साहित्य

⚘आज फिर जाँच, एक लघुकथा…By – रूबी गुप्ता

Satyendra Rubi Gupta
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एक लघुकथा:
⚘आज फिर जाँच।
सुबह का समय सब कुछ अपने नियत समय से चल रहा था।
प्रार्थना सभा के बाद कुछ कहानी कविताओं के साथ आज के पठन पाठन कार्यक्रम की शुरुआत हुई।
प्रति दिन के भाँति ही सब कुछ सामान्य था रसोईघर में दाल के छौंक से बच्चों के मुँह में पानी आ रहा था । कुछ तो बेचैन हो पूँछते, मैडम जी कब छुट्टी होगी?।
अचानक ह्वाटसअप पर सूचना पड़ी दिखाई दी।
आज विभागीय जाँच है।
फिर क्या चारो तरफ नजर दौड़ाते प्रधानाध्याक परेशान पता नही क्या पूँछे,
क्या जाँचे ?
रसोई घर मे जाकर रसोईयो को तड़का लगाया,
खाना साफ़ सफाई से बनाना। और हाँ थोड़ी जल्दी बनाओं आज जाँच है।
बाहर बच्चों ने कुछ चिप्स कुरकुरे खाकर थैले इधर-उधर फेंक दिये थे। फिर चिल्लाते हुए खुद ही उठाया। कक्षा कक्ष में जाकर बच्चों को समझाया जरा ठीक से बैठना और जो कुछ पूँछा जाये सही सही बताना। और हाँ पुस्तक निकालकर पढ़ो।
फिर याद आया किताबेंतो अभी मिली ही नही।
फिर एक बार कक्षा में नजर घुमायें अरे!आधे से अधिक तो बिना यूनिफार्म ही है।
काश! इनके माता -पिता भी समझते कि यूनिफार्म भी लेना है उनको उन पैसों से जिसे वे वजीफा समझ अन्यत्र खर्च कर देते हैं।
माथे पर बल पड़ गए।
कार्यालय में वापस आकर फिर अभिलेखों को सही करने लगें ।
शायद कुछ प्रपत्र मिल नही रहे थें तो अलमारी को बार बार खोलते फाइल निकालते और फिर भी न मिला तो कुछ बडबडाते हुए कुर्सी पर बैठ गयें।
तभी याद आया शौचालय पिछले माह से साफ नही अब किससे कहें कि सफाई कर्मचारी तो कभी सफाई करता नही।
फिनाइल की बोतल उठाया और खुद ही शौचालय के तरफ बढ़े।
चलो ये भी जिम्मेदारी पुरी कर ली जायें।
विद्यालय समय पुरा हुआ। पता चला आज कोई और ब्लाक में जाँच था । यहाँ अगले कार्य दिवस में हो सकता।
प्रधानाध्याक महोदय को जरा सी तसल्ली हुई चलो आज का दिन तो सही सलामत बीत गया।
शाम को थके मांदे घर पहुंचे।
सिर दर्द के साथ चक्कर आया तो घर वाले सिधे अस्पताल लें गयें।
वैसे भी यह शुगर, बी पी , कभी-कभी माइग्रेन का दौरा ,कभी हर्ट बीट का बढ़ना प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के जिंदगी का हिस्सा बन चुका है।
और हर बार अब तो चलता रहता है कुछ एक जाँच और फिर कुछ दवाइयाँ।

रूबी गुप्ता, दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश भारत।