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#केरल स्टोरी : नरेंद्र मोदी से पूछो, गुजरात की लड़कियां कहाँ ग़ायब हो गई हैं?

Ravish Kumar
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जल्दी ही बीजेपी में फ़िल्म प्रचार प्रकोष्ठ खुलने वाला है। उसके साथ मन की बात प्रकोष्ठ भी खुलेगा। जिस तरह से बीजेपी के कार्यकर्ताओं को मन की बात सुनाने के लिए टेबल-कुर्सी का इंतज़ाम करना पड़ रहा है, उसी तरह समय-समय पर फ़िल्म का भी प्रचार करना पड़ेगा। 24 के चुनाव के समय ऐसी कई फ़िल्में आने वाली हैं। केरल स्टोरी के स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तो एक फ़्लॉप फ़िल्म पहले ही बन चुकी है लेकिन इससे मोदी ने फ़िल्मों का प्रचार बंद नहीं किया है। एक दिन बीजेपी के पीएम का रील्स भी घर-घर जाकर दिखाना होगा। मुझे हैरानी है कि प्रधानमंत्री ने अभी तक कोई गीत क्यों नहीं लिखा और उसे किसी ने गाया क्यों नहीं है।

नरेंद्र मोदी ने अपनी पार्टी को जितना बेवकूफ बनाया है, उतना किसी को नहीं। बजरंग दल पर बैन की बात हुई तो बजरंग दल को ही छोड़ दिया। लगे बजरंग बली की जय बोलने। सबको लगा कि मास्टर स्ट्रोक है। लेकिन एक शब्द बजरंग दल की प्रशंसा में नहीं कहा कि इस दल को कोई बैन करके दिखाए। बजरंग दल को यह कभी नहीं दिखेगा क्योंकि उनका भी तो ब्रेन वॉश हुआ है।ध्रुव राठी ने केरला स्टोरी पर जो रिपोर्ट बनाई है, उसे वो लोग देख सकते हैं, जिनकी काम मुझसे पूछना है कि केरला स्टोरी पर क्यों नहीं बोल रहा। इसके लिए तो फ़िल्म देखनी पड़ेगी और उसके लिए मेरे पास समय नहीं है। ध्रुव का ही वीडियो देख लें। हिंदू ख़तरे में हैं और भाजपा मज़े में है। बस इसी सूत्र वाक्य को समझ लेंगे तो पता चल जाएगा कि यह धंधा क्या है।


Ravish Kumar
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नरेंद्र मोदी से पूछो, गुजरात की लड़कियां कहाँ ग़ायब हो गई हैं?
छह करोड़ गुजराती की अस्मिता की बात करने वाले नरेंद्र मोदी बता सकते हैं कि चालीस हज़ार लड़कियाँ कहाँ हैं?
हिंदू राष्ट्र की प्रयोगशाला गुजरात में लड़कियों को ग़ायब करने का कौन सा प्रयोग चल रहा है?
क्या यह भयानक नहीं है? ऐसा क्यों हुआ होगा?
नोट- इस पोस्ट को डिलिट भी कर सकता था लेकिन स्पष्टीकरण का मतलब नहीं रह जाता। न्यू इंडियन एक्सप्रेस की इस खबर को कई लोगों ने साझा किया था। अख़बार की इस रिपोर्ट के अलावा एक तथ्य यह भी है कि गुजरात पुलिस ने 95 प्रतिशत महिलाओं की तलाश भी कर ली है। ऐसा गुजरात पुलिस ने दावा किया है।


Ravish Kumar
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गुजरात पुलिस का जवाब, 94 प्रतिशत लापता औरतें बरामद कर ली गई थीं।
पुलिस की यह कामयाबी के अलावा इतनी बड़ी तादाद में पलायन/ अगवा/ लापता होने के कारणों का अध्ययन करना चाहिए।
न्यू इंडियन एक्सप्रेस में जो खबर छपी थी कि चालीस हज़ार औरतें लापता हैं, उसका दूसरा पक्ष यही है कि औरतों मिल गई थीं। अख़बार ने यह नहीं लिखा और हम सभी ने साझा कर दिया। भूल सुधार।

डिस्क्लेमर : लेखक वरिष्ठ पत्रकार है, ये उनके अपने निजी विचार और जानकारियां हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं है