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भारत के हवाई सीमा के उल्लंघन की कोशिश में जुटा चीन, वायुसेना को भेजने पड़े फाइटर जेट्स

भारत और चीन के सैनिकों के बीच नौ दिसंबर को तवांग सेक्टर में हुई झड़प ने दोनों देशों के बीच तनाव को एक बार फिर चरम पर ला दिया है। हालांकि, कहा जा रहा है कि चीन इसी तरह हवाई क्षेत्र में लंबे समय से सीमा का उल्लंघन करने की कोशिश कर रहा था। ताजा जानकारी के मुताबिक, बीते दो-तीन हफ्ते में चीन की तरफ से अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर कई बार अपने ड्रोन्स भेजे गए। इनके जरिए चीन लगातार हवाई क्षेत्र के उल्लंघन की कोशिश करता रहा।

भारत और चीन के सैनिकों के बीच नौ दिसंबर को तवांग सेक्टर में हुई झड़प ने दोनों देशों के बीच तनाव को एक बार फिर चरम पर ला दिया है। हालांकि, कहा जा रहा है कि चीन इसी तरह हवाई क्षेत्र में लंबे समय से सीमा का उल्लंघन करने की कोशिश कर रहा था। ताजा जानकारी के मुताबिक, बीते दो-तीन हफ्ते में चीन की तरफ से अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर कई बार अपने ड्रोन्स भेजे गए। इनके जरिए चीन लगातार हवाई क्षेत्र के उल्लंघन की कोशिश करता रहा।

रिपोर्ट्स की मानें तो भारत को चीन की इन हरकतों का जवाब देने के लिए कई बार क्षेत्र में तैनात अपने फाइटर जेट्स को उतारना पड़ा। रक्षा मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया कि बीते कुछ हफ्तों में दो-तीन बार ऐसा हुआ, जब वायुसेना को एलएसी के पार आने की कोशिश कर रहे ड्रोन्स को खदेड़ने के लिए लड़ाकू विमान उतारने पड़े। वायुसेना को इन खतरों से निपटने के लिए सुखोई-30 एमकेआई जेट्स का सहारा लेना पड़ा।

सूत्रों के मुताबिक, वायुसेना लगातार चीन से लगी सीमा पर ड्रोन्स की गतिविधियों पर नजर रख रहा है। हवाई सीमा के उल्लंघन की संभावना को देखते हुए भारतीय सेना भी मुस्तैद है। सूत्र ने बताया कि अगर ड्रोन एलएसी की बराबरी पर उड़ता दिखता है, तो भारत को कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन अगर कोई एयरक्राफ्ट या ड्रोन भारतीय सीमा की तरफ आने की कोशिश में रडार पर आ जाता है, तो उसे खदेड़ने के लिए जरूरी कार्रवाई की जाती है।

गौरतलब है कि वायुसेना ने पूर्वोत्तर के राज्यों में मजबूत पहुंच बना रखी है। मौजूदा समय में असम के तेजपुर से लेकर छाबुआ में सुखोई-30 फाइटर जेट्स के स्क्वाड्रन्स को तैनात किया गया है। इसके अलावा पश्चिम बंगाल के हाशिमारा में राफेल लड़ाकू विमानों को भी रखा गया है। चीन को मुहंतोड़ जवाब देने के लिए असम सेक्टर में रूस से खरीदा गया एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम भी स्थापित है।