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हम फ़ाइव-जी इन्टरनेट के आधुनिक युग में जी रहे हैं, किन्तु….अन्शु मयंक गुप्ता की रिपोर्ट

via : roop kishor rajput/journalist-aligarh

हम फ़ाइव-जी इन्टरनेट के आधुनिक युग में जी रहे हैं, किन्तु….अन्शु मयंक गुप्ता की रिपोर्ट

मतदान प्रक्रिया को अब आधुनिक करना होगा

हम फाइव-जी इन्टरनेट के आधुनिक युग में जी रहे हैं, किन्तु अब भी मतदान की प्रक्रिया का ढ़र्रा काफी प्राचीन है। कुछेक वर्षों पहले ई.वी.एम. का इजात हुआ, उससे पहले तो वैलिट पेपर पर मुहर लगाकर ही मतदान करते थे। किन्तु ई.वी.एम. के बाद आज तक मतदान प्रक्रिया में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। यदि मतदान प्रतिशत के सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो औसतन 60-65 प्रतिशत ही मतदान होता है। क्यों?

1. आज अमीर तबके के लोग, मतदान करने के लिए घण्टों तक लाइन में लगना पसन्द नहीं करते।
2. जो मतदानकर्ता, अन्य जिला अथवा प्रदेश में रहते हैं, मतदान के लिए गृह जनपद में नहीं आते।
3. कई लोगों के मतदाता सूची में आवेदन के बाद भी नाम अंकित नहीं होते, वहीं दूसरी ओर कई नाम ऐसे भी होते हैं, जो कबके दुनिया को अलविदा कर चुके होते हैं।
4. कुछ तो मतदान वाले दिवस, आधे दिन के अवकाश को पूरे दिन का मानकर, पिकनिक मनाने निकल पड़ते हैं।
5. ‘मेरे एक वोट से क्या होगा’- लोगों की यह सोच भी मतदान प्रतिशत कम होने का एक प्रमुख कारण है।
6. खेत में फसलों की निराई, बुआई का होना। मतदान प्रतिशत के कम होने के पीछे एक और वजह यह बताई जाती है।
आज आवश्यकता है मतदान को आधुनिक करने की। आज के डिजीटल युग में यदि भारतीय निर्वाचन आयोग आधार कार्ड से लिंक कर, एक एप्लीकेशन साॅफ्टवेयर (ऐप) का संचालन करें, जिससे मतदान प्रक्रिया ‘‘कभी भी-कहीं से भी’’ ‘‘ओ-टी-पी- से वैरिफाई कर’’ की जा सके, तो शायद मतदान प्रतिशत का आंकड़ा नब्बे पार हो सकता है। इस ऐप के माध्यम से मतदाता घर बैठे अपने मोबाइल से मतदान कर प्रक्रिया को आसान बनाकर शत-प्रतिशत मतदान कर पायेगा।

इससे होने वाले फायदों पर भी एक नजर डालते हैंः-
1. मतदान शत-प्रतिशत हो सकता है।
2. मतदान केन्द्र पर घण्टों लाइन नहीं लगेगी।
3. जो लोग अभी मोबाइल वल्र्ड से अनिभिज्ञ हैं अथवा इंटरनेटयुग से वंचित हैं, वे मतदान केन्द्र पर जाकर मतदान कर सकते हैं।
4. बूथ-कैपचरिंग, राजनैतिक कार्यकर्ताओं में मतभेद के कारण होने वाले उपद्रव आदि समस्याओं पर अंकुश लग पायेगा।
5. न तो कोई मतदाता, मतदान से वंचित रह पायेगा, ना ही कोई अन्य के मताधिकार का गलत प्रयोग कर पायेगा।
6. प्रक्रिया पूर्णतः आॅनलाइन होने से मतदाता एक बार ही अपने मताधिकार का प्रयोग कर पायेगा।
7. मतदान पूर्णतः गोपनीय रहेगा।
8. हारी हुई पार्टी ‘ई.वी.एम. हैक’ का आरोप न लगा पायेगी।
9. यदि इस ऐप में और विस्तार किया जाये तो मतदाता, मतदाता-सूची को अपडेट भी आधार नम्बर के आधार पर चुनाव से पूर्व खुद कर पायेगा।
10. मतदान के लिए जारी सूची जिसे बी.एल.ओ. के माध्यम से घर-घर जाकर सत्यापित किया जाता है, में होने वाला लाखों-करोड़ांे का राजस्व एवं समय की बचत हो पायेगी।

– अन्शु मयंक गुप्ता
सासनी गेट, अलीगढ़