देश

#6 दिसंबर : अपराध और अन्याय की जीत : केवल एक घटना नहीं है बल्कि इसे भारत के इतिहास में एक अहम मोड़ भी माना जाता है : रिपोर्ट

छह दिसम्बर बाबरी मस्जिद की शहादत, राहुल की भारत जोड़ो यात्रा, क्या यह भूल सुधार का प्रयास है?

छह दिसम्बर की तारीख़ भारत ही नहीं, दक्षिणी एशिया ही नहीं बल्कि किसी हद तक विश्व स्तर पर एक बड़ी घटना की याद दिलाती है और वो है बाबरी मस्जिद की शहादत।

भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में फ़ैज़ाबाद के क़रीब आयोध्या में स्थित बाबरी मस्जिद का गिराया जाना केवल एक घटना नहीं है बल्कि इसे भारत के इतिहास में एक अहम मोड़ भी माना जाता है। कहते हैं कि इस प्रकरण ने भारत की राजनीति और भारत के समाज पर बहुत गहरा असर डाला जिसके नतीजे आज के भारत में बहुत खुलकर नज़र आते हैं।

6 दिसम्बर 1992 को कार सेवकों के रूप में तैयार की गई दंगाई भीड़ ने सोलहवीं शताब्दी में बनी बाबरी मस्जिद गिरा दी। इसके बाद भारत में कई बस्तियों में हिंदु मुस्लिम फ़सादात गए और बहुत सारे लोग मारे गए जिनमें अधिकतर मुसलमान थे।

अब बाबरी मस्जिद की जगह सुप्रीम कोर्ट के आदेश से राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। अयोध्या से 26 किलोमीटर दूर धनीपुर नाम के गांव में बाबरी मस्जिद के लिए 5 एकड़ ज़मीन आवंटित की गई है जहा इस योजना की मंज़ूरी विलंब का शिकार है, जब मंज़ूरी मिलेगी तब वहां निर्माण का काम शुरू होने का रास्ता साफ़ होगा।

बीबीसी ने बाबरी मस्जिद की शहादत की तीसवीं बर्सी पर उन पत्रकारों का अनुभव जाना है जिन्होंने बाबरी मस्जिद गिराए जाने की घटना को अपनी आंखों से देखा।

जाने माने पत्रकार क़ुरबान अली का कहना है कि कुछ घटनाएं होती हैं जिनकी आप साक्षी बन जाते हैं और जो आपके दिलो दिमाग़ पर इस तरह छा जाती हैं कि कभी दिमाग़ से नहीं निकलतीं, वो हमेशा आपको डराती रहती हैं। उन्हीं में से एक घटना 6 दिसम्बर 1992 की है जब दिन दहाड़े बाबरी मस्जिद को शहीद कर दिया गया।

आज अगर कांग्रेस पार्टी और इस पार्टी के नेता राहुल गांधी को यह एहसास हो रहा है कि भारत को जोड़ने की ज़रूरत है, नफ़रतों को दूर करने की ज़रूरत है वरना इससे पूरे समाज और पूरे देश को इतना बड़ा नुक़सान पहुंचेगा जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती तो शायद यह कहना ग़लत नहीं होगा कि कांग्रेस की तरफ़ से यह भूल सुधार का कार्यक्रम भी है।

पत्रकार शरत प्रधान ने इस घटना के बारे में बताते हुए कहा कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कितना ही वक़्त गुज़र जाए। लगता है कि यह सब कल की ही बात है।

आज अगर कांग्रेस पार्टी और इस पार्टी के नेता राहुल गांधी को यह एहसास हो रहा है कि भारत को जोड़ने की ज़रूरत है, नफ़रतों को दूर करने की ज़रूरत है वरना इससे पूरे समाज और पूरे देश को इतना बड़ा नुक़सान पहुंचेगा जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती तो शायद यह कहना ग़लत नहीं होगा कि कांग्रेस की तरफ़ से यह भूल सुधार का कार्यक्रम भी है।


Babri Masjid विध्वंंस के 30 साल : Masjid गिराने से लेकर अब तक क्या-क्या हुआ, पढ़ें पूरी कहानी

By Deepak Singh
Tue, 6 Dec 2022

6 दिसम्बर, 1992 यानी वो तारीख जो इतिहास बन गई. घटनाक्रम की शुरुआत एक दिन पहले हुई. 5 दिसम्बर को विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ता, भाजपा के कुछ नेता और इससे जुड़े संगठनों ने अयोध्या में एक रैली का आयोजन किया. बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) के जिस विवादित हिस्से में सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ भजन-कीर्तन की इजाजत दी थी, वहां करीब डेढ़ लाख कारसेवक पहुंच गए. 6 दिसम्बर को भीड़ इतनी उग्र हो गई कि सिर्फ 5 घंटे में ही बाबरी का ढांचा गिरा दिया गया. उसी दिन शाम 5 बजकर 5 मिनट तक बाबरी मस्जिद जमींदोज हो गई.

