समझ लिया था कि पार्टी में काम करने का सबसे सही तरीका क्या है?

ये किसी ऐसे व्यक्ति का समर्पण नहीं है, जिसकी कोई बहुत बड़ी राजनीतिक महत्वाकांक्षा है. ये अपने नेता के प्रति एक अनुयायी का समर्पण है.”

मनीष सिसोदिया के बारे में ये राय दिल्ली के तिमारपुर विधानसभा से आम आदमी पार्टी के विधायक रहे पंकज पुष्कर की है.

मनीष सिसोदिया के ख़िलाफ सीबीआई छापे और केजरीवाल का बचाव

सीबीआई ने शुक्रवार को जब दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर पर छापे मारे तो केजरीवाल ने उनका जम कर बचाव किया.

सीएम अरविंद केजरीवाल ने अपने ट्वीट में कहा कि ‘दिल्ली के शिक्षा और स्वास्थ्य मॉडल की पूरी दुनिया चर्चा कर रही है. इसे ये रोकना चाहते हैं. इसीलिए दिल्ली के स्वास्थ्य और शिक्षा मंत्रियों पर रेड और गिरफ़्तारी की कार्रवाई हो रही है.’

केजरीवाल ने न्यूयॉर्क टाइम्स के पहले पन्ने को शेयर किया जिसमें दिल्ली सरकार के स्कूलों में सुधार का श्रेय सिसोदिया को दिया गया है.

22 जुलाई 2022 को दिल्ली के उप-राज्यपाल विनय सक्सेना ने दिल्ली सरकार की 2021 की एक्साइज़ पॉलिसी की सीबीआई जांच कराने के आदेश दिए थे.

सीबीआई के सूत्रों के मुताबिक़, इस पॉलिसी के तहत कोरोना महामारी की वजह से शराब बिज़नेस को हुए घाटे का हवाला देकर लाइसेंस फ़ीस ख़त्म कर दी गई थी.

इससे दिल्ली सरकार को 140 करोड़ रुपये का घाटा हुआ. ये भी कहा गया कि लाइसेंस देने के लिए रिश्वत ली गई और आम आदमी पार्टी ने इस पैसे का इस्तेमाल पंजाब में चुनाव लड़ने के लिए किया.

सीबीआई जांच के बीच सिसोदिया ने 1 अगस्त 2022 से 2021 की पॉलिसी बदलने का एलान कर दिया और कहा कि अब शराब सिर्फ़ सरकारी दुकानों में ही बिकेगी. 2021 में शराब की सभी दुकानें निजी हाथों में सौंप दी गई थीं.

2021 में नई शराब नीति लाने के वक्त केजरीवाल सरकार ने कहा था कि इससे उसका रेवेन्यू 3500 करोड़ रुपये तक बढ़ेगा. लेकिन चीफ़ सेक्रेट्री की रिपोर्ट में कहा गया कि ऐसा नहीं हुआ. दिल्ली सरकार को रेवेन्यू का घाटा हुआ है.

Arvind Kejriwal
@ArvindKejriwal

जिस दिन अमेरिका के सबसे बड़े अख़बार NYT के फ़्रंट पेज पर दिल्ली शिक्षा मॉडल की तारीफ़ और मनीष सिसोदिया की तस्वीर छपी, उसी दिन मनीष के घर केंद्र ने CBI भेजी

CBI का स्वागत है। पूरा cooperate करेंगे। पहले भी कई जाँच/रेड हुईं। कुछ नहीं निकला। अब भी कुछ नहीं निकलेगा

Manish Sisodia
@msisodia
सीबीआई आई है. उनका स्वागत है. हम कट्टर ईमानदार हैं . लाखों बच्चों का भविष्य बना रहे हैं.

बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे देश में जो अच्छा काम करता है उसे इसी तरह परेशान किया जाता है. इसीलिए हमारा देश अभी तक नम्बर-1 नहीं बन पाया.

