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अरब डायरी : सीरिया को अरब संघ में अपना पुराना स्थान हासिल होगा : अरब देशों की एकता से अमेरिका, यूरोप, इसराईल में मातम!

अरब के इलाके में जो घटनाक्रम हाल के दिनों में शुरू हुआ था वो कारवां आगे बढ़ता जा रहा है, यूक्रेन की जंग के बाद दुनियां में नया वर्ल्ड आर्डर बन चुका हैं, एक वक़्त था जब अरब के सभी देशों पर अमेरिका का भारी दबाव हुआ करता था, अरब देशों में जंग भड़का कर अमेरिका, ब्रिटेन, इसराईल मज़े कर रहे थे, यूक्रेन की जंग शुरू होने के बाद सारे समीकरण बदल गए हैं, इमरान खान और तुर्की के राष्ट्रपति ने अरब देशों की चीन के करीब लाने में बड़ी भूमिका निभाई थी, इमरान खान की कोशिशों से सऊदी अरब और ईरान के बीच विवादित मुद्दों को लेकर वार्ता शुरू हुई थी, चीन ने उसे आगे बढ़ाया और ईरान सऊदी अरब के बीच समझौता करवा दिया, जिसके बाद अरब के अंदर सब कुछ बदल गया है, ईरान सऊदी अरब की दोस्ती के नतीजे में सीरिया और सऊदी की दोस्ती फिर से हो गयी है, यमन की जंग ख़त्म हो गयी है, ईरान और मिस्र 42 साल बाद करीब आ गए हैं, इतिहास में ये पहला मौका है जब पुरे अरब में अमन है, कोई जंग नहीं हो रही है, रूस और चीन ने सबको एक स्टेज पर ला दिया है

सऊदी अरब में बशार असद के शानदार स्वागत के साथ अरब लीग में सीरिया की वापसी

सऊदी अरब में सीरियाई राष्ट्रपति बशार असद के शानदार स्वागत के साथ ही अरब लीग से एक दशक से भी ज़्यादा बाहर रहने के बाद, सीरिया की अरब देशों के संगठन में वापसी हो गई है।

सीरियाई राष्ट्रपति ने शुक्रवार को सऊदी अरब के शहर जेद्दाह में आयोजित होने वाले अरब लीग के 32वें सम्मेलन में भाग लिया।

 

अरब लीग के शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए बशार असद ने कहा कि यह सम्मेलन क्षेत्रीय मुद्दों के समाधान के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है।

सीरियाई राष्ट्रपति का कहना था कि यह हमारे बीच एकजुटता, हमारे क्षेत्र में शांति, विकास और समृद्धि के लिए एक नए चरण की शुरुआत का प्रतीक है।

उन्होंने कहा कि सीरिया हमेशा से अरब जगत का हिस्सा रहा है, लेकिन इसी के साथ उन्होंने क्षेत्रीय देशों से एक दूसरे के देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने की अपील की।

असद का कहना था कि बेहतर होगा आंतरिक मामलों को संबंधित देश के लोगों पर छोड़ देना चाहिए, क्योंकि वही इसका बेहतरीन समाधान निकाल सकते हैं।

ग़ौरतलब है कि इस सम्मेलन के मेज़बान देश सऊदी अरब समेत कई अरब देशों ने सीरिया में गृह युद्ध के दौरान, बशार असद के विरोधी सशस्त्र गुटों का समर्थन किया था।

सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने सम्मेलन के शुरू होने से पहले आगे बढ़कर सीरियाई राष्ट्रपति असद का स्वागत किया और उन्हें गले लगाया।

एमबीएस ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अरब लीग में सीरिया की वापसी से देश में जारी संकट के समाधान में मदद मिलेगी।


सीरिया को अरब संघ में अपना पुराना स्थान हासिल होगाः आले सईद

ओमान के उप प्रधानमंत्री ने अरब संघ में सीरिया की वापसी का स्वागत किया है।

स्पूतनिक समाचार एजेन्सी के अनुसार असअद बिन तारिक़ आले सईद ने अपने एक संबोधन में कहा है कि अरब संघ में सीरिया की वापसी एक महत्वपूर्ण विषय है। उन्होंने कहा कि हम इस बात को लेकर खुश हैं।

ओमान के उप प्रधानमंत्री ने कहा कि अरब संघ में सीरिया की वापसी का हार्दिक स्वागत है। याद रहे कि अरब लीग का 32वां शिखर सम्मेलन 19 मई को सऊदी अरब की मेज़बानी में जिद्दा नगर में संपन्न हुआ। इस सम्मेलन के घोषणापत्र में अरब लीग में सीरिया की वापसी का स्वागत किया गया।

अरब लीग में सीरिया की 12 वर्षों के बाद वापसी हुई है। अरब लीग के अधिकारियों ने कहा कि अब से अरब लीग की सारी बैठकों में सीरिया का प्रतिनिधि मंडल शामिल होगा।

हालांकि अमरीका ने अरब संघ में सीरिया की वापसी के फ़ैसले का विरोध किया है। अमरीका का कहना है हम इस बात पर यक़ीन नहीं रखते कि इस समय सीरिया को अरब लीग में दोबारा शामिल होने का अधिकार हासिल है।

