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54 अफ़्रीकी देशों में से 45 देश यूक्रेन और रूस से होने वाले अनाज के निर्यात पर निर्भर हैं : अनाज के निर्यात में आने वाली रुकावट से सहमे अफ़्रीक़ी देश : रिपोर्ट

यूक्रेन जंग, अनाज के निर्यात में आने वाली रुकावट से सहमे हैं अफ़्रीक़ी देश

यूक्रेन जंग से अफ़्रीक़ा में खाद्यान्न का संकट। काला सागर से अनाज के निर्यात में आने वाली संभावित रुकावट से अफ़्रीक़ी देशों में चिंता बढ़ गई है।

संयुक्त राष्ट्र संघ की संस्था फ़ाओ की रिपोर्ट कहती है कि 54 अफ़्रीक़ी देशों में से 45 देश एसे हैं जो यूक्रेन और रूस से होने वाले अनाज के निर्यात पर निर्भर हैं। सौरभ शास्वत संस्था के अधिकारी हैं जो पश्चिमी अफ़्रीक़ा में अनाज का संकट पैदा होने के बारे में चेतावनी दे रहे हैं।….रूस के साथ हुए समझौते से सारी दुनिया में अनाज के मुद्दे पर अच्छे हालात पैदा हो गए थे। अगर समझौते का समय बढ़ाया न गया तो अनाज के क्षेत्र में भारी संकट पैदा हो जाएगा।

यह समझौता यूक्रेन और रूस के बीच हुआ था जो कई बार बढ़ाया गया। लेकिन रूस के अनाज और खाद के निर्यात पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का जारी रहना कारण बना कि रूस समझौते का समय बढ़ाने से इंकार कर रहा है। अधिकतर अफ़्रीकी देशों की जलवायु एसी है कि वे गेहूं की पैदावार नहीं कर पाते। जबकि दूसरी फ़सलों के लिए उन्हें खाद की ज़रूरत होती है। नाईजेरिया के कृत्रि क्षेत्र के अधिकारी कहते हैं कि… अगर समझौते का समय बढ़ाया न गया तो अधिकतर अफ़्रीकी देशों को अनाज के मामले में इमर्जेंसी का एलान करना पड़ सकता है। गेंहूं की कमी पूरी करने के लिए अफ़्रीकी देश जो कोशिशें कर रहे हैं उससे उनकी ज़रूरत पूरी होने वाली नहीं है। सूखे, टकराव और झड़पों से अफ़्रीक़ा को पहले ही अनेक समस्याओं का सामना था और अब नया संकट उनके सामने है।

अबीजान से आईआरआईबी के लिए कूरूशे फ़ख़्रे तावूली की रिपोर्ट

यूक्रेन अनाज समझौताः अगर संयुक्त राष्ट्र संघ शर्तें पूरी करे तो हम दोबारा बातचीत कर सकते हैं, रूस

रूस ने कहा है कि अगर संयुक्त राष्ट्र संघ तीन महीने के भीतर हमारी शर्तें पूरी करे तो हम यूक्रेन गेहूं समझौते पर दोबारा बात कर सकते हैं।

रूस ने कहा है कि अगर संयुक्त राष्ट्र चाहता है कि यूक्रेन से अनाज का निर्यात दोबारा शुरू करने की अनुमति देने के बारे में बातचीत हो तो उसके पास रूसी कृषि उत्पादों के निर्यात को सुविधा देने वाले नोट पर अमल करने के लिए तीन महीने का समय है।

रूस ने यह शिकायत करते हुए कहा है कि ख़ूराक और खाद की सप्लाई की सहूलत उपलब्ध कराने के वादे पूरे नहीं किए गए इसलिए वह संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता में होने वाले एक साल पुराने समझौते में शामिल होने से ख़ुद को रोक रहा है जिसके तहत यूक्रेन को काला सागर के रास्ते अनाज निर्यात करने की अनुमति दी गई थी।

काला सागर समझौता पिछले साल जुलाई में संयुक्त राष्ट्र और तुर्किए की मध्यस्थता से हुआ था ताकि खाद्यान्न के अंतर्राष्ट्रीय संकट से निपटने और रूस की ओर से यूक्रेन में सेना भेजने के बाद पैदा होने वाली अतिरिक्त रुकावटों पर नियंत्रण किया जा सके।

रूस और यूक्रेन दुनिया के सबसे बड़े गेहूं निर्यातक देश हैं।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने उस समय संकेत दिया था कि रूस के समझौते से निकलने का मतलब यह था कि उसके अपने अनाज और खाद के निर्यात में मदद से संबंधित समझौता भी ख़त्म कर दिया गया था।

रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़ाख़ारोवा ने कहा कि अगर संयुक्त राष्ट्र चाहता है कि मास्को यूक्रेन के निर्यात को बहाल करने में मदद के लिए बातचीत की तरफ़ वापस आए तो अब यह ज़िम्मेदारी संयुक्त राष्ट्र संघ की है कि वह रूसी समझौते पर अमल करे।

प्रवक्ता ने कहा कि रूस संयुक्त राष्ट्र संघ मेमोरेंडम कहता है कि यह समझौता तीन साल लागू रहेगा और अगर दोनों में से कोई पक्ष इसे ख़त्म करने का इरादा करता है तो उसे ज़रूर तीन महीने पहले नोटिस दिया जाए और हमने नोटिस दिया है। उन्होंने कहा कि ठोस नतीजे हासिल करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के पास तीन महीने का समय है।