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600 साल से जापानी लोग किसी पेड़ के उपर ख़ास तरीक़े से पेड़ की लकड़ी उगा रहे है!

600 साल से जापानी लोग किसी पेड़ के उपर खास तरीके से पेड़ की लकड़ी उगा रहे है, इस तरह उन्हे सीधी लकड़ी मिलती है,नीचे मदर ट्री लगा रहता है,इस तरीके को जापानी लोग Daisugi कहते हैं,

Kitayama cedar प्रजाति के पेड़ को पहले उपर से इस तरह से छांटा जाता है कि सीधी टहनियां उगती और बढ़ती है,एक Kitayama cedar से इस तरह से 100 पेड़ उपर निकलते हैं,20 साल में उपर एक पेड़ तैयार हो जाता है,ये प्रक्रिया निरंतर चलती जाती है,

इससे जापानियों को बेहतरीन सीधी Kitayama cedar की उच्च कोटि की लकड़ी मिलती जाती है वो भी बिना पेड़ काटे या जंगल को नुकसान पहुंचाए हुए,
इसलिए जापान देश में जितने जंगल सैकड़ों साल पहले थे उतने ही आज भी है,

सारी दुनिया में पर्यावरण का नुकसान हुआ जापान के सिवा,कुल जापानी भूमि पर 67% पर जंगल है,इन जंगलों में 40% जंगल प्राकृतिक नहीं जापानियों द्वारा उगाए हुए हैं,14% भूमि पर खेती होती है,

भारत में कुल भूमि में 24% क्षेत्र में पेड़ हैं,उसमे से 22% के करीब पेड़ जगलों में हैं और 3% के करीब गांव कस्बों बाग बगीचों या शहरों में हैं,


जापान में इसलिए ज्यादातर जंगली प्राणी पक्षी जैसे पहले रहते थे उसी तरह आज भी हैं,

जो जापानी गांव है या खेतियां हैं वो जंगलों पहाड़ों के पास है क्योंकि 70% जापानी जमीन पर पहाड़ हैं,

इसलिए गांव में रहने वाले लोग प्राकृतिक वन संपदा से काफी कुछ लेते हैं लेकिन बिना किसी चीज को या पेड़ को नुकसान पहुंचाए हुए,इस तरह पीढ़ी दर पीढ़ी जंगलों का उपयोग करती है,

जापान ने बहुत पहले अलग अलग तापमान और क्षेत्र में पनपने वाले पेड़ पौधों पशु पक्षी के अध्ययन के बाद योजना बनाई,क्योंकि वहां भी अलग अलग तापमान है इसलिए अलग अलग तरह के पेड़ भी होते थे,चार पांच इलाकों में बांट कर पेड़ों के संरक्षण पर ध्यान दिया,सरकार और जनता मिलकर काम करती है,आज वहां के जंगली खरगोश,बाज,बिल्लियां,बंदर,काले और भूरे भालू या हिरण घूमते रहते हैं,सुदूर गांव जंगलों में आसानी से दिख जाते हैं,किसी गांव की सड़क पर हिरण आसानी से मिल सकता है,चूंकि उन्हे खतरा महसूस नहीं होता इसलिए आदमी से डरते नहीं,

इन जापानी जंगलों में ज्यादा पेड़ hinoki cypress और Kitayama cedar हैं जिन्हे भारत में देवदार और सरो के पेड़ कहते हैं जो हिमालय में उगते हैं,ये उन्ही पेड़ों की जापानी प्रजाति है,