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#40yearsofsadma : सदमा की कहानी सियार, नीले रंग और बारिश की कहानी है!

रेहान अहमद
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#40yearsofsadma
करीब 41 साल पहले निर्देशक बालू महेंद्र ने कमल हासन और श्री देवी को लीड लेकर एक फिल्म बनाई मुंद्रम पिराई। इस फिल्म को बहुत तारीफ मिली। बालू महेंद्र और कमल हासन इस फिल्म को हिंदी भाषी दर्शको के सामने भी रखना चाहते थे, पर डबिंग के बजाय दोनो ने पूरी फिल्म को फ्रेम दर फ्रेम फिर से हिंदी भाषा में शूट किया। कास्ट लगभग वही रखी गई दो चार किरदारों को छोड़कर। चालीस साल पहले मुंद्रम पिराई का ऑफिशियल हिंदी रिमेक सदमा रिलीज हुआ। ओरिजिनल फिल्म के गानों को गुलजार ने हिंदी में ट्रांसलेट किया और गुलजार के लिखे गाने ओरिजनल फिल्म के गानों से भी ज्यादा पॉपुलर हो गए। फिल्म अपनी कहानी, और श्री देवी और कमल की केमिस्ट्री और एक्टिंग की वजह से फिल्म बहुत से लोगो के दिलो में खास जगह रखती है।

बहुत से लोग सदमा की एंडिंग और उसकी कहानी को लेकर कंफ्यूज रहते है, कि अंत में जो हुआ वो क्यू हुआ और उसका क्या मतलब निकलता है।
सदमा की कहानी को समझने के लिए एक और कहानी समझनी पड़ेगी जो लगभग सबने सुन रखी है।कहानी का नाम है”रंगा सियार”। इस कहानी का निचोड़ ये है कि एक सियार किसी तरह से भटकते हुए एक धोबी के बर्तन में गिर जाता है, बर्तन में धोबी ने नील घोल रखा था, जिसकी वजह से सियार जब बाहर निकलता है तो उसका पूरा शरीर नीले रंग का हो जाता है, जंगल के किसी भी जानवर ने आज तक ऐसे हुलिए का जानवर न देखा था, न ही कभी सुना था। सब पहले उससे डरते है, और फिर उसे राजा स्वीकार कर लेते है। कुछ दिन पहले यहां से वहा भटकने वाला सियार, जिसे सिर्फ एक ठिकाना चाहिए था, वो आज किस्मत की वजह से जंगल का राजा बन गया है।

अब जो कहानी हमने सुनी है उसके मुताबिक सियार राजा बनने के बाद बाकी जानवरो को तंग करने लगता है। और कुछ समय अचानक से बारिश होती है, बारिश से भीगकर सियार के बदन का सारा रंग उतर जाता है और वो अपनी पुरानी शक्ल में आ जाता है। उसकी असली शक्ल देखकर, कुछ देर पहले उसे राजा मानने वाले जंगल के जानवर अब उसे पाव की धूल भी नही समझते। सिर्फ एक बारिश की वजह से सियार वहा आ गया जहा पर वो कुछ दिन पहले खड़ा था। इस कहानी को पढ़कर हमे ये समझ आता है कि झूठ का अंत भयावह होता है। हम सियार से नफरत करते है, पर। अगर उस कहानी में सियार अपनी फितरत के बिलकुल विपरीत हो तो कहानी का असर बदलेगा या वैसा ही रहेगा?

अब इसी कहानी को इस तरह से सुनिए। एक जंगल है, उसमे एक सियार है, अकेला। न उसका अपना कोई परिवार है, ना कोई झुंड। प्रकृति ने उसे जिस तरह से बनाया है उस कारण वो दूसरे जानवरों के लिए कोई अहमियत नही रखता है। अकेला सियार जंगल में यहां से वहा भटकता रहता है इस उम्मीद में कि शायद उसे भी इज्जत मिले प्यार मिले। पर प्रकृति और नियति के चलते ऐसा होना मुमकिन नही था। फिर एक दिन अचानक से नियति अपनी चाल चलती है, वो जानबूझकर नही, बल्कि गलती से नियति के कारण नीले रंग में गिर जाता है। सियार खुद नही जानता है कि क्या हुआ है। पर रंग के बर्तन से निकलने के बाद सियार जब जंगल में घूमता है तो उसे अहसास होता है कि सब उसे देख रहे है, पहले उस पर किसी की नजर नही पड़ती थी पर आज हर जानवर उसे देख रहा है, उससे डर रहा है, उससे प्यार कर रहा है, और उसे जानने लगा है। इस नए बदलाव से खुश सियार पानी पीने जाता है तो उसे परछाई देखकर सब समझ आ जाता है कि लोग उसके असली चेहरे के बजाय इस नए चेहरे को देख रहे है।

