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अरब डायरी : सऊदी क्राउन प्रिंस बिन सलमान ने कहा-हम अपने इलाक़े को अखाड़ा नहीं बनने देंगे, 12 साल बाद बश्शार असद सऊदी अरब पहुंचे!


सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान ने कहा कि हम अपने इलाक़ों को झड़पों का केन्द्र नहीं बनने देंगे, कई सालों से हमारी क़ौमों को उलझाए रखने वाली झड़पें बस अब बहुत हो चुकी हैं।

जिद्दा में अरब लीग के शिखर सम्मेलन के अवसर पर मुहम्मद बिन सलमान ने उद्घाटन समारोह में कहा कि फ़िलिस्तीन का मुद्दा इस्लामी और अरब दुनिया का सबसे प्रमुख मुद्दा है यह सऊदी अरब के एजेंडे की प्राथमिकताओं में है और हम इसका समाधान खोजेंगे।

मुहम्मद बिन सलमान ने अरब लीग में सीरिया की वापसी की बधाई देते हुए कहा कि सीरिया के राष्ट्रपति बश्शार असद का इस बैठक में उपस्थित होना बड़ी ख़ुशी की बात है और हम आशा करते हैं कि अरब लीग में सीरिया की वापसी इस संकट की समाप्ति और सीरिया में शांति की बहाली में मदद करेगी।

सऊदी क्राउन प्रिंस ने कहा कि हम यमन के पक्षों के बीच समझौते के लिए अपना सहयोग बढ़ाएंगे और यूक्रेन संकट के समाधान के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का भी हम समर्थन करते हैं और यूक्रेन तथा रूस के बीच मध्यस्थता करने के लिए तैयार हैं।

बिन सलमान ने सूडान में संघर्षरत पक्षों के बीच समझौते का स्वागत करते हुए कहा कि आशा करते हैं कि इस समझौते के नतीजे में इस देश में स्थायी संघर्ष विराम लागू होगा।

इलाक़े में बड़ा परिवर्तन, 12 साल बाद बश्शार असद सऊदी अरब पहुंचे, हुआ भव्य स्वागत

सीरिया के राष्ट्रपति बश्शार असद अरब संघ के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए 12 साल के बाद सऊदी अरब पहुंच गये।

तसनीम न्यूज़ एजेन्सी की रिपोर्ट के अनुसार सीरिया के राष्ट्रपति बश्शार असद गुरुवार की रात जेद्दा के मलिक अब्दुल अज़ीज़ अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पर पहुंचे जिनका सऊदी अरब के अधिकारियों ने भव्य स्वागत किया।


सीरिया के अलअख़बार चैनल ने इस ख़बर की पुष्टि करते हुए कहा कि राष्ट्रपति बश्शार असद शुक्रवार को अरब संघ के 32वें शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।


सऊदी अरब के वरिष्ठ अधिकारी और मक्के के उप नरेश बद्र बिन सुलतान ने सीरिया के राष्ट्रपति बश्शार असद का एयरपोर्ट पर स्वागत किया और उन्होंने अरब संघ के महासचिव अहमद अबुल ग़ैज़ से मुलाक़ात की।

अमरीकियों को ईरान का फ़ाइनल तमाचा पड़ना अभी बाक़ी हैः जनरल सलामी

ईरान की पासदाराने इंक़ेलाब फ़ोर्स के प्रमुख जनरल हुसैन सलामी ने बेहद महत्वपूर्ण बयान में कहा है कि अमरीकियों ने जनरल क़ासिम सुलैमानी को शहीद कर दिया जिसके बाद पहला तमाचा उन पर पड़ा और दूसरा तमाचा पूरे इलाक़े से अमरीकियों का चरणबद्ध निष्कासन है मगर फ़ाइनल थप्पड़ अभी बाक़ी है।

