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हैदराबाद में 400 साल पुरानी ऐतिहासिक मस्जिद में श्री राम की मूर्ति रखकर क़ब्ज़ा करने की कोशिश,शहर में फैला तनाव

हैदराबाद : शहर हैदराबाद की शाँति सद्भावना और सुकून बिगाड़ने के लिये इस बार दँगाइयों ने इतिहासिक गोलकुंडा किले के समीप स्थित ऐतिहासिक 400 साल पुरानी मस्जिद में श्री राम की मूर्ति रख दी,मूर्तियों को मस्जिद में रखा देखकर स्थानीय लोगों में रोष फैल गया और खबर जंगल की आग की पूरे शहर में फैल गई ,बढ़ते तनाव को देखते हुए वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मौके पर पहुँचे और स्थिति को काबू में लेकर मस्जिद से मूर्तियाँ हटाई।

स्थनीय रिपोर्ट के अनुसार हैदराबाद की ऐतिहासिक शेखपेट की मस्जिद में मूर्तियाँ 1 मई की सुबह में रखी गई थी, एक स्थानीय युवक ने पुलिस को मस्जिद में श्री राम की मूर्ति होने की जानकारी दी थी। कारवां विधानसभा क्षेत्र से ऑल इण्डिया मजलिस ऐ इत्तेहादुल मुस्लिमीन के विधायक कौसर मोहिउद्दीन को भी इसके बारे में सूचित किया गया था, ताकि हालात को नियंत्रण में रखा जा सके। इसके अलावा मौके पर पुलिस पिकेट भी स्थापित कर दिया गया, ताकि शांति-व्यवस्था को बरकरार रखा जा सके। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, घटना के बाद से इलाके में तनाव फैल गया था।

मूर्ति रखने वाले पांच आरोपियों की हुई पहचान

पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है। इनमें से पांच आरोपियों की पहचान कर ली गई है। बीर सिंह, योगेंदर सिंह, कृपाल सिंह, नवीन सिंह और माया बाई को आरोपी बनाया गया है। पुलिस का कहना है कि ये पांचों वक्फ बोर्ड के अधिकार वाले मस्जिद में घुसकर मूर्ति रख दी और वक्फ की संपत्ति पर कब्जा करने की नीयत से पूजा-अर्चना करने की कोशिश की थी।

हैदराबाद की तमाम संस्थाओं ने इस घटना की निंदा की और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। वहीं, कारवां विधायक मोहिउद्दीन ने कहा, ‘हमलोग बाउंड्री वॉल को ऊंचा कर मस्जिद पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। मैंने वक्फ बोर्ड के अधिकारियों से बात कर बाउंड्री वॉल बनाने का अनुरोध किया। उन्होंने दो-तीन दिनों में काम शुरू करने का भरोसा दिलाया है।’ बता दें कि इस मस्जिद का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा था। पुलिस ने हालात को नियंत्रण में बताया है।

17वीं सदी में किया गया था निर्माण

शेख पेट मस्जिद का निर्माण कुतुबशाही के शासनकाल में 17वीं सदी में किया गया था। ऐतिहासिक मस्जिद आंध्र प्रदेश पुरातन ऐतिहासिक स्मारक और पुरातत्व स्थल अधिनियम के तहत एक संरक्षित स्मारक है। इसके बावजूद रखरखाव और उचित निगरानी का अभाव है, जिसके कारण इस तरह की घटना सामने आई।