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हिंदू से मुस्लिम बने एआर रहमान ने कहा- इस्लाम ने मुझे हर कदम रास्ता भटकने से बचाया,देखिए नमाज़ के बारे में क्या कहा ?

नई दिल्ली: अपनी खूबसूरत आवाज़ का सुरूर चलाने वाले ऑस्कर विनर म्यूजिक डायरेक्टर एआर रहमान खान ने अपनी तमाम कामयाबी और अचीवमेंट का क्रडिट इस्लाम धर्म को दिया है,अपनी बायोग्राफी ‘नोट्स ऑफ ए ड्रीम : द ऑथोराइज्ड बायोग्राफी ऑफ एआर रहमान’ के लॉन्चिंग इवेंट पर रहमान ने कहा- जब लोग मुझसे मेरे धर्मांतरण के बारे में पूछते हैं तो मैं कहता हूं कि यह धर्म परिवर्तन का मसला नहीं बल्कि आपको एक ऐसी चीज मिल जाती है, जो आपको उसकी ओर खींचती है। मेरे धर्मगुरुओं ने मुझे और मेरी मां को एक ऐसी चीज दी, जो हमारे लिए बेहद खास है। यही विश्वास था, जिसे हमने अपनाया और आज भी उसी के साथ खड़े हैं।

एआर रहमान ने आगे कहा- ”इस्लाम पर मेरे अटूट विश्वास ने मुझे हमेशा सही दिशा की ओर बढ़ने में मदद की। इस विश्वास ने मुझे कई मुसीबतों से भी बचाया, क्योंकि मैं जब भी खुदा की इबादत करता तो यही सोचता कि मैं खुदा को याद कर रहा हूं ऐसे में किसी भी तरह की गलती नहीं कर सकता।” इसी तरह मुझे लगता था कि अब शाम की नमाज आने वाली है तो मैं कुछ गलत नहीं करूंगा। इस तरह इस्लाम में पांचों वक्त की नमाज ने मुझे हमेशा सही रास्ते पर चलने में मदद की। बता दें कि एआर रहमान की बायोग्राफी को कृष्णा त्रिलोक ने लिखा है। इसमें रहमान ने अपने मुश्किल दिनों और दूसरी घटनाओं का भी जिक्र किया है।

रहमान ने कहा- “25 साल तक मैं खुदकुशी करने के बारे में सोचता था। हम में से ज्यादातर लोगों को लगता है कि ये करना ठीक नहीं है। दरअसल, मेरे पिता का इंतकाल हो गया था तो मुझे एक तरह का खालीपन महसूस होता था, लेकिन इन सब चीजों ने मुझे और ज्यादा मजबूत बना दिया। वैसे भी मौत तो निश्चित है। जो भी चीज बनी है उसके इस्तेमाल का आखिरी वक्त भी पहले से तय है, तो फिर किसी चीज से क्या डरना।”

पिता की मौत के बाद कट्टरपंथियों ने एआर रहमान को परेशान करना शुरु कर दिया था, जिसकी वजह से वे काफी उदास रहने लगे थे। कहा जाता है कि 1989 में रहमान की छोटी बहन काफी बीमार पड़ गई थी। सभी डॉक्टरों ने कह दिया था कि उसके बचने के कोई चांस नहीं हैं। रहमान ने अपनी छोटी बहन के लिए मस्जिदों में दुआएं मांगी और जल्द ही उनकी दुआ रंग लाई और बहन पूरी तरह से ठीक हो गई। इस चमत्कार के बाद रहमान ने इस्लाम कबूल कर लिया था।

वहीं दूसरी तरफ रहमान की बायोग्राफी ‘द स्पिरिट ऑफ म्यूजिक’ में यह बताया गया है कि एक ज्योतिषी के कहने पर उन्होंने अपना नाम बदल लिया। रहमान ने एक इंटरव्यू में बताया था कि एक दिन जब मां मेरी बहन की कुंडली दिखाने एक ज्योतिषी के पास गई तो उस हिंदू ज्योतिषी ने ही मुझे नाम बदलने की सलाह दी। बस फिर मेरा नाम दिलीप कुमार से बदलकर एआर रहमान रख दिया गया। एआर इसलिए क्योंकि मेरी मां चाहती थी कि उसमें अल्ला रक्खा भी जोड़ा जाए।

बता दें कि रहमान को उनकी फिल्म ‘स्लमडॉग मिलेनियर’ के लिए दो ऑस्कर अवॉर्ड से नवाजा गया है। वह दो ग्रैमी अवॉर्ड जीतने वाले पहले इंडियन कम्पोजर हैं। रहमान को इसके अलावा एक बॉफ्टा अवॉर्ड, एक गोल्डन ग्लोब, 4 नेशनल फिल्म अवॉर्ड, 15 फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिल चुके हैं।