जनरल सलामी ने शहीदों को श्रद्धांजलि पेश करने के लिए आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि दुश्मन इस कोशिश में था कि ईरान बेबस होकर रह जाए तभी उन्होंने कठोर पाबंदियां लगाईं और विश्व समुदाय में ईरान को अलग थलग करने के लिए उन्होंने पूरी ताक़त झोंक दी मगर हमारी इस्लामी व्यवस्था से ईमान की दौलत रखने वाले युवा खड़े हुए और दुश्मन को जो शिकस्त दी वो बेमिसाल थी।

जनरल सलामी ने कुछ महीने पहले होने वाले दंगों का हवाला देते हुए कहा कि दुश्मन इन दंगों में कोशिश कर रहा था कि ईरान की जनता इस्लामी लोकतांत्रिक व्यवस्था का समर्थन छोड़ दे मगर ईरान की जनता पूरी मज़बूती से इस्लामी व्यवस्था के साथ खड़ी है और ईरान का झंठा हर मैदान में लहरा रहा है।

उन्होंने कहा कि दुश्मन हमारे यहां जो संकट खड़ा करना चाहता था उसमें आज वह ख़ुद फंस गया है जैसे ज़ायोनी शासन इस समय अनगिनत मुश्किलों में फंसा है, ज़ायोनियों पर ग़ज्ज़ा से मिसाइल बरसते हैं और ज़ायोनी कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं जबकि अमरीका की यह हालत है कि उसे इलाक़े से बाहर जाना पड़ रहा है।

आईआरजीसी के कमांडर ने कहा कि आज यूरोप भी अनेक संकटों में घिर गया है।

ज़ायोनियों का फ़्लैग डे और एक नया युद्ध भड़कने का ख़तरा

अवैध अधिकृत इलाक़ों में पहले से ही माहौल तनावपूर्ण है और हालिया दिनों में फ़िलिस्तीनियों और ज़ायोनी शासन के बीच झड़पें देखने को मिली हैं। इसके बावजूद, फ़्लैग डे के बहाने एक बार फिर ज़ायोनियों ने फ़िलिस्तीनियों को उकसाने की कोशिश की है, जिससे एक नया युद्ध भड़कने की संभावना बढ़ गई है।

गुरुवार को बड़ी संख्या में ज़ायोनी मस्जिदुल अक़सा के परिसर में इकट्ठा होना शुरू हो गए थे, ताकि 1967 में पूर्वी बैतुल मुक़द्दस पर ज़ायोनी शासन के होने वाले क़ब्ज़े का जश्न मना सकें। अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीनी इलाक़ो में बसने वाले ज़ायोनी पूर्वी बैतुल मुक़द्दस पर ज़ायोनी क़ब्ज़े के दिन को फ़्लैग डे के रूप में मनाते हैं।

गुरुवार को जैसे ही यह मार्च शुरू हुआ, अल्ट्रानेशनलिस्ट ज़ायोनियों ने फ़िलिस्तीनियों के ख़िलाफ़ अपमानजनक और उकसाने वाले नारे लगाने शुरू कर दिए और कई जगहों पर उन्हें निशाना बनाया। विगत में भी इस मार्च के दौरान ज़ायोनियों ने बड़े पैमाने पर हिंसा की है और फ़िलिस्तीनियों को उकसाने के प्रयास किए हैं। इस मार्च में शामिल होने वाले ज़ायोनी अकसर अरब मुर्दाबाद और फ़िलिस्तीनी मुर्दाबाद जैसे अपमानजनक नारे लगाते हैं।

दर असल, 14 मार्च 1948 को अवैध ज़ायोनी शासन के गठन की घोषणा की गई थी, जिसे फ़िलिस्तीनी नकबा डे के रूप में मनाते हैं। उसी समय ज़ायोनियों ने बैतुल मुक़द्दस शहर के पश्चिमी भाग पर पूर्ण रूप से क़ब्ज़ा कर लिया था, लेकिन पूर्वी हिस्सा जॉर्डन के ही निंयत्रण में बाक़ी रहा। 1967 में इस्राईल और अरब देशों के बीच 6 दिवसीय युद्ध के दौरान, ज़ायोनी शासन ने पूर्वी हिस्से पर भी क़ब्ज़ा कर लिया। उसके बाद से ज़ायोनी 18 मई को फ़्लैग डे के रूप में मनाते हैं और इस ख़ुशी में मार्च निकालते हैं।