Arvind Kejriwal
@ArvindKejriwal
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Delhi has made India proud. Delhi model is on the front page of the biggest newspaper of US. Manish Sisodia is the best education minister of independent India.

एफआईआर में सिसोदिया समेत 15 के ख़िलाफ़ आरोप

इस रिपोर्ट के आधार पर उप राज्यपाल ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था. इसके बाद ही ये कयास लगाए जा रहे थे कि सत्येंद्र जैन के ख़िलाफ़ ईडी की कार्रवाई के बाद अब सीबीआई सिसोदिया के घर का दरवाज़ा खटखटाएगी. शुक्रवार को सीबीआई ने मनीष सिसोदिया के घर पर छापे मारे.

शुक्रवार को दिन भर सिसोदिया के घर में छापे की कार्रवाई के बाद सीबीआई ने शाम तक उनके ख़िलाफ़ एफ़आईआर कर दी. इसमें उनका नाम शराब नीति में भ्रष्टाचार से जोड़ा गया है.

एफ़आईआर में सिसोदिया समेत 15 अभियुक्तों के नाम दर्ज हैं. इनमें तत्कालीन एक्साइज़ कमिश्नर समेत तीन अफ़सर भी शामिल हैं. इन लोगों के ख़िलाफ़ आपराधिक साज़िश रचने और धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए हैं.

पार्टी में नंबर दो की हैसियत बरकरार

केजरीवाल और सिसोदिया की दोस्ती काफ़ी पुरानी है. इस बीच, पार्टी में हर क्षेत्र से कई लोग आए और आम आदमी पार्टी की नीतियों से मतभेद की वजह से अलग भी हो गए.

जाने-माने वकील प्रशांत भूषण, पत्रकार आशुतोष और समाजवादी पृष्ठभूमि के राजनीतिक विश्लेषक और सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव जैसे बड़े नाम जुड़े और फिर इससे निकल भी आए.

लेकिन मनीष सिसोदिया शुरू से ही पार्टी में नंबर दो की हैसियत में थे और आज भी पार्टी में उन्हें कोई री-प्लेस नहीं कर पाया है.

केजरीवाल और मनीष सिसोदिया का साथ 2006-07 से ही है, जब उन दोनों के भीतर राजनीति में उतरने का कोई रुझान नहीं दिखता था. दोनों दिल्ली में झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों के लिए काम कर रहे थे.

वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद जोशी बताते हैं, ”केजरीवाल और सिसोदिया दोनों अक्सर मेरे पास आते थे. तब मैं दिल्ली के एक बड़े अख़बार के संपादक के तौर पर काम कर रहा था और उनकी मदद करने की स्थिति में था. दोनों सामाजिक क्षेत्र में काम कर रहे थे. लेकिन 2011-12 के दौरान जब आम आदमी पार्टी के गठन की तैयारियां चल रही थीं तो सिसोदिया केजरीवाल के सबसे क़रीबी बन कर काम कर रहे थे.”

स्कूली शिक्षा में सुधार के पोस्टरब्वॉय
एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार से दिल्ली के डिप्टी सीएम पद तक का सिसोदिया का सफ़र काफी दिलचस्प रहा है.

1998 में अरविंद केजरीवाल ने सामाजिक काम करने के लिए परिवर्तन नाम से एक एनजीओ बनाया था. उस समय मनीष सिसोदिया टीवी पत्रकार के तौर पर काम करते थे. उन्होंने इस एनजीओ पर एक स्टोरी की.

स्टोरी करने के दूसरे दिन अरविंद मनीष से मिले. दोनों के बीच काफ़ी बातचीत हुई. इसके बाद दोनों के बीच दोस्ती हो गई. फिर एक वक्त आया जब मनीष सिसोदिया नौकरी छोड़ कर पूरी तरह अरविंद केजरीवाल के साथ मिल कर काम करने लगे.

