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16 वर्षों के दौरान 2022 फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों में सबसे रक्तरंजित और खूनी वर्ष

अतिग्रहित क्षेत्रों में संयुक्त राष्ट्र संघ की मानवीय मामलों के समन्वयक लूसिया एल्मी ने बताया है कि पिछले 16 वर्षों के दौरान 2022 फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों में सबसे रक्तरंजित और खूनी वर्ष रहा है।

उन्होंने वेस्ट बैंक में कर्फ़्यू लगाने सहित पूर्वी बैतुल मुक़द्दस में हिंसक गतिविधियों में वृद्धि पर अपनी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि 2022 में 26 बच्चों सहित कम से कम 105 फ़िलिस्तीनी, इस्राईली सैनिकों के हाथों शहीद हुए।

महत्वपूर्ण सवाल यह है कि 2022 में फ़िलीस्तीनियों के ख़िलाफ़ ज़ायोनियों की हिंसा पिछले 16 वर्षों में उच्चतम स्तर पर क्यों थी? इस संबंध में पहला कारण अरब देशों और अतिग्रहणकारी शासन के बीच संबंधों के प्रकार से जोड़ा जा सकता है।

हालिया वर्षों के दौरान अरब देशों और अतिग्रहणकारी शासन के बीच संबंध एक नए चरण में प्रवेश कर गए हैं। इन देशों ने जिनके पहले ज़ायोनी शासन के साथ गुप्त संबंध थे, हालिया वर्षों में एक ओर खुले संबंध स्थापित किए हैं और दूसरी ओर संबंधों के स्तर को बढ़ाया है।

यूएई, बहरैन और मोरक्को तीन अरब देश हैं जिन्होंने 2020 में ज़ायोनी शासन के साथ आधिकारिक राजनयिक संबंध स्थापित किए और पिछले दो वर्षों में विभिन्न क्षेत्रों में इन संबंधों को विस्तृत किया है।

सऊदी अरब जैसे देशों ने आधिकारिक राजनयिक संबंध बहाल नहीं किए हैं लेकिन उसने भी ज़ायोनी शासन के साथ संबंधों के स्तर को बढ़ा दिया है।

उदाहरण के लिए सऊदी अरब के अंदर इस्राईली और सऊदी अधिकारियों के बीच गुप्त बैठकें हुई हैं और रियाज़ ने इस्राईल के विमानों को सऊदी आसमान पर उड़ान भरने का लाइसेंस दे दिया है।

अरब देशों और ज़ायोनी शासन के बीच संबंधों में बदलाव की वजह से जहां एक तरफ़ इन देशों ने इस्राईल के अपराधों पर आंखें मूंद लीं हैं, वहीं दूसरी ओर तेल अवीव फ़िलिस्तीनियों के खिलाफ हिंसा को आराम से अंजाम दे आ रहा है बल्कि उसने मज़लूम फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध हिंसक कार्यवाहियों में तेज़ी कर दी है।

दूसरी वजह इस्राईलियों के विरुद्ध फ़िलिस्तीनी की प्रतिरोधक कार्यवाहियां हैं। फ़िलिस्तीनी, ज़ायोनी शासन के खिलाफ अरब देशों के समर्थन से निराश हो चुके हैं और वे इस निष्कर्ष पर पहुंच गये हैं कि प्रतिरोध और आत्मनिर्भरता ही इस शासन के अपराधों से निपटने का एकमात्र तरीक़ा है।

यही वजह है कि पिछले साल इस्राईलियों के ख़िलाफ प्रतिरोधक कार्यवाहियां अतिग्रहित क्षेत्रों में भी बढ़ीं हैं और इन ऑपरेशनों में दर्जनों ज़ायोनी मारे गए और घायल हो चुके हैं। इस ऑप्रेशन के सामने असहाय नज़र आते इस्राईल ने फ़िलिस्तीनियों के ख़िलाफ और अधिक हिंसा का सहारा लिया है।