मध्य प्रदेश राज्य

हिंदू कोई मत नहीं है बल्कि अज्ञानता, अशिक्षा और वोटों की राजनीति के कारण हिंदू को एक धर्म कहकर संबोधित किया जाता है : पीठाधीश्वर ऋतेश्वर महाराज

वृंदावन स्थित श्री आनंदम धाम ट्रस्ट के पीठाधीश्वर ऋतेश्वर महाराज इन दिनों देश भर में सनातन का प्रचार कर रहे हैं। इस सिलसिले में वे धार्मिक नगरी उज्जैन भी पहुंचे। उन्होंने यहां सर्किट हाउस में मीडिया से कहा कि भारत में रहने वाले सभी भारतीय हैं, सभी हिंदुस्तानी हैं और हर भारतीय का DNA हिंदू है।

इस दौरान उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के अनुसार हिंदू जीवन जीने की पद्धति है। हिंदू कोई मत नहीं है बल्कि अज्ञानता, अशिक्षा और वोटों की राजनीति के कारण हिंदू को एक धर्म कहकर ही संबोधित किया जाता है। पूजा की पद्धति अलग हो सकती हैं, लेकिन धर्म अलग नहीं है। यह एक हिंदू राष्ट्र था, है और हमेशा रहेगा।


‘सनातन शिक्षा बोर्ड का जल्द निर्माण होना चाहिए’
इस मौके पर ऋतेश्वर महाराज ने भारत की शिक्षा पद्धति पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि देश की शिक्षा पद्धति में सुधार होना चाहिए। जब प्रत्येक अल्पसंख्यक धार्मिक लोगों का अपना पर्सनल बोर्ड है तो बहुसंख्यक हिंदू सनातनियों का अपना शिक्षा बोर्ड क्यों नहीं है? सनातन शिक्षा बोर्ड का निर्माण जल्द से जल्द होना चाहिए, क्योंकि जब पूरे जड़ में दीमक लगा हो तो ऊपर-ऊपर उपचार से कुछ नहीं होगा। उन्होंने कहा कि अगर राष्ट्र और देश को बदलना है तो पूरी शिक्षा पद्धति में बदलाव करना पड़ेगा और इसके लिए हमारी सनातनी शिक्षा नीति लानी होगी।

‘बागेश्वर धाम सरकार के पास खुद आते हैं लोग’
ऋतेश्वर महाराज ने बागेश्वर धाम सरकार पर उठ रहे सवाल पर भी प्रतिक्रिया जाहिर की। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा चमत्कार है ज्ञान। मैं सिद्धि से इनकार नहीं करता। इनकार करने का मतलब रामायण-महाभारत को नकारना पड़ेगा। सिद्धि का मतलब एक विशेष विद्या है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री किसी को बुलाते नहीं हैं, लोग खुद ही आ जाते हैं। भारत लोकतांत्रिक देश है। जनता किसके पास जाकर प्रवचन सुनेगी, ये उसकी अपनी इच्छा पर निर्भर करता है।

‘जाति-व्यवस्था के कारण हुआ उत्पीड़न अपवाद है’
रामचरित मानस पर देश में मचे बवाल पर भी ऋतेश्वर महाराज ने कड़ी अपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि विवाद का कारण वोट बैंक है। इसकी निंदा होनी चाहिए। सनातन संस्कृति विराट है। किसी की भावना का अनादर नहीं होना चाहिए। भारत ने सती प्रथा समाप्त की है। वहीं, जाति-व्यवस्था के कारण हुए उत्पीड़न को उन्होंने अपवाद बताया। उन्होंने कहा कि अपवाद कभी नियम नहीं हो सकते।

‘देश के असली नायकों के नाम पर हो सड़कों-धरोहरों के नाम’
सद्गुरू ऋतेश्वर महाराज ने सरकार से अपील की है कि किसी भी राष्ट्र की संस्कृति को बचाने के लिए राष्ट्रवादियों के नाम पर ही वहां के प्रतीक चिन्हों के नाम होने चाहिए। सभी राजनीतिक दलों और भारतवासियों को मिलकर देश की महान विभूतियों के नाम पर सड़कों और भवनों के नाम रखे जाने चाहिए। ऋतेश्वर महाराज ने कहा कि किसी भी स्थानीय धरोहर और सड़कों के नाम वहां के वीरों और नायकों के नाम पर होने चाहिए। ऐसे में हम महान भारत के अस्तित्व और संस्कृति को लंबे समय तक बचा के रखेंगे।