लद्दाख के अंदर चीन ने बहुत बड़े इलाके पर कब्ज़ा कर रखा है, तक़रीबन एक साल से भारत और चीन के बीच तनाव चल रहा है ये तनाव अब कम होने की खबरें आना शुरू हो गयी हैं, भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में बोलते हुए लद्दाख में मौजूद चीनी सेना के वापस जाने का एलान किया है उन्होंने बताया है कि चीन के साथ डील हो गयी है और चीन अब भारत से अपनी सेना की निकाल कर पहले वाली स्थिति पर ले जायेगा, विपक्षी नेता राहुल गाँधी भारत के चीन के साथ डील पर अनेक सवाल खड़े कर दिए हैं, राहुल गाँधी के मुताबिक मोदी ने भारत की ज़मीन चीन को दे दी है
यहाँ ये समझना जाना ज़रूरी है कि चीन ने अचानक भारत के अंदर घुसपैठ क्यों की थी, असल में चीन हमेशा से भारत के अंदर कई मामलों में दखल देता रहा है ये अलग बात है कि सरकार, नेता चीन का नाम नहीं लेता है, चीन ने लद्दाख में अपनी सेना को भारत के कश्मीर से 370, 35A ख़तम करने और गृहमंत्री अमित शाह के उस बयान के बाद लिया जब अमित शाह ने संसद में बोला था कि ‘अक्साई चिन’ भारत का हिस्सा है और वो इसके लिए अपनी जान भी दे देंगे, चीन का सी-पैक अक्साई चिन और पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर के ीालके से गुज़र रहा है
कोरोना के आने से पहले सूत्रों के मुताबिक भारत कश्मीर के उन इलाकों को जो पाकिस्तान के कब्ज़े में हैं वापस लेने का प्लान फाइनल कर चुका था, इसके लिए भारत को अमेरिका, फ्रांस, UK, इस्राईल से हरी झंडी मिल गयी थी, इसराइल और फ्रांस के सैन्य अधिकारी, एजेंसियों के लोग, पायलेट आदि कश्मीर में लोकेशन का मुआयना कर आये थे, बता दें कि पाकिस्तान के खिलाफ बालाकोट पर हमले के समय भी भारतीय सेना की तरफ से इसराइल और फ्रांस ने मदद की थी और उनके पायलेट उस कार्यवाही में शामिल रहे थे
कश्मीर के खिलाफ भारत की तैयारियों, प्लान को कोरोना के आने के बाद रोक लिया गया था, उदार हिन्द महासागर में अमेरिका भारत के साथ मिल कर चीन का रास्ता रोकने की कार्यवाही पर काम कर रहा था जिससे चीन का मलाइका पास ”रास्ता” को बंद करना था, हिन्द महा सागर में चीन का रास्ता बंद हो जाने के बाद उसके पास ट्रांसपोर्ट का कोई रास्ता नहीं बचता है, इसी लिए सी पैक चीन के लिए बेहद अहम् हो जाता है, मलाइका रूट अगर बंद हो जाता है तो वो PoK से गुज़र रहे सी पैक के ज़रिये अपना व्यापार जारी रख सकता है
ट्रम्प के समय में अमेरिका ने भारत को खिलाफ खड़ा किया गया था अब अमेरिका की सत्ता में जो बाइडेन आ चुके हैं और उनके काम करने का तरीका ट्रम्प जैसा नहीं है, बाइडेन सऊदी अरब के बहुत सख्त खिलाफ हैं और वो क्राउन प्रिंस को खासगी हत्या में सज़ा दिलवाना चाहते हैं, जो सऊदी अरब पाकिस्तान से बहुत नाराज़ था और उसे ऑल सप्लाई रोक दी थी और अपना सारा पैसा वापस मांग लिया था, सऊदी अरब को भी मोदी की तरह उम्मीद थी कि ‘अबकी बार ट्रम्प’ सरकार फिर आ जाएगी लेकिन जो सोचा था वो नहीं हुआ, बाइडेन के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद नए समीकरण बने हैं, सऊदी अरब को अब पाकिस्तान की ज़रूरत आन पड़ी है, और उसने पाकिस्तान का आयल सप्लाई जारी रखने का इरादा कर लिया है जो क़र्ज़ वापस लेना था उसके वापस लेने से भी एक साल तक के लिए मना कर दिया है, UAE भी इसराइल से डील करके खुद को फंसा महसूस कर रहा है और UAE ने भी पाकिस्तान से अपना क़र्ज़ वापस नहीं लेने का हुकुम जारी कर दिया है
ट्रम्प ने अफ़ग़ानिस्तान में शांति के लिए समझौता किया था जिसे बाइडेन शायद ख़तम कर जंग जारी रखे, अफ़ग़ानिस्तान में अगर जंग जारी रहती है तो अमेरिका को पाकिस्तान की हर हाल में ज़रूरत होगी, पाकिस्तान के खिलाफ जिस तरह ट्रम्प सरकार का रवैया था बाइडेन का वैसा नहीं रहेगा ये बाइडेन प्रशासन के हालिया बयानों से भी लगता है जबकि बाइडेन ने लम्बे समय के बाद भारत के प्रधानमंत्री से छोटी सी औपचारिक बात की है, उसी बाइडेन ने चीन के राष्ट्रपति से दो घंटे लम्बी बात की है, जिस से ज़ाहिर होता है कि चीन की क्या अहमियत है