दरअसल सिसोदिया का रुझान राजनीतिक रणनीति बनाने से ज्यादा सामाजिक क्षेत्र में रहा है. इसलिए दिल्ली का डिप्टी सीएम बनने के बाद उन्होंने दिल्ली सरकार के स्कूलों में शिक्षा का स्तर बेहतर करने की योजना बनाई. केजरीवाल सरकार स्कूली शिक्षा में सुधार को शो-केस करती है. इस सुधार का बड़ा श्रेय सिसोदिया को दिया जाता है.

सिसोदिया को देश में स्कूली शिक्षा में सुधार के पोस्टरब्वॉय के तौर पर देखा जा रहा है. आम आदमी पार्टी का दावा है कि दिल्ली सरकार के स्कूलों के कामकाज और पढ़ाई-लिखाई के स्तर में जो ज़बर्दस्त सुधार दिखा है, वो देश के दूसरे राज्यों के लिए मिसाल बन चुका है. देश के कई राज्यों के मुख्यमंत्री इसकी तारीफ़ कर चुके हैं और अपने-अपने राज्यों में वो इसे लागू करना चाहते हैं.

विदेश में तारीफ़ लेकिन देश में घिरे
विदेशी अख़बारों में भले ही स्कूली शिक्षा में सुधार के इस पोस्टरब्वॉय की तारीफ़ हो रही है. लेकिन घर में वह घिरते दिख रहे हैं.

आम आदमी पार्टी का कहना है कि मोदी सरकार उसकी बढ़ती ताक़त से घबराई हुई है, इसलिए उन मनीष सिसोदिया के ख़िलाफ़ कार्रवाई कर रही है, जिनके काम की तारीफ़ पूरी दुनिया में हो रही है.

प्रमोद जोशी कहते हैं, ”मनीष सिसोदिया ने भ्रष्टाचार किया है या नहीं ये मैं नहीं कह सकता. लेकिन ये आरोप राजनीतिक हो सकते हैं. क्योंकि इस वक्त बीजेपी आम आदमी पार्टी को राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के तौर पर देख रही है. गुजरात में आम आदमी बीजेपी को अच्छा टक्कर दे सकती है. हिमाचल और हरियाणा में भी इसका असर है. पंजाब ये जीत ही चुकी है”.

अरविंद केजरीवाल का सिसोदिया से तालमेल शुरू से काफ़ी अच्छा रहा है. आज भी शिक्षा समेत आधा दर्जन से अधिक मंत्रालय सिसोदिया के पास हैं.

कहा जाता है कि मनीष सिसोदिया की सलाह पर केजरीवाल सारे नीतिगत फ़ैसले लेते हैं. दिल्ली में स्कूली शिक्षा में सुधार के श्रेय पर मनीष सिसोदिया कहते हैं कि ‘वह क्लासरूम को एक आंदोलन में बदलना चाहते हैं.’

केजरीवाल और सिसोदिया का साथ
मनीष सिसोदिया ने अपना भी एक एनजीओ बनाया था ‘कबीर’ नाम से. लेकिन बाद में अरविंद केजरीवाल के एनजीओ ‘परिवर्तन’ से जुड़ कर काम करने लगे.

अरुणा राय ने जब सूचना के अधिकार का मसौदा तैयार करने के लिए नौ लोगों की कमेटी बनाई थी तो उसमें मनीष सिसोदिया भी एक सदस्य के तौर पर शामिल थे.

सूचना के अधिकार के लिए एक कार्यकर्ता के तौर पर अरविंद केजरीवाल ने भी काम किया था. 2011 में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और उनके कुछ साथियों ने मिल कर जन लोकपाल बिल के लिए अन्ना हजारे के साथ मिल कर आंदोलन किया. फिर दोनों राजनीति में आए.

प्रमोद जोशी कहते हैं, ”मनीष सिसोदिया मुझे काफ़ी संजीदा लगे. जिन दिनों वो मेरे पास आते थे उन दिनों वो काफ़ी अच्छा काम कर रहे थे. सिसोदिया मुझे काफ़ी संतुलित भी लगे. वह ख़ुद को कभी आगे नहीं रखते थे. हमेशा पृष्ठभूमि में ही रह कर काम करते रहे.”