इस घटना के बाद पूरे देश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया. हिंसा की कई घटनाएं हुईं. हजारों की मौत हो गई. पूरे उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया. विधानसभा भंग कर दी गई. एक साल बाद 1993 में केंद्र ने अध्यादेश जारी कर विवादित जमीन को अपने नियंत्रण में ले लिया. घटना की जांच का आदेश जारी हुआ. कुल 68 लोग अभियुक्त बनाए गए. जिसमें भाजपा और वीएचपी के कई नेताओं के नाम शामिल थे. जानिए, बाबरी मस्जिद मामले में कब-कब, क्या-क्या हुआ

एफआईआर में क्या-क्या लिखा गया?

घटना के दस दिन बाद इसे ढहाने और इसके पीछे कथित षडयंत्र की जांच करने के लिए जस्टिस एमएस लिब्राहन की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया गया. इस मामले में दो एफआईआर दर्ज हुईं. पहली FIR उन कारसेवकों के नाम दर्ज की गईं जिन पर डकैती, चोट पहुंचाने, लूटपाट करने, सार्वजनिक इबादत के स्थान को नुकसान पहुंचाने और धर्म के नाम पर दो समुदाय में दुश्मनी बढ़ाने के आरोप लगे थे.

वहीं, दूसरी FIR में भाजपा, बजरंग दल, विश्व हिन्दू परिषद और आरएसएस से जुड़े 8 लोगों के नाम थे जिन्होंने रामकथा पार्क में कथित भड़काऊ भाषण दिया था. इसमें भाजपा के दिग्गज नेता नेता लालकृष्ण आडवाणी, वीएचपी के तत्कालीन महासचिव अशोक सिंघल, बजरंग दल के नेता विनय कटियार, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, विष्णु हरि डालमिया और गिरिराज किशोर के नाम शामिल थे.

तीन महीने में आनी थी रिपोर्ट 17 साल लग गए

लिब्राहन आयोग की रिपोर्ट 3 महीने में आनी थी, लेकिन धीरे-धीरे इसकी अवधि बढ़ती रही. इसे आने में 17 साल लग गए. इस दौरान समय की मियाद 48 बार बढ़ाई गई. आयोग ने अपनी रिपोर्ट 30 जून, 2009 को गृह मंत्रालय को सौंपी. इस दौरान कुल 8 करोड़ रुपय खर्च हुए.

आयोग की जांच रिपोर्ट में कहा गया कि मस्जिद को एक साजिश के तहत गिराया गया था. आयोग ने इस साजिश में शामिल लोगों पर मुकदमा चलाने की सिफारिश की की थी. बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में 47 अन्य मुक़दमे भी दर्ज कराए गए जिनमें पत्रकारों के साथ मारपीट और लूटपाट जैसे आरोप लगाए गए थे. सीबीआई को इन सभी मुक़दमों की जांच की जिम्मेदारी दी गई

8 अक्टूबर 1993 को उत्तर प्रदेश सरकार ने इससे जुड़े सभी मामलों की सुनवाई लखनऊ की स्पेशल कोर्ट में करने की अधिसूचना जारी की. 1996 में विशेष अदालत ने इसके सभी मामलों में आपराधिक साजिश की धारा जोड़ने का आदेश जारी किया. इसके बाद लम्बे समय तक यह मामला कानूनी दांव-पेच में फंसा रहा. अभियुक्तों के वकील ने यह साबित किया कि उत्तर प्रदेश सरकार की प्रशासनिक चूक के कारण उनके खिलाफ गलत आरोप लगे.

इसके बाद हाईकोर्ट ने CBI को निर्देश देते हुए कहा कि अगर उनके पास आडवाणी और अन्य लोगों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं तो रायबरेबी कोर्ट में सप्लिमेंट्री चार्जशीट दाखिल करें.

बरी हुए आडवाणी

2003 में सीबीआई चार्जशीट दाखिल की, लेनिक उसमें आपराधकि साजिश के आरोप नहीं जोड़ सकी. रायबरेली कोर्ट ने सुनवाई की और लालकृष्ण आडवाणी को यह कहते हुए बरी किया कि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं. साल 2005 में इलाहाबाद हाइकोर्ट ने रायबरेली कोर्ट के आदेश को रद किया और कहा आडवाणी और अन्य लोगों के ख़िलाफ़ मुक़दमे चलेंगे. कोर्ट में यह मामला चला, लेकिन इसमें आपराधिक साजिश का जिक्र नहीं किया गया. 2005 में रायबरेली कोर्ट ने इस पूरे मामले में आरोप तय किए और साल 2007 में इस मामले में पहली बार गवाही हुई.