अब सियार के पास दो रास्ते है या तो अपनी असलियत बताकर वो सब कुछ खो दे जो उसकी पूरी जिंदगी का ख्वाब है, या फिर झूठ को बनाए रखते हुए इस ख्वाब को कुछ दिन और जी ले, क्युकी सियार को भी मालूम है कि एक दिन बारिश आनी ही है।सियार अच्छे राजा की तरह जंगल के लोगो का ख्याल रखता है, उनसे प्यार करता है, उनकी हिफाजत करता है। इस दौरान एक तरफ सियार को अपनी असलियत खुलने का भी डर है, और दूसरी तरफ सियार लोगो की अहमियत और प्यार से अपनी जिंदगी के सबसे खूबसूरत दौर को जी रहा है। इस डर और प्यार के बीच में एक दिन बारिश हो जाती है, बारिश सियार के बदन से नीला रंग उतार देती है, और रंगा सियार अब सिर्फ सियार था। जंगल वाले पुराने उसी रवैए पर लौट आते है, और सियार को झूठा फरेबी मानते हुए पहले से ज्यादा नफरत करने लगते है। टपकते रंग के दरम्यान बैठा सियार बस ये सोच रहा है, कि ये चार दिन की खुशी के लिए, जंगल वालो की जिंदगी भर की नफरत ले लेना, उसके लिए एक फायदे का सौदा था या घाटे का।

सदमा की कहानी सियार, नीले रंग और बारिश की कहानी है।
इस कहानी में सियार सोमू (कमल हासन) है। जो अपनी जिंदगी में अकेला है, उसकी एक तय दिनचर्या जिसपर वो सालो से गुजारा कर रहा है। एक दिन वो एक कोठे पर जाता है, वहा उसे एक लड़की मिलती है जिसका नाम रेशमी(श्री देवी) है। रेशमी सोमू के जीवन का नीला रंग है जिससे अब उसकी जिंदगी बदलने वाली थी।पर सियार की तरह सोमू को भी नही मालूम कि वो इस नीले रंग में गिरने वाला है।

कमल हासन को जब पता चलता है कि रेशमी का दिमाग छे साल के बच्चे का है तो वो कोठे की मालकिन को बेवकूफ बनाकर अपने गांव ले आता है। जिस तरह रंगे सियार के पास सच बताने का ऑप्शन था, उसी तरह से कमल हासन के पास भी मौका था कि वो रेशमी को बचाकर तो ले आया है अब उसे उसके परिवार तक पहुंचाने की कोशिश करे। पर सोमू जो जिंदगी भर अकेला था, रेशमी को पाकर सब भूल जाता है। सोमू को भी बारिश का डर है, कि एक दिन बारिश होगी और नीला रंग उतर जायेगा। जैसे सियार के साथ होता है उसी तरह सोमू के साथ होता है और एक दिन बारिश हो जाती है। नीला रंग उतर जाता है, सोमू बारिश के अस्तित्व को नकारने की कोशिश करता है, पर रेशमी सोमू के इस चेहरे को पहचानती ही नही है, वो तो उस नीले रंग के खुमार में थी जो अब उतर चुका है, अब सोमू कुछ भी नही है उसकी नजर में। वो भागता है रेशमी के पीछे, अपने रंग के पीछे, पर वो रंग उसका था नही, वो बस कुछ देर के लिए ही उसके पास आया था, जैसे मुट्ठी में रेत कुछ देर के लिए ही रहती है, जैसे फूलो को बहार का मौसम कुछ वक्त के लिए नसीब होता है, उसी तरह सोमू की जिंदगी में भी रेशमी कुछ वक्त के लिए ही आई थी। ये बात वो शुरू से जानता था, पर रेशमी को पाने की खुशी में उसे ये गलतफहमी पाल ली थी कि बारिश अब नही आयेगी कभी, वो नियति के हाथ में खेलता हुआ, प्रकृति के नियम भूल चुका था।

मुझे सदमा के दोनो वर्जन देखे बहुत दिन हुए है, इसलिए मैं श्योर नही हूं पर शायद ओरिजिनल में और हिंदी में एक गाने का फर्क था। सदमा फिल्म में सोमू का किरदार रेशमी को एक कहानी गाकर सुनाता है, ये गाना शायद ओरिजिनल में नही है। इस गाने में सोमू एक गीदड़ की कहानी सुनाता है, फर्क ये है कि सोमू की कहानी में सियार की जगह गीदड़ होता है, और बारिश के बजाय गीदड़ के झुंड के साथ आवाज मिलने से उसकी पोल खुलती है।
कुछ लोगो का कहना है कि एक्टिंग और इमोशन के लिहाज से सदमा का क्लाइमैक्स सीन हिंदी सिनेमा के सबसे बेहतरीन सीन में जगह रखता है। जिन्होंने इस सीन को देखा है, वो जानते है कि कुछ लोग ऐसा क्यों कहते है।
#rehan