इतिहास

स्वतंत्रता सेनानी शेख़ खादर मोइनुद्दीन

Ataulla Pathan
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11 फरवरी यौमे वफात
स्वतंत्रता सेनानी शेख खादर मोइनुद्दीन साहब

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आपने मजदूरी करके जमा की गये 20 हजार रु की रकम नेताजी सुभाषचंद्र बोस के आझाद हिंद सेना को दान दी.

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शेख खादर मोइनुद्दीन की पैदाइश वेपादा गांव(वीजयानागराम; मौजूदा आंध्र प्रदेश में) 31 दिसम्बर1926 को हुई थी।

शेख के वालिद का नाम शेख पीर साहब और मां का नाम बुरख़ था। ख़ादर मोइनुद्दीन साहब केपरिवार वाले घर की माली हालात को देखते हुए सन् 1938 में बर्मा को हिजरत कर गये और ख़ादर मोइनुद्दीन साहब वहां 12 साल की उमर मे रबर फैक्ट्री में कुली का काम करने लगे। इन्होंने किंग आईलैण्ड रबर स्टेट(मरगोई; बर्मा) में साढ़े सात रुपये की तनख़्वाह पर काम शुरू किया।

इस तरह बाहरी मुल्क में मज़दूरी करके कमायी गयी अपने खून पसीने की कमाई को आपने नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की अपील पर इण्डियन नेशनल आर्मी को दान कर दी।

हुआ यह था कि दूसरी जंगेअज़ीम के दौरान, जब जापानी फौज के सामने अंग्रेज़ी फौज ने सरेंडर कर दिया था, तब नेताजी सुभाषचन्द्र बोस सिंगापुर आयेऔर नौजवानों से अपील की कि वे इण्डियन नेशनल आर्मी में शामिल होकर भारत कोअंग्रेज़ों से आज़ाद करायें । मोइनुद्दीन को बोसजी का भाषण इतना अच्छा लगा कि उन्होंने बर्मा में अपने खून पसीने से कमाये 20,000 रुपये फौरन उनके हवाले करदिये।

अपने शुरुआती दौर में आप इण्डियन नेशनल आर्मी में भर्ती का काम देखते थे,मगर जब इण्डियन नेशनल आर्मी को राइफ़लमैन की ज़रूरत हुई तो वह आगे आयेऔर हाथों में राइफल उठा ली। जब दूसरी जंगे-अज़ीम में जापान की हार हुई, तो 24अप्रैल सन् 1945 को आप ख़ाली हाथ हिन्दुस्तान लौट आये। मगर उनके गांव में उनकी कोई मदद करनेवाला न था, जिसकी वजह से उनको वापस बर्मा लौटना पड़ा और दिसम्बर सन् 1948 में फ़ातिमा नाम की लड़की से उनकी शादी हुई। सन् 1964 में उनका ख़ानदान वापस हिन्दुस्तान लौट आया। सन् 1997 में कोर्ट के ऑर्डर पर उनको स्वंत्रता-सेनानी-सम्मान से नवाज़ा गया। आपकी मृत्यू 11 फरवरी 2017 को हुयी।

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संदर्भ- लेखक sayyad naseer ahmad द्वारा लिखित IMMORTALS ‘किताब के इंग्रजी लेख का हिंदी अनुवाद

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संकलन तथा अनुवादक *अताउल्ला पठाण सर टूनकी बुलढाणा महाराष्ट्र*
9423338726