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हीरोशीमा : आतंकी अमेरिका दुवारा एक लाख 40 हज़ार से अधिक लोगों की हत्या की 77वीं बरसी!

अमेरिका ने 6 अगस्त 1945 को जापान के हीरोशीमा नगर पर पहली परमाणु बमबारी की थी जिसमें एक लाख 40 हज़ार लोग मारे गये थे।

इस परमाणु बमबारी में जानमाल की बहुत अधिक तबाही हुई थी। आज के दिन राष्ट्रसंघ के महासचिव सहित दुनिया के बहुत से नेताओं ने चिंता जताई है।

समाचार एजेन्सी फार्स की रिपोर्ट के अनुसार परमाणु बमबारी की 77वीं बरसी पर जापान के हीरोशीमा नगर में घंटियां बजाई गयीं और राष्ट्रसंघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरस सहित दुनिया के बहुत से नेताओं ने हथियारों की होड़ पर चिंता जताई।

समाचार एजेन्सी रोयटर्ज़ की रिपोर्ट के अनुसार जापान के हीरोशीमा नगर के मेयर ने इस अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम में परमाणु हथियारों से सम्पन्न देशों व शक्तियों की आलोचना करते हुए कहा कि क्यों ये देश अपने वचनों पर अमल नहीं करते हैं? उन्होंने कहा कि दुनिया में यह विचार गति पकड़ रहा है कि परमाणु हथियारों की रोकथाम पर शांति निर्भर है।

हीरोशीमा नगर के “शांति पार्क” में आयोजित कार्यक्रम में रूसी राजदूत मीखाईल गालूज़ीन ने भी कहा कि उनका देश बिल्कुल परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं करेगा। इस कार्यक्रम में राष्ट्रसंघ के महासचिव भी मौजूद थे पर किसी ने भी इस जघन्य अपराध के ज़िम्मेदार अमेरिका की खुलकर भर्त्सना व निंदा नहीं की।

ज्ञात रहे कि 6 अगस्त 1945 को सुबह 8 बजकर 15 मीनट पर अमेरिका ने युद्धक विमान 29-B से जापान के हीरोशीमा नगर पर परमाणु बम गिराया था। उस समय हीरोशीमा की कुल जनसंख्या तीन लाख 50 हज़ार थी और बाद में भी हज़ारों लोगों की मौत इस बमबारी के दुष्प्रभावों से हो गयी।

रोचक बात है कि इस प्रकार के अतीत का मालिक अमेरिका दुनिया के देशों को मानवाधिकार और डेमोक्रेसी का पाठ पढ़ाता फिरता है और आज तक उसने अपने इस महापराध पर माफी तक नहीं मांगी है।

जानकार हल्कों का मानना है कि जो लोग अमेरिका को मानवाधिकार की रक्षा के दावे में सच्चा समझते हैं उन्हें चाहिये कि वे अमेरिकी क्रिया कलापों पर एक हल्की नज़र डाल किया करें तो उन्हें अमेरिका का वास्तविक चेहरा बहुत साफ नज़र आयेगा और वे इस बात को बहुत अच्छी तरह समझ जायेंगे कि अमेरिका मानवाधिकार की रक्षा में कितना सच्चा है