Wg Cdr Anuma Acharya (Retd)
@AnumaVidisha
लोकतंत्र अपनी भाषा से जाना जाता है लेकिन लोकतंत्र में भाषा की शुचिता अपनी अंतिम साँसे गिन रही है.पिछले 3 दिनों में
के अलावा और
@naqvimukhtar
के बयानों की भाषा ने बताया कि भाषा किस स्तर तक नीचे जा सकती है. यह किसी तरह से न तो विकास है और न विश्वगुरु की राह

Prem Narayan Singh Pal
@pnsinghpalINC
यूपी पुलिस चाहती है कि वो हमारे किसी भी नेता को अपहरणकर्ताओं की तरह उठा कर ले जाएगी और हम उनके खिलाफ नारे भी नहीं लगा सकते।
क्यों यूपी से लोकतन्त्र क्या ख़तम हो गया है कि कोई अपने पक्ष की बात भी नहीं रख सकता?
Srinivas B V
@srinivasiyc
पहले सादी वर्दी में कांग्रेसियों को बिना किसी आरोप के गिरफ्तार करो, फिर उप्र के थाने में जब गिरफ्तारी का कारण पूछा जाए तो कार्यकर्ताओं पर ये बर्बर लाठी चार्ज ?
योगी जी होश में आओ,
ये कांग्रेसी है अंग्रेजों की गोलियों से नही डरे तुम्हारे लाठी-डंडों की क्या हैसियत ?
Ajay Kumar Lallu
@AjayLalluINC
हम सब हजरतगंज कोतवाली में बैठे है, पुलिस अब भी साफ – साफ नहीं बता रही कि शाहनवाज जी को कहां लें गई है और ना ही यह स्पष्ट कर रही कि किस मामले में लाई है। जब तक प्रशासन स्पष्ट नहीं करती तब तक हम यहीं बैठेंगे।
योगी सरकार इस तरह का मुद्दा उठाने पर मुकदमे लगा देती है लेकिन असलियत यही है कि यूपी में लचर स्वास्थ्य सुविधाओं के अनेकों केस आ रहे हैं।
इस वीडियो को देखकर आप रो पड़ेंगे। लापरवाही की वजह से बच्चे की मृत्यु के बाद उसके मां – बाप उससे लिपट कर रो रहे हैंpic.twitter.com/lLlrJoiA36— UP Congress (@INCUttarPradesh) June 29, 2020

NDTV India
Prime Time,
June 18, 2020:
India-China Clashes in Galwan Valley
– इन दिनों तनाव बहुत है. किधर से गोली आ जाए किधर से कोरोना आ जाए. हम जितना भी सीरियस होने का प्रयास करते है उतना ही कुछ नहीं होता. दरसल अब यही होना है कि कुछ नहीं होना है. अब देखिए बहुत दिनों से राष्ट्रीय भावना आहत नहीं हो रही है. इस कारण एंकरों को माफी मांगनी पड़ रही है. क्योंकि जुबान फिसल जा रही है. ऐसा वो कहते हैं अपने माफी नामे में. जब राष्ट्रीय भावना आहत होती है और माहौल बन जाता है तब जुबान का कोई हिसाब नहीं करता है क्योंकि जुबान से ही बदला लेना होता है. भावना और आंकाक्षा में अंतर है इस कारण दो अलग-अलग शब्द बने हैं. पूरे देश में चीनी समानों के बहिष्कार की बात हो रही है. लेकिन सवाल यह है कि क्या चीनी सामान का बहिष्कार हम कर पाएंगे? क्या यह समस्या का हल है?
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