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ED ने जेडीयू एमएलसी राधा चरण सेठ को गिरफ़्तार कर लिया!

प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने बुधवार को जेडीयू एमएलसी राधा चरण सेठ को गिरफ़्तार कर लिया है. राधा चरण सेठ की गिरफ़्तारी आरा के उनके मकान से हुई है.

ईडी की टीम राधा चरण सेठ को पटना लेकर आई है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ राधा चरण सेठ को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ़्तार किया गया है.

जनता दल यूनाइटेड में शामिल होने से पहले राधा चरण सेठ आरजेडी से भी बिहार विधान परिषद के सदस्य यानी एमएलसी रह चुके हैं.

राधा चरण सेठ जून 2020 में बिहार विधान परिषद चुनाव के ठीक पहले राष्ट्रीय जनता दल को छोड़कर जेडीयू में शामिल हुए थे.

राधा चरण सेठ पहले आरा रेलवे स्टेशन के बाहर अपने पिताजी की मिठाई की दुकान चलाते थे.

ख़बरों के मुताबिक़ जलेबी बेचने के व्यवसाय से शुरुआत करने वाले राधा चरण सेठ बाद में कई तरह के कारोबार से जुड़े, जिनमें माइनिंग, होटल और रेस्टोरेंट का कारोबार भी शामिल है.

इस तरह से राधा चरण सेठ की गिनती एक बड़े कारोबारी के तौर पर की जाती है. ख़बरों के मुताबिक़ इनका कारोबार और संपत्ति कई शहरों में है.

वरिष्ठ पत्रकार नचिकेता नारायण के मुताबिक़ राधा चरण सेठ जलेबी की दुकान चलाते थे, बाद में माइनिंग के व्यवसाय से भी जुड़े.

अंग्रेज़ी अख़बार ‘द हिन्दू’ की ख़बर के मुताबिक़ राधा चरण सेठ को प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले हफ़्ते ग़ैरकानूनी व्यवसाय और बालू के खनन में बड़ी कमाई करने के आरोप में समन भेजा था.

इससे पहले भी इसी साल फ़रवरी और जून में भी राधा चरण सेठ से जुड़े ठिकानों पर ईडी और आयकर विभाग ने छापेमारी की थी. राधा चरण सेठ के सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल के मुताबिक़ उनका नाम राधा चरण साह है. उन्हें सेठ जी के नाम से भी जाना जाता है.

विपक्ष का केंद्र पर आरोप

राधा चरण सेठ की गिरफ़्तारी के बाद जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता नीरज कुमार ने आरोप लगाया है कि ईडी, आईटी और सीबीआई के दुरुपयोग का अधिकार केंद्र ने अपने हाथ में ले लिया है, ईडी के मामले में जेल में गए लोगों को महाराष्ट्र में मंत्री बना रहे हैं.

नीरज कुमार आरोप लगाते हैं, “जिस दिन से बिहार में महागठबंधन बना है उस दिन से लगातार सीबीआई, ईडी और आईटी की कार्रवाई हो रही है. ये आपकी मर्ज़ी है, आप दिल्ली में सत्ता में बैठे हैं. आख़िर में यह न्यायपालिका तय करेगा, लेकिन यह भी सत्य है कि केंद्र दोहरा मापदंड अपनाता है.”

अगस्त 2022 में बिहार में नीतीश कुमार ने बीजेपी से अपना गठबंधन तोड़ लिया था. उसके बाद उनकी पार्टी जेडीयू ने आरजेडी, कांग्रेस और वाम दलों के साथ मिलकर बिहार में महागठबंधन की सरकार बनाई थी.

24 अगस्त 2022 को सीबीआई ने आरजेडी यानी राष्ट्रीय जनता दल के राज्यसभा सांसद अशफ़ाक़ करीम से जुड़े विभिन्न जगहों पर छापा मारा था. उसी दिन आरजेडी नेता सुबोध राय, सुनील सिंह और फ़ैयाज़ अहमद से जुड़े विभिन्न जगहों पर भी छापेमारी की गई थी. सीबीआई की यह छापेमारी कथित तौर पर ‘लैंड फ़ॉर जॉब’ घोटाले को लेकर हुई थी.

