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#G-20 #INDIA-रियूटर, जापान टाइम्स, वाशिंगटन पोस्ट ने ग़रीबों के घर उजाड़ने की ख़बर छापी : ये तो अंतरष्ट्रीय बदनामी है : वीडियो

Ravish Kumar Official

Sep 8, 2023
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विकासशील देशों के सामने चुनौतियाँ अनेक हैं, और बढ़ती जा रही हैं। वैश्वीकरण से बहस बहुत आगे जा चुकी है, अब तो अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार अवैश्वीकरण की बात करने लगे हैं। लेकिन गोदी मीडिया की G20 कवरेज में आपको ऐसा कुछ नहीं दिखेगा जिस से इस सम्मेलन से जुड़े मुद्दों और इसकी प्रासंगिकता को लेकर कोई समझ पैदा की जा रही हो। सड़कों पर प्रधानमंत्री के पोस्टर और प्राइम टाइम डिबेट में सनातन की बहस के बीच G20 से जुड़े सारे सवाल निपटा दिए गए हैं। असल में ग़लती सिर्फ़ इस मीडिया की नहीं है। भारत के गोदी मीडियो को लोफ़र और लफ़ंडर बना देने में आप दर्शक भी कम ज़िम्मेदार नहीं है। इस गोदी मीडिया की उपयोगिता केवल एंटी मुस्लिम डिबेट और मोदी-मोदी करने में रह गई है। शायद अब प्रधानमंत्री भी समझने लगे हैं, इसलिए आपने नोट किया होगा कि प्रधानमंत्री ने सम्मेलन से पहले किसी भी गोदी चैनल के एंकर को सम्मेलन को लेकर टीवी इंटरव्यू नहीं दिया। उन्हें भी पता चल गया है कि कूटनीति इनके बस की बात नहीं है।

भारत’ क्या नहीं कहलाएगा ‘इंडिया’? | ‘Bharat’, that is not ‘India’?

Ravish Kumar Official

Sep 6, 2023

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एक देश एक डिबेट। यह पहले ही लागू हो चुका है। एक एक मुद्दा आता है और उसे लेकर सारे गोदी चैनलों पर डिबेट होने लग जाता है। क्या आपने सोचा है कि भारत बनाम इंडिया का यह डिबेट क्यों चलाया गया है? G20 के डिनर कार्ड पर प्रेसिडेंड आफ भारत लिख कर पीछे के दरवाज़े से यह बहस क्यों चलाई गई? इससे क्या मिलने वाला है और दोनों नाम होने से नुकसान क्या हो रहा था? खुद मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद स्किल इंडिआ, मेक इन इंडिया करते रहे हैं, तब क्या उन्हें गुलामी नज़र नहीं आई थी। रिज़र्व बैंक आफ इंडिया को भी अंग्रेजी में आप रिज़र्व बैंक आफ भारत लिखेंगे और इसके लिए क्या नए नोट छापेंगे? पूरे देश के पासपोर्ट क्या बदले जाएँगे? क्या क्या करेंगे ताकि जनता का मुद्दा गोदी मीडिया के स्टुडियो में न पहुंचे और गोदी मीडिया के स्टुडियो से मोदी की राजनीति का मुद्दा जनता के बीच घूमता रहे? इसलिए आपको सोचना यह है कि वो कौन सा मुद्दा है जिस पर पर्दा डालने के लिए तरह-तरह के मुद्दे लाए जा रहे हैं।