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7 अक्तूबर के बाद अब ज़ायोनी अधिकारियों की ”यह सोच” अपनी मौत आप मर गई : रिपोर्ट

ब्रितानी मैगज़ीन इकानामिस्ट ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है कि ज़ायोनी शासन के प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतनयाहू और सेना के कमांडरों के बीच इस बात को लेकर मतभेद पैदा हो गया है कि हमास से कैसे निपटा जाए।

मैगज़ीन ने लिखा कि चरमपंथी यहूदी पार्टी शास के नेता अरईए अदरई ने ग़ज़ा पट्टी के पास तैनात इस्राईली सैनिकों से अचानक मुलाक़ात के बाद बताया कि सेना तो वहां जंग के लिए तैयार है। रिपोर्ट में बताया गया है कि अदरई के पास कोई सरकारी ओहदा नहीं है और न ही उन्हें सामरिक मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है, अदरई की ख़ास बात यह है कि वो नेतनयाहू के सहयोगी हैं।

इस समय ज़ायोनी प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतनयाहू की सबसे बड़ी समस्या यह है कि सत्ता से उनकी विदाई तय है और यह भी साफ़ है कि सत्ता से विदाई के बाद वो घर नहीं जेल जाएंगे। सर्वे में यह पता चला है कि नेतनयाहू की पार्टी को वोट देने वाले भी अब उनका समर्थन करने के लिए तैयार नहीं हैं।

जहां सेना एक तरफ़ कह रही है कि वो ग़ज़ा पट्टी में ज़मीनी आप्रेशन के लिए तैयार है वहीं ज़ायोनी प्रधानमंत्री मीडिया में यह ख़बरे फैला रहे हैं कि सेना की तैयारी पूरी नहीं है इसलिए इस्राईली सैनिकों की जानें ख़तरे में डालना उचित नहीं होगा। बेहतर आप्शन यह है कि ग़ज़ा पट्टी पर बमबारी जारी रखी जाए ताकि भूमिगत सुरंगों का नेटवर्क ध्वस्त हो जाए।

इस समय ज़ायोनियों के बीच सबसे बड़ी बहस यह है कि जंग का अगला चरण क्या होगा। वहीं वरिष्ठ ज़ायोनी अधिकारी यह कहते हैं कि नेतनयाहू ने एक दशक से ज़्यादा समय तक ग़ज़ा को उसके हाल पर छोड़ दिया और नाकाबंदी करके हालात को अधिक से अधिक विस्फोटक बना दिया। नेतनयाहू की सोच थी कि ग़ज़ा को इसी हाल में छोड़ दिया जाए और हालात को ख़राब होने दिया जाए मगर 7 अक्तूबर के हमले ने साबित कर दिया कि नेतनयाहू की सोच ग़लत थी।

दरअस्ल नेतनयाहू ने इस गहराई को समझा ही नहीं कि इस्राईल एक जाली शासन है और उसके अस्तित्व को फ़िलिस्तीन की जनता कभी भी स्वीकार नहीं कर सकती और दूसरी तरफ़ फ़िलिस्तीनी क़ौम मज़बूत नज़रिए की क़ौम है जो अपमान को अपनी क़िस्मत मानकार स्वीकार नहीं कर सकती बल्कि प्रतिक्रिया ज़रूर दिखाएगी।

नेतनयाहू के साथ ही दूसरे ज़ायोनी अधिकारियों और उनके बाहरी समर्थकों से यहीं ग़लती हुई कि उन्होंने फ़िलिस्तीनी जनता को मजबूर और बेबस समझ लिया था और यह मान कर चल रहे थे कि वो जवाबी कार्यवाही नहीं करेगी।

7 अक्तूबर के बाद अब ज़ायोनी अधिकारियों की यह सोच अपनी मौत आप मर गई है।

ग़ज़्ज़ा पर हमले का जवाब, इराक़ का मोर्चा गरमाया, अमरीकी छावनी ऐन अल-असद पर ड्रोन हमला

इराक़ के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन ने इराक़ में ऐन अल-असद में अमेरिकी शिविर पर नवीनतम ड्रोन हमले की सूचना दी है।

इराक़ के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन ने एक बयान जारी करके एलान किया है कि उसने पश्चिमी इराक़ में अमेरिकी सैन्य अड्डे, ऐन अल-असद को एक ड्रोन से निशाना बनाया है जो अपने लक्ष्य पर सटीक तरीक़े से लगा। कुछ समाचार सूत्रों ने गुरुवार सुबह उत्तरी इराक़ में स्थित हरीर नामक अमेरिकी सैन्य अड्डे पर एक ड्रोन हमले की भी ख़बर दी है।