आम आदमी पार्टी और केंद्र के बीच टकराव क्यों?
2012 में राजनीति में उतरी आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में 2013 में सरकार बनाई.

दिल्ली में फ़िलहाल आम आदमी पार्टी की तीसरी सरकार है. इस साल पार्टी ने पंजाब में भी अपनी सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की है. कहा जा रहा है गुजरात और हिमाचल में भी इस बार ये बीजेपी को कड़ी टक्कर दे सकती है.

विश्लेषकों का कहना है कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार और केंद्र के बीच बढ़ता राजनीतिक तनाव इसी प्रतिद्वंद्विता का नतीजा है.

जब भी केंद्र की एनडीए सरकार और दिल्ली की केजरीवाल सरकार के बीच टकराव हुए हैं तो मनीष सिसोदिया ने मोर्चा संभाला है. चाहे वह कोरोना के वक्त कथित तौर पर दिल्ली की अनदेखी हो या बिजली का मामला या फिर दिल्ली नगर निगम के चुनाव का मुद्दा. केजरीवाल सरकार की ओर से मनीष सिसोदिया जवाब देते नजर आए हैं.

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पटपड़गंज सीट से जीतते रहे हैं. 2020 में वह यहां से तीसरी बार जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं.

प्रमोद जोशी का कहना है, ”केजरीवाल सरकार के एक मंत्री सत्येंद्र जैन पहले से ही मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जेल में है और अब सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को निशाना बनाया है. अगर मनीष जेल जाते हैं तो केजरीवाल के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं. इससे हिमाचल और गुजरात में आम आदमी पार्टी की चुनावी संभावनाओं पर असर पड़ सकता है. दोनों अहम राज्यों में उन्हें मनीष सिसोदिया कमी बेहद शिद्दत से महसूस होगी.”

मनीष सिसोदिया पर सीबीआई ने अपनी एफ़आईआर में क्या-क्या लिखा

दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर पर सीबीआई की टीम ने शुक्रवार को नई आबकारी नीति में कथित भ्रष्टाचार के मामले को लेकर छापेमारी की. सीबीआई ने इसी मामले में 21 और ठिकानों पर भी छापेमारी की है.

मनीष सिसोदिया और सीएम अरविंद केजरीवाल ने आरोपों को झूठा बताया है. वहीं बीजेपी नेताओं ने कहा है कि इस मामले से केजरीवाल सरकार का भ्रष्टाचार सामने आया है.

मनीष सिसोदिया का कहना है कि उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया जा रहा है. वहीं, सीबीआई ने एफ़आईआर में उन पर लाइसेंस धारकों को ग़लत तरीक़े से फ़ायदा पहुंचाने के लिए नई आबकारी नीति के निर्माण और उसे लागू करने में अनियमितताएं बरतने का आरोप लगाया है.

साथ ही उन पर आबकारी नीति में गैर-क़ानूनी ढंग से बदलाव करने का आरोप भी है. एफ़आईआर में लाइसेंस धारकों से सरकारी कर्मचारियों को पैसे मिलने का भी ज़िक्र किया गया है.

क्या कहती है सीबीआई की एफ़आईआर-
सीबीआई ने इस मामले में 17 अगस्त, 2022 को एफ़आईआर दर्ज की थी जिसमें सबसे पहला अभियुक्त मनीष सिसोदिया को बनाया गया है और कहा गया है कि बिचौलियों ने ग़लत तरीक़ों से फ़ायदा पहुंचाने में मदद की है. बीबीसी के सहयोगी पत्रकार सुचित्र के. मोहंती ने बताया है कि सीबीआई की एफ़आईआर में और क्या-क्या कहा गया है-

