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2014 से खट्टर सरकार ने गौरक्षा के नाम पर ज़ुल्म करने वालों को पुलिस का दामाद बना कर रखा हुआ है-@asadowaisi

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने नूंह और गुरुग्राम में हुई हिंसा पर कहा था कि आबादी इतनी ज़्यादा है, पुलिस सबकी सुरक्षा नहीं कर सकती है.

अब खट्टर के इस बयान पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने जवाब दिया है.

ओवैसी ने ट्वीट किया, ”हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस सबकी सुरक्षा नहीं कर सकती, लेकिन 2014 से खट्टर सरकार ने गौरक्षा के नाम पर ज़ुल्म करने वालों को पुलिस का दामाद बना कर रखा हुआ है, उन्हें क़ानून का पूरा संरक्षण मिलता है.”

ओवैसी बोले, ”खट्टर ने कुछ दिन पहले कहा था कि वो मोनू मानेसर को पकड़ने में राजस्थान पुलिस का सहयोग करेंगे, तो अब तक मोनू मानेसर आज़ाद क्यों है? अगर पुलिस ना-काफ़ी है तो नरेंद्र मोदी को केंद्रीय फोर्स को भेजना होगा या साफ-साफ कह देना होगा कि संवैधानिक तौर पर सरकार चलाना उनके बस की बात नहीं है.”

ओवैसी ने उन तस्वीरों को भी री-ट्वीट किया, जिनमें मोनू मानेसर पुलिस के अधिकारियों के साथ देखे जा सकते हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि मोनू मानेसर के नूंह आने की ख़बरों के कारण ही हिंसा भड़की थी. इस हिंसा में छह लोगों की मौत हुई है.

 

Asaduddin Owaisi
@asadowaisi
हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस सबकी सुरक्षा नहीं कर सकती, लेकिन 2014 से खट्टर सरकार ने गौरक्षा के नाम पर ज़ुल्म करने वालों को पुलिस का दामाद बना कर रखा हुआ है, उन्हें क़ानून का पूरा संरक्षण मिलता है। खट्टर ने कुछ दिन पहले कहा था कि वो मोनू मानेसर को पकड़ने में राजस्थान पुलिस का सहयोग करेंगे। तो अब तक मोनू मानेसर आज़ाद क्यों है? अगर पुलिस ना-काफी है तो
@narendramodi
को केंद्रीय फोर्स को भेजना होगा। या साफ-साफ कह देना होगा कि संवैधानिक तौर पर सरकार चलाना उनके बस की बात नहीं है।


Mohammed Zubair
@zoo_bear
Feb 17
A few pictures of Monu Manesar seen with police officials and bureaucrats. He was pictured with Superintendent of Police Rajesh Duggal, Additional SP Bipin Sharma, IPS officer Bharti Arora, Commissioner of Police Kala Ramachandran and many other police officials.

Gulfam Ali
@GulfamA59188645
भारतीय कानून व्यवस्था कमजोर पड़ गई है इसीलिए ऐसे लोगों को बढ़ावा दिया जाता है समाज में अराजकता फैलाते हैं जिसे किसी का भला नहीं होने वाला यह हमेशा समाज के लिए खतरा है

2024 के चुनाव से पहले नूंह जैसी सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं घट सकती हैं- मलिक

सत्यपाल मलिक ने नूंह की हिंसा को सुनियोजित हिंसा बताया है।

जम्मू व कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यापाल मलिक का कहना है कि हरियाणा के नूंह में होने वाली हिंसा पूरी तरह से सुनियोजित थी। उन्होंने ट्वीट करके लिखा है कि नूंह में झड़पें पूरी तरह से सुनियोजित थी।

सत्यपाल मलिक के अनुसार 2024 के आम चुनाव से पहले इस प्रकार की हिंसा की और भी संभावना पाई जाती है। मलिक लिखते हैं कि अगर इन सत्ताधारी लोगों पर क़ाबू नहीं पाया गया तो पूरा ही देश मणिणुर की तरह जल जाएगा।

सत्यपाल मलिक का मानना है कि नूंह में आरंभ होने वाली हिंसा और देश में अलग-अलग होने वाली हिंसा अनायास नहीं हैं बल्कि सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के लिए सात या आठ स्थानों पर सुनियोजित ढंग से हमले किये गए। उनका कहना है कि देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है और अभी पता नहीं है कि आगे क्या होगा?

याद रहे कि भारत के हरियाणा राज्य के नूंह में विश्व हिंदु परिषद की यात्रा के दौरान सांप्रदायिक हिंसा हुई। इस हिंसा में तोड़फोड़ और आगज़नी की गई। कई स्थानों पर जमकर पथराव हुआ। नूंह हिंसा में अबतक मरने वालों की संख्या 6 हो चुकी है। फिलहाल वहां के हालात शांत पर तनावपूर्ण बताए जा रहे हैं।

कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म करने की कोई बुनियाद नहीं थीः वकील कपिब सिब्बल की सुप्रीम कोर्ट में दलीलें

भारत में चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय बेंच ने देश के संविधान की धारा 370 को हटाए जाने के ख़िलाफ़ याचिकाओं की सुनवाई की। इस आर्टिकल के तहत भारत नियंत्रित कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा हासिल था।

याचीकर्ताओं की ओर से पेश होने वाले सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि भारतीय संसद ख़ुद को संविधान सभा क़रार नहीं दे सकती।

द वायर की रिपोर्ट के अनुसार कपिल सिब्बल ने याचीकर्ता मुहम्मद अकबर लोन की ओर से अपनी गुज़ारिशें पेश कीं कि किस तरह मोदी सरकार ने पांच साल पहले उचित प्रक्रिया और क़ानून के प्रभुत्व के मूल तत्वों को नुक़सान पहुंचाकर एकपक्षीय रूप से भारत की संघीय स्कीम से पर्दा उठाया।

जम्मू कश्मीर के भारत से जुड़ने का इतिहास बताते हुए कपिल सिब्बल ने आर्टिकल 370 के अनुच्छेद 3 पर रौशनी डाली जिसमें कहा गया था कि राज्य जम्मू व कश्मीर और भारतीय युनियन के बीच संबंध में किसी भी प्रकार का बदलाव राज्य संविधान सभा की सिफ़ारिश पर ही हो सकता है।

सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि गवर्नर के ज़रिए जो रज़ामंदी दी गई वो राज्य के लोगों की मर्ज़ी को ज़ाहिर नहीं करती। उन्होंने कहा कि कश्मीर के पास अलग संविधान है इसलिए देश की संसद को कश्मीर के लिए क़ानूनसाज़ी की सीमित गुंजाइश हैं।

तर्क देते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि संविधान ख़ुद एक राजनैतिक दस्तावेज़ है, एक बार जब लागू हो जाता है तो सारे संस्थान संविधन के तहत चलते हैं और वे संस्थान संविधान की धाराओं के अनुरूप अपने अधिकारों के इस्तेमाल तक सीमित रहते हैं।

उनका कहना था कि संसद ख़ुद को संविधान सभा में नहीं बदल सती, यह हो चुका है, संसद को राज्य की विधायिका के बारे में फ़ैसला करने का अधिकार कहां से मिलता है।

इस मसले पर गुरुवार को भी सुनवाई जारी रही और शुक्रवार को भी स्थानीय समय के अनुसार सुबह 11 बजे सुनवाई आगे बढ़ेगी।

डिस्क्लेमर : ट्वीट् में व्यक्त विचार लोगों के अपने निजी विचार और जानकारियां हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं है