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2014 में भारत का क़र्ज़ 55 लाख करोड़ रुपये था, जो अब 155 लाख करोड़ है : कांग्रेस

कांग्रेस ने शनिवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत का कर्ज करीब तीन गुना बढ़कर 155 लाख करोड़ रुपये हो गया है। उसने अर्थव्यवस्था की स्थिति पर श्वेत पत्र लाने की मांग की है। पार्टी की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार का आर्थिक कुप्रबंधन अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने दावा किया कि 2014 में मौजूदा सरकार के कार्यभार संभालने के बाद से 100 लाख करोड़ रुपये का कर्ज बढ़ गया है।

उन्होंने आगे कहा, गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी राजनीतिक रूप से दूसरी तरफ खड़े लोगों को अक्षम और भ्रष्ट बताते हुए दोषी ठहराते थे। यहीं विशेषण आज उनपर और उनकी सरकार पर ज्यादा फिट बैठते हैं। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि की कहानी को बर्बाद करने, भारी बेरोजगारी पैदा करने, महंगाई बढ़ाने के बाद मोदी ने जो अकल्पनीय काम किया है वो भारत के कर्ज में 100 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की वृद्धि की है, जो खतरनाक स्तर पर है।

‘मोदी सरकार ने 100 लाख करोड़ रुपये से अधिक बढ़ा दिया कर्ज’
कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि 2014 में भारत का कर्ज 55 लाख करोड़ रुपये था, जो अब 155 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। उन्होंने दावा किया कि 67 साल में 14 प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल में भारत का कर्ज 55 लाख करोड़ रुपये था जबकि अकेले मोदी ने इसे 100 लाख करोड़ रुपये से अधिक बढ़ा दिया है। आर्थिक प्रबंधन हेडलाइन प्रबंधन के समान नहीं है। यह टेलीप्रॉम्प्टर के माध्यम से नहीं किया जा सकता है और निश्चित रूप से व्हाट्सएप फॉरवर्ड के माध्यम से नहीं। हम भारतीय अर्थव्यवस्था पर श्वेत पत्र की मांग करते हैं क्योंकि खामियां गहरी होती जा रही हैं।

’10 फीसदी सबसे अमीर लोगों के पास देश की 80 फीसदी संपत्ति’
श्रीनेत ने यह भी दावा किया कि देश की तीन फीसदी संपत्ति रखने वाले निचले 50 फीसदी भारतीयों ने जीएसटी संग्रह का 64 प्रतिशत भुगतान किया। दूसरी ओर, 10 फीसदी सबसे अमीर लोगों के पास देश की 80 फीसदी संपत्ति है, लेकिन वे एकत्र किए गए जीएसटी का केवल तीन फीसदी का भुगतान करते हैं। श्रीनेत ने दावा किया कि भारत में सबसे महंगा एलपीजी सिलेंडर है और यह तीसरा सबसे महंगा पेट्रोल और दुनिया का आठवां सबसे महंगा डीजल वाला देश है। कांग्रेस नेता ने कहा कि 155 लाख करोड़ रुपये के कर्ज का मतलब है कि हर भारतीय 1.20 लाख रुपये के बोझ तले दबा हुआ है।

‘भारत का जीडीपी अनुपात बढ़कर हो गया 84 फीसदी’
उन्होंने दावा किया, मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में हर सेकेंड चार लाख रुपये का कर्ज लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को इस कर्ज पर 11 लाख करोड़ रुपये का वार्षिक ब्याज चुकाना है।कांग्रेस प्रवक्ता ने दावा किया कि भारत का कर्ज-जीडीपी अनुपात बढ़कर 84 फीसदी हो गया है और यह अन्य विकासशील और उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में खतरनाक है, जहां औसत ऋण-जीडीपी अनुपात 64.5 फीसदी है।

‘सालाना 11 लाख करोड़ रुपये की लागत वहन कर रहा भारत’
उन्होंने कहा, भारत इस बढ़ते कर्ज को चुकाने के लिए सालाना 11 लाख करोड़ रुपये की लागत वहन कर रहा है। भारत की कर्ज अदायगी क्षमता पर अब सवाल उठने लगे हैं। कैग की रिपोर्ट के अनुसार, 2019-20 में सरकारी कर्ज जीडीपी का 52.5 फीसदी था और उस साल ऋण स्थिरता नकारात्मक हो गई थी। जीडीपी के 84 फीसदी पर कर्ज होने के कारण कर्ज की स्थिरता संदिग्ध है।