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हिज़्बुल्लाह ने किस तरह इस्राईल को पस्त कर दिया, रिपोर्ट

लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह ने साबित कर दिया कि जब कभी भी लेबनान की केन्द्रीय सरकार को देश हित को पूरा करने के लिए उसकी ज़रूरत पड़ी तो वह सबसे पहले मैदान में मौजूद रहा और पूरी ताक़त के साथ देश की जनता के हितों की रक्षा की है। इस नियम से संयुक्त गैस फ़ील्ड भी अलग नहीं है।

काफ़ी समय से यह बात सामने आ रही थी कि भूमध्य सागर के पश्चिमी क्षेत्र में गैस का बड़ा भंडार पाया जाता है और इसी आधार पर इस्राईल और लेबनान सरकार ने शुरु से ही इस क्षेत्र में गैस निकालने के लिए प्रयास शुरु कर दिए थे। बताया जाता है कि इसका परिणाम यह निकला कि इसी इलाक़े में कारीश और क़ाना गैस फ़ील्ड का पता चला।

यह गैस फ़ील्ड संयुक्त सीमा पर स्थित है इसीलिए इस्राईल और लेबनान सरकार के बीच इस गैस फ़ील्ड के विभाजन को लेकर तलवारें खिंच गयी। इस्राईली कभी भी इस गैस फ़ील्ड पर लेबनान के मालेकाना हक़ को स्वीकार नहीं करता था और न ही वह इस मुद्दे पर बातचीत के लिए तैयार नहीं था।

लेबनान सरकार को हालिया वर्षों में इस विषय को लेकर बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ा जिसमें आर्थिक संकट और ऊर्जा विशेषकर गैस की कमी का सामना करना पड़ा। यही कारण है कि लेबनान सरकार ने इस्राईल को मनाने के लिए अमरीका और फ़्रांस जैसे देशों का सहारा लिया लेकिन यह सारे प्रयास विफल हो गये और साथ ही इस्राईल ने गर्मी के मौसम में इस गैस फ़ील्ड से गैस निकालने की संभावना की बात तक कह डाली।

लेबनान सरकार की कमज़ोरी को भांपते हुए हिज़्बुल्लाह ने मैदान में उतरने का फ़ैसला किया और हाल ही में हिज़्बुल्लाह गैस फ़ील्ड के विभाजन की वार्ता पर इस्राईल की अनदेखी के बाद बिना हथियारों वाले तीन ड्रोन कारीश ग़ैस फ़ील्ड की ओर रवाना किया ताकि इस्राईल को एक धमकी भरा संदेश दिया जा सके। आख़िरकार इस्राईल भी हिज़्बुल्लाह के इरादे भांप चुका था और उसमें हिज़्बुल्लाह से लड़ने की ताक़त नहीं थी इसीलिए वह गैस फ़ील्ड के विभाजन की वार्ता करने पर तैयार हो गया।

लेबनान सरकार और इस्राईल के बीच वार्ता के कई चरणों के बाद दोनों पक्षों के बीच सहमति हो गयी। इस सहमति के आधार पर 23 नंबर सीमावर्ती लाइन दोनों पक्षों के बीच बनाई गयी और इस सीमा के आधार पर कारीश गैस फ़ील्ड का पूरा नियंत्रण इस्राईल को दे दिया गया जबकि क़ाना गैस फ़ील्ड लेबनान सरकार के क़ब्ज़े में चली गयी लेकिन इस योजना पर काम करने वाली कंपनी को इस्राईल को हर्जाना देना होगा। इस गैस फ़ील्ड पर लेबनान सरकार का नियंत्रण, बहुत बड़ी कामयाबी समझी जाती है।