इसी के साथ तारिक़ आले सईद ने फ़िलिस्तीन के बारे में कहा कि फ़िलिस्तीन संकट के समाधान न होने की स्थति में क्षेत्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर तनाव बना रहेगा।

अरब लीग का शिखर सम्मेलन, छाए रहे बश्शार असद, ईरान के बारे में बदला सऊदी अरब का लहजा

अरब लीग का 32वां शिखर सम्मेलन 19 मई को सऊदी अरब की मेज़बानी में जिद्दा नगर में संपन्न हुआ। सम्मेलन के घोषणापत्र में अरब लीग में सीरिया की वापसी का स्वागत किया गया और अरब देशों के बीच सहयोग मज़बूत करने पर ज़ोर दिया गया लेकिन यमन, लेबनान, सूडान और लीबिया के संकटों के समाधान के लिए कोई व्यवहारिक प्रस्ताव सामने नहीं आया।

अरब लीग का 32शिखर सम्मेलन सीरिया की इस संगठन में वापसी और राष्ट्रपति असद की इस शिखर सम्मेलन में शिरकत के विषयों पर मुख्य रूप से केन्द्रित दिखाई दिया। बैठक के समान पर जारी होने वाली घोषणापत्र में भी सीरिया का विषय बहुत मुख्य रूप से चर्चा का केन्द्र रहा। इस बात पर ज़ोर दिया गया कि सीरिया की मदद की जाए ताकि वह संकट से पूरी तरह बाहर निकल आए।

सऊदी अरब के विदेश मंत्री फ़ैसल बिन फ़रहान ने भी बैठक के बाद कहा कि सऊदी अरब की नज़र में सीरिया की वर्तमान स्थिति जारी नहीं रह सकती सीरिया संकट के लिए वास्तविक समाधान तलाश करना केवल दमिश्क़ सरकार के साथ सहयोग के रास्ते से ही संभव है।

टीकाकार यह मानते हैं कि सऊदी क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान के बयान से और इससे पहले उन्होंने इस्लामी गणराज्य ईरान, सीरिया और यमन के सिलसिले में जो बलाव के क़दम उठाए हैं उनसे लगता है कि रियाज़ सरकार अपनी पिछली नीतियों में बुनियादी बदलाव के लिए क़दम आगे बढ़ा रही है। हालांकि सऊदी सरकार के लिए यह रास्ता इतना आसान नहीं होगा क्योंकि उस पर निश्चिम तौर पर अमरीका का दबाव पड़ा रहा है।

सीरिया के राष्ट्रपति बश्शार असद का भाषण भी बहुत महत्वपूर्ण था। अरब लीग में सीरिया की 12 साल बाद वापसी हुई है इसलिए जब राष्ट्रपति असद ने शिखर सम्मेलन को संबोधित किया तो सारी नज़रें उन पर केन्द्रित थीं।

असद जो एक डाक्टर हैं, बीमारियों के इलाज की बात की और कहा कि कई बीमारियां हों तो एक एक करके इलाज करना होता है लेकिन शर्त यह है कि बुनियादी बीमारी का हल तलाश कर लिया गया हो।

जिद्दा में अरब लीग के शिखर सम्मेलन में सीरिया के अलावा कई संकटों की बात तो की गई लेकिन इस चीज़ साफ़ तौर पर नज़र आई कि बड़े संकटों के लिए कोई रोडमैप नहीं है। बस पिछले स्टैंड को दोहराया गया है। बेशक फ़िलिस्तीन का विषय भी बैठक में उठा। मुहम्मद बिन सलमान ने भी अपने भाषण में फ़िलिस्तीन संकट का ज़िक्र किया और इस संकट के समाधान पर भी ज़ोर दिया लेकिन अगर देखा जाए तो पिछले एक महीने के दौरान फ़िलिसतीन का मुद्दा गर्माया रहा। फ़िलिस्तीनियों पर इस्राईल के भयानक हमले हुए और फ़िलिस्तीनियों ने आत्म रक्षा के तौर पर जवाबी हमले किए।

इस पूरे मसले में अरब सरकारों ने कोई ठोस कार्यवाही नहीं की। अरब देशों की तरफ़ से इस्राईली बर्बरता की कड़ाई से निंदा की जानी चाहिए थी जो नहीं की गई।

यमन संकट के बारे में भी अरब लीग के शिखर सम्मेलन में जो बातें हुईं उनसे सनआ की सरकार असंतुष्ट है। यमन की उच्च राजनैतिक समिति के सदस्य मुहम्मद अली हौसी ने ट्वीट किया कि यह बातें ज़ाहिर करती हैं कि हमलावर देश यमन संकट को हल करने में रूचि नहीं रखते और उन्हें शांति पसंद नहीं है।

अरब देशों की बैठक में आम तौर पर ईरान के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी होती थी जो इस बार नहीं हुई। इस बार ईरान और सऊदी अरब के बीच होने वाले समझौते का स्वागत किया गया और सुरक्षा व आर्थिक सहयोग के समझौतों को अमली जामा पहनाए जाने पर ज़ोर दिया गया।