इराक़ के प्रतिरोधकर्ता बलों ने हाल ही में सीरिया और इराक़ में अमेरिकी ठिकानों पर अपने हमले तेज कर दिए हैं। ये हमले फ़िलिस्तीनी राष्ट्र के विरुद्ध अतिग्रहणकारी ज़ायोनी शासन के लगातार अपराधों और शासन को अमेरिकी समर्थन के जवाब में किए गए हैं।

अपराधों पर उंगी उठाई तो संयुक्त राष्ट्र संघ पर चढ़ दौड़ा इस्राईल, गुटेरस की इस बात ने जाली ज़ायोनी शासन को हिलाकर रख दिया

फ़िलिस्तीनी मूल के विख्यात अरब टीकाकार अब्दुल बारी अतवान का जायज़ा ग़ज़ा के हालात पर सुरक्षा परिषद की बैठक में संयुक्त राष्ट्र संघ के महासिचव एंटोनियो गुटेरस के बयान से इस्राईल के विदेश मंत्री एली कोहेन तिलमिलाकर रह गए और बहुत कुछ बक डाला। कोहेन ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव पर अनभिज्ञता का आरोप लगाया और कहा कि वो किसी और ही दुनिया में रह रहे हैं।

एली कोहेन के बदतमीज़ी भरे बयान से जहां कुछ लोगों को हैरत हुई वहीं बहुत से लोगों के लिए यह हैरत वाली बात नहीं थी क्योंकि ज़ायोनी अधिकारी दरअस्ल इसी कल्चर में जीते और सोचते हैं। बेशर्मी भरे बयान देना ज़ायोनी अधिकारियों की आदत है। ख़ास तौर पर इस समय जब हमास के हमले से ज़ायोनी शासन को बहुत गहरी चोट लगी है। इसी बेइज़्ज़ती का इंतेक़ाम वह ग़ज़ा के मासूमों की जानें लेकर ले रहा है।

गुटेरस ने दरअस्ल यह कह दिया कि ग़ज़ा पट्टी में ज़ायोनी शासन के हमले जातीय सफ़ाए के समान हैं। उन्होंने ग़ज़ा पट्टी में मानवीय नियमों का इस्राईल के हाथों खुलकर हनन किए जाने की बात कह दी।

गुटेरस की इस बात से ज़ायोनी अधिकारियों पर बिजली गिर गई कि हमास ने हमला शून्य से नहीं किया है, फ़िलिस्तीनी पिछले 56 साल से दम घोंट देने वाली नाकाबंदी झेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि जंग फ़ौरन रुकनी चाहिए और मानवीय सहायता ग़ज़ा भेजने का रास्ता खुल जाना चाहिए जो सहायता ग़ज़ा अब तक भेजी गई है वह समुद्र में एक बूंद डाल देने के समान है।

संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव गुटेरस का बयान दरअस्ल यह ज़ाहिर करता है कि अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में और विश्व जनमत के स्तर पर भारी बदलाव आया है। अब नरसंहार और बच्चों की हत्याओं की तस्वीरों ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है इस बार में ज़ायोनी शासन जो नैरेटिव चलाना चाह रहा है उसे कोई भी मानने को तैयार नहीं है।

इस बड़े बदलाव की सबसे बुनियादी वजह तो इस्राईल बर्बरता और दरिंदगी के सामने ग़ज़ा के लोगों का प्रतिरोध है और इसके बाद अरब व इस्लामी जगत में सोशल मीडिया के स्तर पर ज़ायोनी शासन की तरफ़ से फैलाई जाने वाली फ़ेक ख़बरों का दिया जाने वाला ठोस जवाब है। इसी वजह से इस्राईल झूठ फैलाने की अपनी महिम कामयाबी से आगे नहीं ले जा पा रहा है।

हमास ने जिन दो महिला क़ैदियों को रिहा किया है उन्होंने क़ैदियों के साथ हमास के बर्ताव की बहुत तारीफ़ें की। एक महिला ने रिहा होते समय हमास के जवान से हाथ भी मिलाया। इससे हमास के बारे में इस्राईल और अमरीका की तरफ़ से फैलाया जाने वाला झूठ बेनक़ाब हुआ।

नौबत यह हो गई है कि अमरीका के विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने जिन्होंने कहा था कि मैं यहूदी की हैसियत से इस्राईल आया हूं परी दुनिया में इस्राईल की थू थू होते देखकर कहा कि हमें आम नागरिकों को बचाने के लिए पूरी संजीदगी से काम करना चाहिए।

अमरीका को इस समय डर है कि इस्राईल ग़ज़ा पर अगर हमले जारी रखता है तो जंग का दायरा फैल जाएगा और फिर पूरे पश्चिमी एशिया के इलाक़े में अमरीका और इस्राईल के लिए कोई जगह नहीं बचेगी।