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⚘रावण ज़ोरों का ठहाका लगाया, फिर अचानक शान्त हो कुछ सोचा और मुस्कुराया : रूबी सत्येन्द्र कुमार की कविता
रूबी सत्येन्द्र कुमार की कविता मंजरी =============== · छन्दमुक्त कविता लंकापति ⚘अबकी दशहरे पर हमने फिर इक रावण बनाया। ⚘बिल्कुल रावण के जैसे भीमकाय शरीर पर बीस भुजाओं व दस सिरों को सजाया। ⚘रेशमी चमकदार वस्त्रों व आभूषणों को भी पहनाया। ⚘अब रावण ठहरे लंकापति यही सोचकर थोडा भव्य जलवा भी बनाया। ⚘जब रावण तैयार […]
”नए आये साहब” ने जैसे ही दफ़्तर में प्रवेश किया वो वहाँ के हालात देखकर आग बबूला हो गये
चित्र गुप्त ============== नए आये साहब ************ नए आये साहब ने जैसे ही दफ़्तर में प्रवेश किया वो वहाँ के हालात देखकर आग बबूला हो गये। साहब का आग बबूला होना ही उनके बड़े पद का परिचायक होता है। पहले तो सब कर्मचारियों ने यही सोचा था लेकिन थोड़ी देर बाद ही उनको अपनी गलती […]
प्रतीक और परम्पराओं के सहारे…By-Tajinder Singh
Tajinder Singh ============== प्रतीक और परम्पराओं के सहारे… मेरा घर जिस जगह है वो प्राइवेट इलाका है। मेरे घर से एक किलोमीटर की दूरी से टाटा कंपनी का इलाका शुरू हो जाता है। यहां है चौड़े चौड़े रोड, चारो तरफ लगे वृक्ष। वृक्षों का एक जंगल है यहां। आप हर चौथे घर मे आम का […]