विपक्ष का आरोप

आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा आरोप लगाते हैं, “ मैं ईडी को नहीं मानता. मैं सीधे तौर पर मानता हूं कि दो-तीन दिन पहले लालू जी के सप्लीमेंट्री चार्जशीट पर आगे बढ़ने की अनुमति गृह मंत्रालय यानी अमित शाह ने दी थी.”

वे पूछते हैं, “ईडी कौन है, नरेंद्र मोदी और अमित शाह हैं. अभिषेक बनर्जी को कल बुलाया, ये ईडी नहीं है, सीबीआई नहीं है, आईटी नहीं है. ये नरेंद्र मोदी और अमित शाह हैं.”

मनोज झा का आरोप है कि साल 2024 के लोकसभा चुनाव को बीजेपी राजनीतिक तौर पर नहीं लड़ेगी, बल्कि इन संस्थाओं के माध्यम से लड़ेगी.

बिहार में महागठबंधन सरकार बनने के बाद से ही आरजेडी, कांग्रेस और जेडीयू के नेता केंद्र सरकार पर इस तरह के आरोप लगाते रहे हैं कि विपक्ष को परेशान करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है.

बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद अखिलेश सिंह का आरोप है कि मनमोहन सिंह के दस साल के कार्यकाल में ईडी ने क़रीब तीन सौ छापेमारी की थी और ये सारे उनके मामले थे, जिन लोगों पर गड़बड़ी का संदेह था. इसमें विपक्ष के नेताओं को निशाना नहीं बनाया गया था, जबकि मौजूदा सरकार में पिछले नौ साल में ईडी ने 3000 से ज़्यादा छापेमारी की है.

अखिलेश सिंह के मुताबिक़, “अभी की सरकार तो विपक्ष के नेताओं को निशाना बानाकर किसी को बंद करने की कोशिश, कहीं सरकार गिराने की कोशिश, अपनी पार्टी में लाने की कोशिश या डराकर ज़ुबान बंद कराने की कोशिश कर रही है. और उसी सिलसिले में जेडीयू एमएलसी को बुधवार को गिरफ़्तार किया गया है.”

बिहार में कई विपक्षी नेताओं की जांच
बिहार राधा चरण सेठ के पहले भी बिहार में कई नेताओं से जुड़े मामलों की सीबीआई, ईडी या इनकम टैक्स जैसी केंद्रीय एजेंसिया जांच कर रही है.

इनमें बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा समय में नीतीश सरकार की सबसे बड़ी साझेदार पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के लोग भी शामिल हैं.

आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी आरोप लगाते हैं कि “केंद्रीय एजेंसियों के माध्यम से देश के केवल विपक्षी नेताओं को परेशान किया जा रहा है. बीजेपी राजनीति लड़ाई नहीं लड़ पा रही है, लेकिन इससे उनको कोई फ़ायदा नहीं मिलने वाला है.”

मृत्युंजय तिवारी ने इस सिलसिले में आरजेडी के कई नेताओं और लालू यादव के परिवार के सदस्यों का ज़िक्र किया है जिनसे पहले सीबीआई, इनकम टैक्स या ईडी ने पूछताछ की है.

इनमें कई बड़े नेता शामिल हैं, मसलन, आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, लालू प्रसाद यादव की पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, लालू के बेटे और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, लालू की बेटी और राज्यसभा सांसद मीसा भारती, आरजेडी के राज्यसभा सांसद अशफ़ाक़ करीम, आरजेडी के पूर्व एमएलसी सुनील सिंह, आरजेडी के नेता सुभाष यादव और आरजेडी के नेता भोला यादव.

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चंदन कुमार जजवाड़े
पदनाम,बीबीसी संवाददाता
……..से
पटना, बिहार