इसके दो साल बाद लिब्राहन आयोग की जांच रिपोर्ट आई, जिसमें बाबरी विध्वंस के लिए संघ परिवार, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल और बीजेपी के प्रमुख नेताओं को जिम्मेदार माना गया. 2010 में दोनों मामलों को अलग-अलग चलाने का जो फैसला निचली अदालत ने लिया था उसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरकरार रखा. हाइकोर्ट ने कहा कि इस पूरे मामले में दो तरह के अभियुक्त थे. पहले वो जो मस्जिद से 200 मीटर की दूरी पर मंच से कार सेवकों को भड़काने का काम कर रहे थे. दूसरे वो कारसेवक.

सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया

इस फैसले के खिलाफ सीबीआई साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट पहुंची. 20 मार्च, 2012 को हलफनामा दायर करके दोनों मामलों की सुनवाई एक साथ करने की दलील पेश की. कोर्ट ने 2015 में लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी और कल्याण सिंह समेत वरिष्ठ भाजपा नेताओं को नोटिस करते हुए मामले में आपराधिक साज़िश की धारा नहीं हटाने की सीबीआई की याचिका पर जवाब देने को कहा.

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का फैसला रद किया

साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला रद करते हुए फिर से साजिश के आरोप लगाए गए. इसके अलावा दोनों ही मामलों को एक साथ सुनवाई कर अनुमति दी.सुप्रीम कोर्ट ने लाल कृष्ण आडवाणी और 20 अन्य लोगों सहित कई अभियुक्तों के ख़िलाफ़ साज़िश का आरोप फिर से लगाने का आदेश जारी किया. इतना ही नहीं कोर्ट ने सुनवाई की समय सीमा भी तय की. पहले दो साल की डेडलाइन दी फिर इसे नौ महीने और बढ़ाया गया. इस तरह बाबरी विध्वंस मामले में कुल 49 लोगों को अभियुक्त बनाया गया. जिसमें से 17 लोगों की मौत हो चुकी है. इस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साघ्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास समेत दर्जन भर से अधिक लोगों को बरी कर दिया गया. 30 अगस्त 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी विध्वंस से जुड़े सभी मामलों को बंद कर दिया.

AIMIM Friends 🪁
@Aimimfriends786
साल में दो तारीखें आती हैं जो कभी नहीं भूलूगा
6 दिसम्बर बाबरी मस्जिद शहीद दिवस,
9 नवम्बर बाबरी मस्जिद फैसला, यह साल के दो दिन हम को याद रखना है नस्ल दर नस्ल बताते भी रहना है. 1949 तक बाबरी मस्जिद में नमाज़ अदा की जाती थी, मस्जिद ग़ैर क़ानूनी तौर से गिराई गई #6DecemberBlackDay

ˢʰᵃⁱᵏʰ ʷᵃᵐⁱᵠ 🇮🇳 🏹شیخ وامق
@shaikhwamiq786
जाने केसी ये दहशत है !!!
जाने कैसा ये डर है !!!
सहमी सहमी तारीखे !!!
सहमा सा कैलेंडर है !!!
दिल से मैने जब पूछा !!!
क्यों उदास मंज़र है !!!
दिल ये चीख कर बोला !!!
आज #6_दिसम्बर है !!!

salam Islam Khan π 
@salam0786786

ब्रिटिश लाइब्रेरी में मौजूद बाबरी मस्जिद की ये तस्वीर 1949 में ताला लगने से पहले कृष्णा पोखरेल और पॉल बकेट ने ली थी। मस्जिद नही रही लेकिन ये इतिहास हमेशा रहेगा कि यहां एक ख़ूबसूरत मस्जिद थी।
दर-ओ-दीवार पे हसरत से नज़र करते हैं
ख़ुश रहो अहल-ए-वतन हम सब्र करते हैं…

Harun khan هارون خان
@iamharunkhan

संविधान और अदालत को ताक पर ऱखते हुए बहुसंख्यको ने बाबरी मस्ज़िद शहीद की थी,जिन लोगों पर आरोप था सब बरी हो चुके या देश के सर्वोच्च पद पर बैठे मिलेंगे।शहादत के बाद अगर दर्दनाक कहानियों की बात की जाए तो 1989 के भागलपुर सांप्रदायिक दंगे और 6/Dec 1992 को बाबरी मस्जिद की शहादत से

Abha Shukla Fans
@abhaShukla23

6 दिसंबर फिर आ गया.

भारतीय इतिहास का काला दिवस,आज के दिन ही बाबरी मस्जिद को ढहाया गया था.आपने बाबरी ढहा दी, राम मन्दिर भी बना दिया. लेकिन इतनी लाशों पर चलकर मेरे राम कभी इस मन्दिर मे नही आये होंगे.

और यही कारण है बाबरी के गुनहगारों को प्रकृति ने, राम जी ने चुन चुन कर सजा दी.👇