सीबीआई ने मनीष सिसोदिया और अन्य अभियुक्तों के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), 477-ए (अनुचित लाभ लेने के लिए अकाउंट्स के साथ फ़र्ज़ीवाड़ा) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के कुछ प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया है.
मनीष सिसोदिया और तत्कालीन आबकारी आयुक्त ए गोपी कृष्णा और अन्य लोगों ने लाइसेंस धारकों को अनुचित तरीक़े से फायदा पहुंचाने के लिए सक्षम प्राधिकरण से मंज़ूरी लिए बिना आबकारी नीति, 2021-2022 से जुड़े फ़ैसले लिए थे.
आरोप है कि आबकारी नीति में गैर-क़ानूनी तरीक़े से बदलाव हुए. वहीं, लाइसेंस फ़ीस और बिना अनुमति के लाइसेंस विस्तार में लाइसेंस धारकों को अनुचित फ़ायदे पहुंचाने के लिए नियमों का पालन नहीं किया गया.
सूत्र के हवाले से लिखा गया है कि कुछ लाइसेंस धारक सरकारी कर्मचारियों तक पैसे पहुंचाने के लिए रिटेल विक्रेताओं को क्रेडिट नोट जारी कर रहे हैं.
एफ़आईआर में बताया गया है कि बड्डी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अमित अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा और अर्जुन पांडे सिसोदिया के करीबी सहयोगी हैं. वो लाइसेंस धारकों से इकट्ठा किए गए पैसे अभिुयक्त सरकारी कर्मचारियों तक पहुंचाते थे.
एक कंपनी महादेव लिकर को लाइसेंस जारी किया गया था. सनी मारवाह इसके अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता हैं. सनी मारवाह शराब कारोबारी पोंटी चड्डा (जिनकी साल 2012 में हत्या हुई थी) के परिवार की कंपनियों में निदेशक भी हैं. मारवाह अभियुक्त सरकारी कर्मचारियों के संपर्क में थे और उन्हें नियमित तौर पर पैसे पहुंचा रहे थे.

दिल्ली की मंत्रिपरिषद ने पहले उप मुख्यमंत्री को पूरी नीति में ज़रूरत होने पर छोटे-मोटे कुछ बदलाव करने का अधिकार दिया था. लेकिन, तत्कालीन उप-राज्यपाल की सलाह पर 21 मई, 2021 को मंत्रिपरिषद ने ये फ़ैसला वापस ले लिया था. इसके बावजूद आबकारी विभाग ने उप मुख्यमंत्री की अनुमति से विचाराधीन फ़ैसले लिए और लागू भी किए यानी नीति में बदलाव किए गए.
सीबीआई ने एफ़आईआर में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी प्रवीण राय के पत्र का भी ज़िक्र किया है जिसमें लिखा है कि प्राथमिक तौर पर ये लगता है कि इस मामले में आबकारी विभाग की कार्रवाई में नियमों का गंभीर उल्लंघन किया गया है. इससे सरकारी ख़ज़ाने को भी बड़ा नुक़सान हुआ है. इसलिए, ये मामला आगे की जांच के लिए सीबीआई को सौंपा जा सकता है.
अगर मनीष सिसोदिया और अन्य अभियुक्त इस मामले में संबंधित अदालत में दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें कम से कम छह महीने के कारावास की सज़ा हो सकती है.

दिल्ली के उप-राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली की आबकारी नीति को लागू करने में कथित अनियमितताओं को लेकर जांच की सिफ़ारिश की थी.

क्या थी नई शराब नीति
नई शराब नीति 2020 में प्रस्तावित की गई थी जिसे नवंबर 2021 में लागू किया गया. इसके तहत दिल्ली को 32 ज़ोन में बांटा गया और हर ज़ोन में 27 दुकानें खुलनी थीं. इस नीति के तहत सिर्फ़ निजी दुकानों पर ही शराब बेची जा सकती थी. यानी सरकारी दुकानें पूरी तरह बंद कर दी गई थीं. हर नगर निगम वार्ड में 2-3 दुकानें खोली जानी थीं.