वास्तव में ज़ायोनी इस बहाने मुसलमानों के तीसरे सबसे पवित्र धार्मिक स्थल मस्जिदुल अक़सा की पहचान बदलना चाहते हैं और बैतुल मुक़द्दस का यहूदीकरण करना चाहते हैं। इसी मक़सद से वे अपने मार्च को बैतुल मुक़द्दस के पुराने भाग से और बाबुल आमूद से गुज़ारते हैं और फिर मस्जिदुल अक़सा के परिसर में एकट्ठे होकर नारेबाज़ी और उछल-कूद करते हैं।

इसके मुक़ाबले में फ़िलिस्तीनी मस्जिदुल अक़सा और बैतुल मुक़द्दस शहर की मूल पहचान बाक़ी रखने पर ज़ोर देते हैं और इसके लिए ज़ायोनी शासन के ख़िलाफ़ प्रतिरोध करते हैं। गत वर्षों के विपरीत, इस साल फ़िलिस्तीन में माहौल बहुत ज़्यादा तनावपूर्ण है, क्योंकि अभी ज़ायोनी शासन और ग़ज्ज़ा पट्टी के बीच पांच दिवसीय युद्ध समाप्त हुआ है। लेकिन अगर स्थिति इसी तरह से तनावपूर्ण रहती है और ज़ायोनियों की उकसाने वाली कार्यवाहियां जारी रहती हैं तो एक नया युद्ध भड़क उठेगा, जो निश्चित रूप से इस्राईल को काफ़ी मंहगा पड़ेगा।

फ्लैग मार्च को लेकर हमास ने इस्राईल को खुली धमकी दे दी

फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख ने “फ्लैग मार्च” की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ज़ायोनी सैनिकों की ज़बरदस्त तैयारियों का ज़िक्र करते हुए कहा कि ज़ायोनी सेना की तत्परता उसकी नाज़ुक सुरक्षा को दर्शाती है।

आज हूब्रू कैलेंडर में अयार की 28वीं तारीख है जिस दिन ज़ायोनी शासन हर साल फ्लैग मार्च करता है।

गुरुवार शाम से ही ज़ायोनी शासन ने फ्लैग मार्च में भाग लेने वालों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बैतुल मुक़द्दस शहर को एक सैन्य छावनी में बदल दिया है और शहर के विभिन्न क्षेत्रों में अपने 3 हज़ार से अधिक बलों को तैनात किया है।

सवा वेबसाइट के अनुसार फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख इस्माईल हनिया ने गुरुवार की शाम को “फ्लैग मार्च” के आयोजन के संबंध में एक बयान जारी किया और स्पष्ट किया कि ज़ायोनी शासन की सुरक्षा के लिए उत्तर से दक्षिण तक की तैयारी जिसे फ्लैग मार्च का नाम दिया गया है, उसकी सुरक्षा कमज़ोरी को ज़ाहिर करती है और हमारी धरती पर फ़िलिस्तीन का लहराता झंडा देशभक्ति की पहचान और उसके कानूनी मालिकों को जगज़ाहिर करता है।

इस्माईल हनीया ने इस बात का ज़िक्र करते हुए कि ईश्वर असत्य पर सत्य को विजय दिलाता है और असत्य को नष्ट व तबाह करता है, कहा कि दुश्मन के साथ टकराव जारी है और हमारी जनता अपनी ज़मीन और बैतुल मुकद्दस को आज़ाद कराकर तथा स्वदेश वापसी करके हिसाब किताब बराबर करेंगे।

