ऋचा
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लघुकथा के परिंदे
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आग
“ये कौन सुँदरी है वे? आज गाँव में पहली दफा देखा है।”
“छोटे टोला की है ठाकुर! जानते तो हो
छोटे टोला की लडकियाँ घर से बाहर ही नहीं निकला करती थी तो बस्ती के बाहर तो दूर की बात है।”
“हाँ, मगर है गजब की सुंदर वला, उसके बाप को लगा ले किसी काम पर।”
“जी हजूर,जैसा आप कहें।”
“दोपहर रोटी -भात देने तो आयेगी ही दर्शन हो जायेगें।”
“दूसरे दिन, का रे सुखवा कितने बच्चे है तेरे।”
“एक बेटा और एक बेटी हजूर।”
अच्छा!तभी “ले तेरा खाना आ गया, बेटा है ये तेरा।”
“जी मालिक।”
“क्या करता है?”
“जी कुछ नही मालिक।”
“कल से इसे भी खेत में लगा देता हूँ।”
“जी मेहरबानी, मालिक।”
दूसरे दिन, “अरे तेरा खाना नहीं आया अब तक।”
“जी हजूर इसकी बहन का कल गौंना कर दिया। दूर था ससूराल तो इसकी माई साथ गयी है आज भूखे ही रहेगे,मगर चैन से सोयेंगे मालिक।”
“अच्छा।”
“आप चाहो तो दो रोटी दे दो,वैसे हम दोनो को काम पर लगा कर बडा एहसान किया है आपने, सारे गाँव में गुन गा रहा हूँ आपके सरकार।”
“हूँ। “
“इन बूढी हड्डियों में बडी ताकत है मालिक, मगर कोई काम न देता था।”
“हाँ, हाँ, चुप रह और ये आग की आँच कम कर बडी गर्मी लगी है।”
” जी मालिक।”
ऋचा यादव
बिलासपुर छत्तीसगढ़
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Badal Saroj
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#कोरबा_नगरनिगम_में_सीपीएम
आज घोषित नतीजों में कोरबा नगर निगम में माकपा की दोनों युवा महिला प्रत्याशी धमाकेदार तरीके से जीत गई हैं ।
● भैरोताल वार्ड से सुरती कुलदीप ने 1161 वोट हासिल कर अपने निकटतम भाजपा प्रत्याशी को 444 मतों से पराजित किया है। यहां माकपा ने लगातार तीन बार पार्षद रहे कांग्रेस प्रत्याशी को तीसरे स्थान पर धकेल दिया ।
● मोंगरा वार्ड से राजकुमारी कंवर ने 1055 वोट पाकर निकटतम कांग्रेस प्रत्याशी को 299 मतों से पराजित किया है।
◆ लाल जोहार सुरती और राजकुमारी ।
◆ लाल सलाम कोरबा और छग #सीपीएम
Wasim Akram Tyagi
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उत्तर प्रदेश पुलिस अब पुलिस नहीं रही है, बल्कि वह योगी आदित्यनाथ की हिंदू युवा वाहिनी में परिवर्तित हो गई है। मुजफ्फरनगर में पुलिस ने घरों में वैसा ही उत्पात मचाया जैसा दंगाई मचाते हैं। सामान तोड़ना, महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों को प्रताड़ित करना, घर के बुजुर्गों को उठाकर ले जाना, यह सब कौन करता है? लेकिन उत्तर प्रदेश में यह सब हुआ है, और हो रहा है। इतना ही नहीं मुजफ्फरनगर में तो कई पुलिस अधिकारी एनआरसी, सीएए को लेकर भाजपा प्रचारक की भूमिक निभा रहे हैं, वे लोगों को बता रहे हैं कि इस क़ानून में ऐसा कुछ नहीं है, वैसा कुछ नहीं है। पुलिस संविधान से है, अगर संविधान ही नहीं बचेगा तो क्या इन पुलिसकर्मियों के तन पर वर्दी बचेगी? कोई भी आंदोलनकारी अगर हिंसा करता है तो उसके खिलाफ वही कार्रावाई की जाए जो हिंसा करने वालों के खिलाफ की जाती है, लेकिन पुलिस खुद हिंसा न फैलाए, कानून नागरिकों के लिये है, तो पुलिस के लिये भी कानून है। हिंसा करने का अधिकार न तो पुलिस को है और न ही नागरिक को, लेकिन यूपी में मानो जंगलराज है। सीसीटीवी फुटेज में पुलिस का वही चेहरा दिखा है जो अक्सर दंगाईयों का होता है। पुलिस यह न भूले कि इसी देश की जनता ने अंग्रेज़ों को भी भगाया है, तो ये तो फिर भी ‘अपने’ हैं। इसलिये भेदभावपूर्ण, कुंठाग्रस्त और सांप्रदायिकता से ग्रस्त होकर कार्रावाई न की जाए।