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4.12.1829 को “राजाराम मोहन राय” जी के अथक प्रयासों से वायसराय ने घिनौनी दिल दहलाने वाली अमानवीय #सती_प्रथा समाप्त की…By-Dk Verma Verma

Dk Verma Verma
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आज ही के दिन 4.12.1829 – को “राजाराम मोहन राय” जी के अथक प्रयासों से वायसराय लार्ड विलियम बेंटिक ने अमानवीय
#सती_प्रथा समाप्त की।

सती प्रथा – एक घिनौनी दिल दहलाने वाली प्रथा

पति की मृत्यु होने पर पत्नी को चिता के साथ जिंदा जलना होता था, 90% औरतों को जबर्दस्ती या बहकाकर या नशे में करके जलाया जाता था.. क्यों ? धर्म/परंपरा के नाम पर। राममोहन राय के बडे़ भाई की विधवा को उनकी आँखों के सामने बलपूर्वक सती किया गया था, इसलिए उन्होंने आंदोलन चलाया, पर सफल नहीं हो पा रहे थे क्योंकि धर्म सभा इसको #धर्म में हस्तक्षेप मान रही थी और उनको धर्म विरोधी घोषित कर उनको खत्म करने की साज़िश हो रही थी.

कुछ मुस्लिम शासक भी इसके खिलाफ थे पर धर्म गुरुओं के आगे विवश थे। अंग्रेज़ भी चाहते थे कि ये क्रूर प्रथा खत्म हो पर धर्म के आगे उनकी भी नहींं चल रही थी, पर बहुत बहादुरी दिखाते हुए “गवर्नर जनरल विलियम बेंटिंक ने 1829 में सती रेगुलेशन एक्ट लागू करके सती प्रथा को गैरकानूनी घोषित कर दिया और सती प्रथा को बढ़ावा देने या सती के लिए उकसाने को दंडनीय अपराध करार देकर इस प्रथा पर रोक लगा दी। बेंटिंक ने साहस न दिखाया होता तो मुमकिन है कि सती प्रथा आज भी चल रही होती।”

धर्म- सभा भी चुप नहीं बैठी थी। उसने सतीदाह के कानून को रद्द करने के लिए इंग्लैंड की सरकार के पास अर्जी भेजी, पर वहाँ सब लोग वास्तविक स्थिति को समझ चुके थे, इसलिए धार्मिकों की अर्जी ठुकरा दी गयी।

सोचिये अगर आपकी उंगली जरा सी जल जाए तो कितना दर्द होता है यहाँ पूरा शरीर आग के हवाले किया जाता था, औरत चिता से उठ कर न भागे इसके लिए लोग तलवार, डंडे और भाले ले कर खड़े रहते थे उसको चिता में बनाये रखने के लिए। सोच सकते है कितना विभत्स होगा, जो कभी शमशान गए हो तो जानते होंगे कि मुर्दा शरीर के भी हाथ पैर उठते हैं आग के कारण जिन्हें डंडों से दबाया जाता है। फिर यहां तो जिंदा शरीर था वो भी 90% महिलाओं को उनकी मर्जी के खिलाफ…महिलाएं सिर्फ गुलाम थीं कि पति खत्म तो तुम भी खत्म, ऐसी और भी कुरीतियां हैं जहां महिला को इंसान नहीं समझा गया।
अफ़सोस आज भी ऐसी तमाम कुरीतियां हैं जो महिलाओं पर थोपी जाती हैं..
प्रश्न सहित note?!

धर्म सभा के नेतृत्व कर्ता कितनी असंवेदनशील कुत्ते प्रकृति के रहे होगें,,