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1857 की क्रांति के जनक थे मातादीन बाल्मीकि, ‘अरे भंगी, मेरा लोटा छूकर #अपवित्र करेगा क्या?’ फिर क्या था….Dk Verma Verma से प्राप्त लेख पढ़ें!

Dk Verma Verma
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#आँखे_खोल_देगी यह पोस्ट!
1857 की क्रांति के जनक थे मातादीन बाल्मीकि
मातादीन के पुरखे #अंग्रेजी_शासन में सरकारी नौकरी में रहे थे। #मातादीन को भी बैरकपुर फैक्ट्री में खलासी की नौकरी मिल गई। यहां अंग्रेज सेना के सिपाहियों के लिए कारतूस बनाए जाते थे।
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इन्हीं कारतूसों को तमाम #सैनिक अपने मुंह से खिंचकर
बंदूको कों में भरकर इस्तेमाल करते थे।
मातादीन मल्लयुद्ध के शौकीन थे, वही मंगल पांडेय भी अखाड़े में आया करते थे!
___________________________ एक दिन गर्मी से तर–बतर, थके–मांदे, प्यासे मातादीन ने मंगल पाण्डे से पानी का लोटा मांगा
लेकिन #मंगल_पाण्डे ने इसे एक अछूत का दुस्साहस समझते हुए उन्हें झिड़क दिया और कहा,

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‘अरे भंगी, मेरा लोटा छूकर #अपवित्र करेगा क्या?’ फिर क्या था,
इस अपमान से जले मातादीन ने वो राज खोल दिया, जो सालों से दबा हुआ था और जिसने 1857 की क्रांति की नींव रख दी।
#मातादीन ने मंगल पांडे को ललकार दिया और कहा कि
मंगल पांडे
तुम्हारी पंडिताई उस समय कहा चली जाती है,
जब तुम और तुम्हारे जैसे #चुटियाधारी गाय और सूअर की चर्बी
लगे कारतूसों को मुंह से काटकर बंदूकों में भरते हो?’
उस समय करतूसों के ऊपर चर्बी लगी होती थी और उसको मुंह से खोला जाता था
ये सुनकर मंगल पांडे सन्न रह गया… जल्दी ही मातादीन की ये बात हर बटालियन और हर छावनी में फैल गई.
मातादीन के कहे कड़वे सच ने सेना में विद्रोह के हालात पैदा कर दिए
सारे हिन्दू और मुस्लिम सैनिक सुलग रहे थे 10 मई, 1857 को मंगल पाण्डे परेड मैदान में लाईन से निकल कर बाहर आ गए और एक अधिकारी को गाली मार दी, जिसके बाद विद्रोह बढ़ता चला गया


इसके बाद मंगल पाण्डे को फांसी पर लटका दिया गया।
मंगल पांडे को फांसी देने की बात सभी जानते हैं लेकिन एक सच से तमाम लोग आज भी अंजान हैं।
विद्रोह फैलाने के जुर्म में अंग्रेजों ने मातादीन को भी गिरफ्तार कर लिया था, जिसके बाद मातादीन को भी अंग्रेजों ने फांसी पर लटका दिया था।
इस तरह मातादीन बाल्मीकि ने जो चिंगारी लगाई थी, आखिरकार वो चिंगारी सन् 1947 में भारत की आज़ादी की वजह बनी।
जिसने 1857 की क्रांति की नीव डाली क्रांतिकारी का नाम किसी की जुबान पर नहीं आता जिसने अपने प्राणों की आहुति भी दी थी
आज ऐसे ही महानायक मातादीन वाल्मीकि की जयंती है उनकी जयंती पर उन्हें नमन
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नोट: इस पोस्ट से सबसे बड़ी जानकारी मिलती है मंगल पांडे ने लड़ाई देश के लिए नहीं स्वयं के लिए लड़ाई लड़ी क्योंकि मंगल पांडे को गाय और सुअर की चर्बी के कारतूस मुंह से खोलना मंजूर नही हुआ!
भानु नंदवंशी✍
समाज चिंतक

डिस्क्लेमर : लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं है