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Chinese Speaker Li Zhanshu in Kathmandu : नेपाल में फिर झुका चीन की तरफ पलड़ा?

Chinese Speaker Li Zhanshu in Kathmandu: चीन के प्रोटोकॉल में ली का दर्जा राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री ली किचियांग के बाद तीसरा है। उनकी यात्रा के दौरान सोमवार को चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत नेपाल शासन, विधायी और निगरानी व्यवहारों के मामले में चीन के साथ संबंध और बढ़ाने पर राजी हो गया…

नेपाल फिर से चीन के पाले में झुकता नजर आ रहा है। पिछले साल जुलाई में शेर बहादुर देउबा के प्रधानमंत्री बनने के बाद से ये राय बनी कि नेपाल में अमेरिका का प्रभाव बढ़ रहा है। लेकिन अब लगता है कि चीनी कूटनीति कारगर हो रही है। इसके पहले संकेत कुछ समय पहले मिले थे, जब नेपाल के विदेश मंत्री नारायण खड़का विशेष आमंत्रण पर चीन गए। अब चीन की संसद- नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के स्पीकर ली झानशू की काठमांडू यात्रा ने उस धारणा को और पुख्ता कर दिया है।

चीन के प्रोटोकॉल में ली का दर्जा राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री ली किचियांग के बाद तीसरा है। उनकी यात्रा के दौरान सोमवार को चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत नेपाल शासन, विधायी और निगरानी व्यवहारों के मामले में चीन के साथ संबंध और बढ़ाने पर राजी हो गया। ली यहां 67 सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल के साथ चार दिन की यात्रा पर आए हैं। सोमवार को यहां उनकी नेपाल की प्रतनिधि सभा के स्पीकर अग्नि प्रसाद सपकोटा के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता हुई। इसके बाद दोनों देशों ने एक छह सूत्रीय समझौते पर दस्तखत किए।

नेपाल मई 2017 में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) में शामिल हुआ था। इसके तहत नेपाल से चीन तक रेलवे पटरी बिछाने का एक करार भी हुआ था। लेकिन अब तक बीआरआई परियोजनाओं पर ज्यादा प्रगति नहीं हुई है। समझा जाता है कि इससे चीन नाराज रहा है। लेकिन हाल में नेपाल सरकार के कुछ फैसलों से उसे तसल्ली हुई है। इसमें अमेरिका के स्टेट पार्टनिशप प्रोग्राम में भाग लेने से नेपाल का इनकार भी शामिल है। इसके अलावा ताइवान विवाद में नेपाल ने खुल कर चीन के रुख का समर्थन किया है।

ली के साथ बातचीत के दौरान भी सपकोटा ने वन चाइना पॉलिसी के प्रति नेपाल की वचनबद्धता दोहराई और ये वादा किया कि नेपाल अपनी जमीन पर चीन विरोधी गतिविधियां नहीं होने देगा। इस बीच नेपाल और चीन ने 2019 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की नेपाल यात्रा के दौरान हुए समझौते के प्रति एक बार फिर अपनी वचनबद्धता दोहराई है। उस समझौते के तहत दोनों देशों ने अपने संबंधों का दर्जा बढ़ा कर इसे ‘व्यापक’ और ‘रणनीतिक’ करने का एलान किया था।

सपकोटा ने कहा कि चीन लंबे समय से विभिन्न क्षेत्रों में नेपाल की मदद करता रहा है, लेकिन अब उनका देश चीन से अधिक सहायता की उम्मीद कर रहा है। इसके जवाब में ली ने केरुंग-काठमांडू रेल परियोजना का संभाव्यता (फिजिबिलीटी) अध्ययन कराने और नेपाल के त्योहारों के सीजन में सीमा पर कारोबार द्वारों को खोलने का वादा किया।

ली के नेतृत्व में आए प्रतिनिधिमंडल की यहां कई पार्टियों और समूहों के नेताओं से बातचीत होगी। नेपाली मीडिया में एक कयास यह भी हैं कि ली एक बार फिर से नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टियों को एकजुट होने के लिए प्रेरित करेंगे। लेकिन कुछ विश्लेषकों का कहना है कि अब चूंकि नेपाली कांग्रेस ने चीन के प्रति गर्मजोशी भरा रुख अपना लिया है, इसलिए संभव है कि चीनी नेता नेपाल की अंदरूनी राजनीति में ज्यादा दखल ना दें।