कोरोना के बाद दुनियां के समीकरण बदले हैं, चीन के साथ भारत की डील रूस के अंदर भारत-चीन समझौते के तहत हुई है, सूत्रों के मुताबिक भारत ने अपने देश की जनता के सामने चेहरा बचाने के लिए चीन से डील की है, सूत्रों के अनुसार ये डील रूस के दखल के बाद हुई है, रूस चीन को अमेरिका के सामने किसी तरफ से दबाव न रहे से बचाना चाहता है, इस डील के मुताबिक भारत साउथ चीन सी, मलाइका रूट समेत पाकिस्तान के अंदर चीन के किसी भी प्रोजेक्ट को नुक्सान नहीं पहुंचाएगा, ताइवान के मामले में भारत खुद को अलग रखेगा और अमेरिका के लिए चीन के खिलाफ किसी भी मुहीम में शामिल नहीं होगा
रूस के लिए भारत अब बहुत अहमियत नहीं रखता है उसने चीन की सलाह, मध्यक्षता के बाद पाकिस्तान के साथ अपने सम्बन्धों को मज़बूत करने की तरफ कदम बढ़ा दिए हैं
डील हुई है ये ख्याल रखें, डील और समझौते में बहुत फ़र्क़ होता है, अभी लद्दाख से सिर्फ दोनों देशों की सेनाएं अपने भारी युद्ध में काम आने वाले सामान को हटा रही हैं जबकि सैनिक जैसे मौजूद हैं अभी उनके बारे में कोई फैसला नहीं हुआ है…parvez khan
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27/10/2020
मार्च 2020 से लेकर अभी तक भारत और चीन के बीच सरहद पर मुस्तकिल तनाव बना हुआ है, दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने खड़ी हैं, दोनों देश युद्ध जैसी तैयारियों में लगे हुए हैं, चीन ने इस दौरान भारत के 20 सैनिकों की हत्या भी कर दी थी, साथ चीन ने लद्दाख सीमा से लगे बड़े भू-भाग जबरन कब्ज़ा कर लिया था, भारत की सरकार विशेष कर प्रधानमंत्री ने शुरू शुरू में तो कहा था कि ‘न कोई हमारी सीमा में घुसा है, न हमारी ज़मीन पर कब्ज़ा हुआ है’ लेकिन अंतरष्ट्रीय मीडिया की रिपोर्ट्स के बाद भारत को मजबूरन मानना पड़ा कि चीन ने भारत की ज़मीन पर कब्ज़ा कर लिया है, रक्षा मंत्री ने संसद में बयान दिया और बताया कि चीन ने 38 हज़ार वर्ग किलोमीटर के इलाके पर कब्ज़ा कर लिया है
भारत सरकार और सरकार समर्थित भारतीय मीडिया चीन के अतिक्रण को लेकर जनता के सामने ग़लत रिपोर्ट/जानकारियां अभी भी देते हैं जबकि अभी तक चीन कब्ज़ा की हुई भारत की ज़मीन से वापस नहीं गया है
टीवी-9, इंडिया टीवी, ज़ी न्यूज़ आदि अन्य कई चैनलों पर दिखाई जाने वाली ख़बरों में तो हर रोज़ बताया कि ‘भारतीय सेना के हाथों मुंह की खाने के बाद चीन के होंसले पस्त’, भारत की सेना के आगे चीन ने घुटने टेके’, ये ऐसी खबरें हैं जिन में एक फीसद भी सच्चाई नहीं होती, इनको केवल एजेंडे के तहत दिखाया ताकि जनता ये न सोचे समझे कि लद्दाख में भारत कुछ कर नहीं रहा है
तनाव के बीच खबर है कि भारत और चीन के दरमियान समझौता लगभग फ़ाइनल हो चुका है, ये समझौता डोकलाम मॉडल के तहत हुआ है, बता दें कि चीन ने चीन ने अरुणाचल प्रदेश के डोकलाम में घुसपैठ कर कई महत्वपूर्ण इलाकों पर कब्ज़ा कर लिया था, तनाव और ज़ियादा न बढे इसके लिए समझौता कि चीन गया है अब उससे आगे नहीं जाएगा, और इसके सम्बन्ध में मीडिया अथवा सरकारों के लेवल पर कोई बयानबाज़ी नहीं की जायेगी, सूत्रों के मुताबिक चीन के दोनों हाथों में लड्डू थे, उसे जो चाहिए था वो उसमे कामयाब रहा, सूत्रों के मुताबिक लद्दाख के मामले में भी अब यही ‘डोकलाम मॉडल’ पर काम होता नज़र आएगा
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक भारत-चीन के बीच जो समझौता हुआ है या होने की सम्भावना है, वो इस प्रकार है
– भारत और चीन का समझौता हो गया है, कब्जा किये इलाको से चीन नही हटेगा, फिगर 1 से 8 तक चीन का कब्जा रहेगा लेकिन कहा ये जायेगा कि दोनो देश पीछे हट गये है
– समझौते के मुताबिक चीन, अमेरिका तनाव/युद्ध की सूरत मे भारत, अमेरीका को मदद नही करेगा
– समझौते के तहत भारत साउथ चाईना सी, PoK , बलोचिस्तान, गिलगित मे चीन के हितो से खुद को अलग रखेगा
– समझौते के तहत चीन अपनी ओर से कोई बयान नही देगा, भारत सरकार और मीडिया भारत की जीत बताकर जनता को खुश कर करेंगी
– भारत लद्दाख आदि सीमा के निकट कोई नया निर्माण नहीं करेगा
– भारत, अफ़ग़ानिस्तान के अंदर चल रही शांति प्रक्रिया को प्रभावित करने जैसा कोई कार्य नहीं करेगा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन दबाव कर अपना मक़सद पूरा कर लेना चाहता है, इस तरह से उसे युद्ध भी नहीं करना पड़ेगा साथ ही लद्दाख के इलाके पर उसका मुकम्मल कब्ज़ा भी बना रहेगा