इस्माईल हनिया ने ज़ायोनी बस्तियों के निवासियों के मार्च का ज़िक्र करते हुए कहा कि अब जो हो रहा है वह इस युद्ध के धार्मिक और देशभक्ति के पहलुओं को दिखाता है और बैतुल मुक़द्दस के पुराने मोहल्ले को बंद करना, अवैध अधिकृत बैतुल मुक़द्दस में हमारी जनता के डटे रहने और प्रतिरोध के प्रति बस्तियों के निवासियों के डर को दर्शाता है।

चरमपंथी ज़ायोनियों ने अरब मुर्दाबाद के नारे लगाए, वाशिंग्टन ने भी इस्राईल की आलोचना की

पूर्वी बैतुल मुक़द्दस पर इस्राईल के 1967 में होने वाले क़ब्ज़े की बर्सी के अवसर पर चरमपंथी ज़ायोनियों ने फ़्लैग मार्च के नाम से जुलूस निकला और अरब मुर्दाबाद के नारे लगाए।

अमरीका ने चरमपंथी ज़ायोनियों के इस रवैए की निंदा की है। अमरीकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यु मिलर ने ट्वीट किया कि अमरीका नस्लवादी भाषा को कड़ाई से नकारता है।

प्रवक्ता ने ट्वीट में लिखा कि हम बैतुल मुक़द्दस में अरब मुर्दाबाद जैसे नफ़रती नारों की निंदा करते हैं।

इस्राईली प्रशासन ने 3200 सैनिकों को तैनात करके इस फ़्लैग मार्च के लिए सुरक्षा का बंदोबस्त किया था और जुलूस में शामिल चरमपंथी यहूदी बेहद आपत्तिजनक नारे लगाते हुए चल रहे थे।

इस जुलूस में चरमपंथी मंत्री ईतमार बिन ग़फ़ीर सहिज हज़ारों चरमपंथियों ने भाग लिया। इनमें कई मंत्री और सांसद भी थे।

जुलूस में शामिल लोग नारे लगा रहे थे कि फ़िलिस्तीनियों की बस्तियों को आग लगा दो।

अगर हमले नहीं रुके तो मिसाइलों की बारिश शुरू होगीः फ़िलिस्तीनियों की चेतावनी

फ़िलिस्तीनी प्रतिरोधकर्ताओं ने ज़ायोनी शासन को चेतावनी देते हुए कहा है कि हमले न रुकने की स्थति में मिसाइलों की बारशि होने लगेगी।

फ़िलिस्तीन के प्रतिरोधकर्ता कहते हैं कि मस्जिदुल अक़सा और फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध यदि ज़ायोनी शासन की उकसावे वाली कार्यवाहियां जारी रहती हैं तो फिर इसका जवाब ज़रूर दिया जाएगा। उनका कहना है कि एसे में इस्राईल को मिसाइलों की वर्षा देखने को मिलेगी।

गुरुवार को चरमपंथी यहूदी फ़्लैग डे मनाने की तैयारी कर रहे हैं जिसे देखते हुए टकराव की संभावना है। इस दौरान ज़ायोनियों को उकसाने वाली कार्यवाहियां करते हुए देखा गया है। फ्लैग डे के दौरान हर साल ज़ायोनी, बैतुल मुक़द्दस के पुराने मुहल्लों से निकल कर मस्जिदुल अक़सा के आंगन में पहुंचते हैं।

यहां पर पहुंचने के बाद वे एक कार्यक्रम आयोजित करते हैं। विशेष बात यह है कि इस दौरान ज़ायोनी, फ़िलिस्तीनियों को वहां से बाहर निकालने के प्रयास करने लगते हैं।

इसी बीच फ़िलिस्तीन के प्रतिरोधक गुट कह रहे हैं कि किसी भी प्रकार की उकसावे की कार्यवाही का उनकी ओर से मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। एसे में ज़ायोनियों को हर प्रकार की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में रहना चाहिए।