पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने तोशाखाना मामले में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को अगले पांच साल के लिए चुनाव लड़ने के अयोग्य क़रार दिया है.
चुनाव आयोग ने कहा है कि इमरान ख़ान ने सत्ता में रहते हुए जो तोहफ़े लिए थे, उसके बारे में अधिकारियों को उन्होंने सही जानकारी नहीं दी.
इमरान ख़ान के वकील गौहर ख़ान ने बताया, “पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने इमरान ख़ान पर कदाचार में शामिल होने की बात कही है. हम इस फ़ैसले को इस्लामाबाद हाई कोर्ट में चुनौती देने जा रहे हैं.”
इससे पहले चुनाव आयोग ने तोशाखाना मामले में अपना फैसला 19 सितंबर को सुरक्षित रखा था. इस संबंध में चुनाव आयोग ने इमरान ख़ान समेत सभी पार्टियों को नोटिस जारी किया था.
बीबीसी उर्दू सेवा के मुताबिक़, संवैधानिक रूप से चुनाव आयोग चार नवंबर से पहले इस मामले पर फ़ैसला देने के लिए बाध्य था.
इमरान ख़ान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ पार्टी की सरकार के गिरने के बाद मौजूदा गठबंधन सरकार के सदस्यों के अनुरोध पर नेशनल असेंबली के स्पीकर राजा परवेज अशरफ़ ने चार अगस्त को संविधान के अनुच्छेद 63 (2) के तहत चुनाव आयोग को इस मामले पर विचार करने के लिए कहा था.
प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ की पार्टी मुस्लिम लीग (नवाज़) के नेता बैरिस्टर मोहसिन नवाज़ रांझा ने संविधान के अनुच्छेद 63 (2) के तहत नेशनल असेंबली के स्पीकर के सामने इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ ये मामला उठाया था.
उन्होंने आरोप लगाया था कि ”इमरान ख़ान ने प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए क़ीमती तोहफे लिए थे. इमरान ख़ान ने चुनाव आयोग को दी गई अपनी संपत्ति की घोषणा में उनका ब्योरा नहीं दिया था. इस तरह से ये ‘दुर्भावनापूर्ण’ है और इसलिए उन्हें संविधान के तहत चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए.”

क्या है तोशाखाना
तोशाखाना एक सरकारी विभाग होता है. यहां प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या दूसरे बड़े अधिकारियों को किसी यात्रा के दौरान मिलने वाले क़ीमती तोहफों को रखा जाता है.
किसी भी विदेश यात्रा के समय, विदेश मंत्रालय के अधिकारी इन तोहफ़ों का रिकॉर्ड रखते हैं और वतन वापसी पर उन्हें तोशाखाना में जमा कर दिया जाता है.
तोशाखाना में रखी गई चीज़ों को स्मृति चिन्ह की तरह देखा जाता है. यहां रखी हुई चीज़ों को कैबिनेट की मंज़ूरी के बाद ही बेचा जा सकता है.
पाकिस्तान में अगर मिलने वाले उपहार की क़ीमत 30 हज़ार रुपये से कम है तो उसे व्यक्ति मुफ़्त में अपने पास रख सकता है.
वहीं अगर गिफ़्ट की क़ीमत 30 हजार रुपये से ज़्यादा है तो उस क़ीमत का 50 प्रतिशत जमा करके उसे ख़रीदा जा सकता है. साल 2020 से पहले सामान की असल क़ीमत का सिर्फ़ 20 प्रतिशत ही जमा करना पड़ता था.
इन तोहफों में आमतौर पर महंगी घड़ियां, सोना और हीरे के गहने, क़ीमती सजावट का सामान, स्मृति चिन्ह, हीरा जड़ी कलम, क्रॉकरी और कालीन शामिल होते हैं.
I urge everyone to come and join me in protesting at 5:30pm today outside the Pakistan High Commission against the disqualification of Imran Khan! Multiple protests will be held in the coming days! #ImranKhanOurRedLine pic.twitter.com/0NGNY48tkf
— Shayan Ali (@ShayanA2307) October 21, 2022