भारद्वाज दिलीप ================= ८८दिन के ध्यान के बाद आज ______________________ मानो जब झूठ फुसफुसाता है, भीख मांगता है, कहानियों को सच होने के लिए मजबूर करता है। तब हम दहाड़ते हुए दम तोड़ ही देते है। और जब झूठी आत्मा भी मरने लगती हैं, और एक समय बाद फिर एक सत्य की शांति उड़ती धीरे-धीरे […]
साहित्य
Cajoling & wooing : अरे! जिससे अपने पड़ोस वाली नही पटी वो ऑनलाइन क्या पटा पायेगा?
Tajinder Singh ================= Cajoling & wooing एक दिन मेरे पास एक फोन आया। आपका डेविड कार्ड ब्लॉक कर दिया जाएगा अगर आपने तुरन्त kyc अपडेट नही किया तो। इसलिए आप कृपया तुरंत बैंक से सम्पर्क कर kyc अपडेट करवाएं। मैंने पूछा कि तुरन्त kyc अपडेट के लिए मुझे क्या करना होगा? उधर से बताया गया […]
——– अबकी बार, ले चल पार ——-By-रवीन्द्र कान्त त्यागी
Ravindra Kant Tyagi =================== ——– अबकी बार, ले चल पार ——- छुट्टी के अब मात्र पांच दिन बचे हैं. जब से ऑस्ट्रेलिया से लौटा हूँ, कॉलेज के ज़माने के एक भी मित्र से मुलाकात नहीं हुई. पांच साल लंगे समय के थपेड़ों ने सब को जहां तहां बखेर दिया है. हर शाम उदास सा इस […]
तरक्की……….वो समय बहुत पीछे छुट गया!
Tajinder Singh =================== · तरक्की ……….. बचपन में सुनता था कि दिल्ली , कलकत्ता में पानी भी खरीद कर पीना पड़ता है | बहुत हैरानी होती थी | कैसे शहर हैं और कैसे वहां के लोग, जो पानी भी खरीदकर पीते हैं| हमारे शहर में तो जगह जगह नल लगे है | और गर्मी में […]
आपकी ज़िंदगी का कोच कौन है ?? अपने बच्चों को “संवेदनशील” बनाईए…!!!
Arvind Verma ============= कुछ माता-पिता बड़े समझदार होते हैं ! वे अपने बच्चों को किसी की भी मंगनी, विवाह, लगन, शवयात्रा, उठावना, तेरहवीं (पगड़ी) जैसे अवसरों पर नहीं भेजते, इसलिए की उनकी पढ़ाई में बाधा न हो! उनके बच्चे किसी रिश्तेदार के यहां आते-जाते नहीं, न ही किसी का घर आना-जाना पसंद करते हैं। वे […]
प्रतीक और परम्पराओं के सहारे…By-Tajinder Singh
Tajinder Singh ============== प्रतीक और परम्पराओं के सहारे… मेरा घर जिस जगह है वो प्राइवेट इलाका है। मेरे घर से एक किलोमीटर की दूरी से टाटा कंपनी का इलाका शुरू हो जाता है। यहां है चौड़े चौड़े रोड, चारो तरफ लगे वृक्ष। वृक्षों का एक जंगल है यहां। आप हर चौथे घर मे आम का […]
#अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना….By_लतिका श्रीवास्तव
Betiyan.in ============== जब मैं था तब हरि नही अब हरी है मैं नाहि…. पीयूष बेटा तेरे पिता तुझे बहुत याद कर रहे हैं अंतिम समय में तुझे देखना चाहते हैं एक बार आ जा बेटा….दमयंती जी करुणा विगलित स्वर में अपने इकलौते चिराग पियूष से प्रार्थना कर रहीं थीं। मां कोशिश कर रहा हूं कंपनी […]
फ़ैशन के नाम पर अंगप्रदर्शन, सभ्य और संस्कारी परिवार क्या कहते हैं ??
Arvind Verma ============== फ़ैशन के नाम पर अंगप्रदर्शन, आधुनिकता के नाम पर फूहड़ता और लिव इन रिलेशनशिप का समर्थन करने वाली अधिकतर 16 वर्ष से 66 वर्ष की लड़कियों ने अपना मत रखा कि “पुरुष भी तो करते हैं, ताली एक हाथ से नहीं बजती है”…हम भी अपनी मर्जी के मालिक हैं, हमें भी आजादी […]
झूठ पर झूठ…….झूठ पर झूठ!!
ममता शर्मा ======== अपनी मृत्यु और अपनों की मृत्यु डरावनी लगती है। बाकी तो मौत को enjoy ही करता है आदमी … थोड़ा समय निकाल कर अंत तक पूरा पढ़ना मौत के स्वाद का चटखारे लेता मनुष्य … थोड़ा कड़वा लिखा है पर मन का लिखा है … मौत से प्यार नहीं , मौत तो […]
और आख़िर में हाथ लगता है…..”घण्टा”
Tajinder Singh ============= घण्टा………तीसरे पहर की पोस्ट रात के 11 बजे के करीब आप की आंख लगी हो। फिर रात के तीसरे पहर में अचानक आप की नींद टूटे और आप पाएं कि आपको बाथरूम जाने की अर्ज महसूस हो रही है। आप लधु शंका से फारिग होकर वापिस बिस्तर पर आते हैं तो पाते […]