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31 महीने बाद जेल से रिहा होने पर बोले प्रोफ़ेसर आनंद तेलतुंबडे-दुख की बात है फ़र्जी मामले में सालों जेल की सलाखों के पीछे बंद रखा!

मानवाधिकारों के पक्षधर लेखक और शिक्षक प्रोफ़ेसर आनंद तेलतुंबडे जेल से रिहा हो गए हैं.

एल्गार परिषद और माओवादियों से संबंध के आरोप में आतंकवाद विरोधी क़ानून यूएपीए के तहत गिरफ़्तार किए गए तेलतुंबडे नवी मुंबई की तलोजा सेंट्रल जेल में बीते 31 महीने से बंद थे.

जमानत मिलने के आठ दिन बाद रिहा हुए तेलतुंबडे

18 नवंबर 2022 को बॉम्बे हाई कोर्ट ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में अभियुक्त प्रोफ़ेसर आनंद तेलतुंबडे को जमानत दी थी.

लेकिन राष्ट्रीय जांच एजेंसी (यानी एनआईए) के अनुरोध पर हाई कोर्ट ने इस आदेश पर एक हफ़्ते के लिए रोक लगा दी थी.

इसके बाद एनआईए तेलतुंबडे की जमानत को ख़ारिज करने की याचिका के साथ सुप्रीम कोर्ट पहुंची.

इस पर सुनवाई करते हुए 25 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए की अपील को ख़ारिज कर दिया और उन्हें तत्काल रिहा करने का आदेश जारी किया.

Ashok Swain
@ashoswai

71-yrs old Professor Anand Teltumbde, a Dalit activist, was kept in jail for 31 months by the Modi regime on false terror charges. He was released by the Supreme Court today on bail.

रिहाई के बाद क्या बोले तेलतुंबडे?

न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ तेलतुंबडे ने रिहाई के बाद कहा, “31 महीने बाद जेल से बाहर आ कर ख़ुश हूं. लेकिन दुख की बात है कि ये एक फ़र्जी मामला था जिसने हमें सालों जेल की सलाखों के पीछे बंद रखा.”

73 वर्षीय आनंद तेलतुंबडे के साथ मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने भी एनआईए के सामने साल 2020 में सरेंडर किया था.

प्रोफ़ेसर तेलतुंबडे के ख़िलाफ़ आरोप ये लगाए गए कि वे नक्सलियों से पैसे ले रहे थे और उनकी विचारधारा को फ़ैलाकर उनके लिए नए सिपाही तैयार कर रहे हैं.