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हिज़्बुल्लाह के नये वीडियो और नसरुल्लाह के ताज़ा भाषण ने इस्राईल की चिंता बढ़ाई : वीडियो

लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह के महासचिव ने अपने हालिया भाषण में इस्राईलियों को जो चेतावनी संदेश भेजा, उसने प्रतिरोध के साथ संघर्ष के समीकरणों को पूरी तरह से बदल दिया।

लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध और इस्राईल के बीच संघर्ष के समीकरणों के कई वर्षों के अनुभव से पता चलता है कि हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह ने कभी भी इस्राईली दुश्मन को कभी भी संदेश या चेतावनी नहीं दी है लेकिन उनकी ओर से लिए गये अहम फ़ैसलों और नीतियों के परिणामस्वरूप हालात में काफ़ी परिवर्तन देखने को मिल रहा है।

उन्होंने अपने संबोधन में नेतेनयाहू के नये कट्टरपंथी मंत्रीमंडल को संदेश दिया था कि प्रतिरोध, लेबनान की सुरक्षा और लेबनान की वर्तमान स्थिति की रक्षा के लिए किसी भी प्रकार की झड़पों और नियमों के उल्लंघन को सहन नहीं करेगा।

यह बात स्पष्ट है कि हिजबुल्लाह के महासचिव का यह संदेश नई इस्राईली कैबिनेट के लिए था और उन्हें चेतावनी दी गई थी कि उन्हें उस संघर्ष के नियमों को बदलने की अनुमति नहीं है जो जुलाई 2006 के युद्ध के बाद से दोनों पक्षों के बीच पाया जाता है।

यहां पर इस बात का उल्लेख ज़रूरी है कि इस्राईल के नये मंत्रीमंडल में बड़ी संख्या में कट्टरपंथी मंत्री मौजूद हैं जो सरकार से फ़िलिस्तीन के भीतर और बाहर नीतियों में नए परिवर्तन की निरंतर मांग कर रहे हैं, सैयद हसन नसरुल्लाह का यह रणनैतिक भाषण इन्हीं लोगों के लिए था ताकि उन्हें जो ताक़त का भ्रम और ग़लत अनुमान है, उन्हें ख़त्म किया जाए। दूसरी ओर ज़ायोनी शासन की नई कैबिनेट अपने चरमपंथी सांसदों के “बिजूका” पर भरोसा करके अपनी आक्रामक छवि को मज़बूत करने की कोशिश कर रही है।

शायद इस्राईल की यह रणनीति और दृष्टिकोण, फ़िलिस्तीनियों के आंतरिक जनमत को डराने में सफल हो सकता है और नेतन्याहू के फासीवादी कैबिनेट के गठन के कुछ दिनों बाद हम इस शासन के आंतरिक सुरक्षा के नस्लभेदी मंत्री “इतमार बेन गोयर” सहित इसके अन्य सांसदों के बीच भीषण मतभेद देख रहे हैं जिन्होंने अपना काम मस्जिदुल अक़सा के अनादर से की किया था।

लेकिन निसंदेह नेतन्याहू की चरमपंथी कैबिनेट द्वारा अपनाई गई ऐसी रणनीति और तरीक़ा, हिज़बुल्लाह के खिलाफ काम नहीं करेगा क्योंकि विभिन्न ज़ायोनी सरकारें अपने विभिन्न दृष्टिकोणों के साथ संघर्षों के उन समीकरणों से अच्छी तरह वाकिफ हैं जो जुलाई के युद्ध के बाद से लेबनानी प्रतिरोध ने बनाए हैं।