इसका मक़सद लिकर माफ़िया और काला बाज़ारी को ख़त्म करना और शराब की दुकानों का समान वितरण सुनिश्चित करना था.

इसके लिए दिल्ली सरकार ने लाइसेंस धारकों के लिए नियमों में कुछ ढील भी दी थी. जैसे उन्हें डिस्काउंट देने और सरकारी एमआरपी की बजाय अपनी कीमत खुद तय करने की अनुमति देना. इसके बाद विक्रेताओं ने डिस्काउंट दिए. लेकिन, विपक्ष के विरोध के बाद कुछ समय के लिए डिस्काउंट वापस भी ले लिए गए थे.

कैसे शुरू हुआ मामला
इस मामले की शुरुआत 8 जुलाई को हुई थी जब दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को एक रिपोर्ट सौंपी थी. इसमें मनीष सिसोदिया पर कमिशन और रिश्वत के लिए शराब विक्रेता लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ देने का आरोप लगाया गया था.

ये भी आरोप था कि इस कमिशन और रिश्वत का इस्तेमाल आम आदमी पार्टी ने पंजाब विधानसभा चुनाव में किया था.

उप-राज्यपाल के इस मामले में सीबीआई जांच की सिफ़ारिश करने के बाद एक अगस्त को मनीष सिसोदिया ने नई शराब नीति को वापस ले लिया. इसके बाद दिल्ली में सिर्फ़ सरकारी शराब की दुकानों को खोले जाने की अनुमति है.

सीबीआई के अलावा दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (आओडब्ल्यू) भी दिल्ली आबकारी विभाग में अलग से जांच कर रही है.

मुख्य सचिव की रिपोर्ट क्या कहती है
अंग्रेज़ी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस लिखता है कि उप-राज्यपाल और मुख्यमंत्री को दी गई रिपोर्ट के मुताबिक मनीष सिसोदिया ने बिना उप-राज्यपाल की मंज़ूरी के आबकारी नीति में बदलाव किए हैं. जैसे कि लाइसेंस फीस में 144.36 करोड़ की छूट दी गई. इसके लिए सीधे मनीष सिसोदिया ने आदेश दिए थे और कोरोना महामारी का कारण बताया गया था.

अधिकारियों के मुताबिक लागू हो चुकी नीति में किसी भी बदलाव को आबकारी विभाग को पहले कैबिनेट और फिर उप-राज्यपाल के पास अनुमति के लिए भेजना होता है. कैबिनेट और उप-राज्यपाल की अनुमित के बिना हुए कोई भी बदलाव गैर-क़ानूनी कहलाएंगे.

रिपोर्ट में ये भी आरोप लगाया गया है कि मनीष सिसोदिया ने विदेशी शराब की कीमतें पुनर्निर्धारित करके और प्रति बीयर 50 रुपये आयात शुल्क हटाकर लाइसेंस धारकों को अनुचित फायदा पहुंचाया था. इससे विदेशी शराब और बीयर सस्ती हो गई और सरकारी ख़ज़ाने को नुक़सान पहुंचा.

आर्थिक अपराध शाखा की जांच में क्या मिला
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक ईडब्ल्यूओ को जुलाई में 15 दिनों के दौरान आबकारी विभाग की बैठकों की वीडियो रिकॉर्डिंग मिली है.

ईडब्ल्यूओ ने आबकारी विभाग के सहायक आयुक्त को कथित अवैध लाइसेंस वितरण को लेकर जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया है. साथ ही नई नीति और निविदा से जुड़े कई दस्तावेज़ों की भी मांग की है.

साथ ही ईडब्ल्यूओ ने विभाग से शराब की दुकानों का लाइसेंस पाने वाले आवेदकों के आवेदन फॉर्म मांगे हैं. ये भी बताने के लिए कहा है कि एकाधिकार और कार्टेल बनने से रोकने के लिए किन प्रक्रियाओं का पालन किया गया है.

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दीपक मंडल
बीबीसी संवाददाता