साहित्य

तरही ग़ज़ल…:”बरसों के बाद आए थे अपने दयार में” : सरदार हरबंस सेठी की तीन ग़ज़लें पढ़िये!

Harbans Sethi

From Faridabad
================
तरही ग़ज़ल…
मिसरा :- “तुम क्या गये कि रूठ गये दिन बहार के” !!
जब फैस’ले ही ले लि’ए हों आर पार के !!
फिर क्या मलाल कीजिये अब जीत हार के !!
कुछ काम ज़िन्दगी में ज़रा सोच कर करें !
हैं नौ न’कद भले, न कि तेर’ह उधार के !!
मत पूछि’ये कि कितनी बहारें गुज़र ग’ईं !
फिर भी न ख़त्म हो स’के दिन इन्तज़ार के !!
इक बार प्यार की वो नज़र फिर से डालिये !
क्यूँ छुप गये हैं आप मुझे यूं पुकार के !!
है मुश्किलों का नाम ही दूजा, ये ज़िंदगी !
बैठे नहीं हैं हम कभी मुश्किल से हार के !!
मग़रिब का इनपे ऐसा असर कुछ हुआ जनाब !
सबने हया है रख दी किनारे उतार के !!
गिरह….
ख़ुशियां न रौनकें हैं खिज़ा ही खिज़ा है अब !
“तुम क्या गये कि रूठ गये दिन बहार के” !!
Harbans Singh Sethi,
12/11/2022.

Harbans Sethi
===========
ग़ैर तरही ग़ज़ल के तहत…
आज जाना कि दोस्ती क्या है !!
दोस्तों के बिना ख़ुशी क्या है !!
यूं ही इतराओ मत जवा’नी पर !
ख़ाक का ढेर, आदमी क्या है !!
कौन जाने हिसाब है मुश्किल !
कितनी बीती है अर बची क्या है !!
दर्द में चा’र दिन गुज़ा’रो तो !
जान जाओ’गे बेबसी क्या है !!
जिसमें शामिल नहीं है प्यार तिरा !
ज़िन्दगी वो भी ज़िन्दगी क्या है !!
ये हक़ीकत है या कि ख़्वाब कुई !
ये मिली या नहीं मिली, क्या है !!
Harbans Singh Sethi,

Harbans Sethi
=========
·
तरही ग़ज़ल…
मिसरा :-“बरसों के बाद आए थे अपने दयार में” !!
वज़न :- 221. 2121. 1221. 212.
क्यूँ पड़ गये हैं आप भला मेरे प्यार में !!
ऐसा भी क्या दिखा है तुम्हें ख़ाकसार में !!
वो ही ग़ज़ब है आज भी नैंनों की धार में !!
सबसे ही शानदार है तू शानदार में !!
करते हैं इन्तज़ार अभी तक भी आपका !
वादा किया था आप ने पिछली बहार में !!
आंखें उठा नहीं सका महफिल में शर्म से !
ग़ैरत झलक रही थी किसी शर्मसार में !!
सुन कर सदा न लौटता कैसे, बताईये !
कैसा अजीब दर्द था उसकी पुकार में !!
दो और कितने ज़ख़्म मुझे दे सको गे अब !
काफ़ी जगह है अब भी दिले दाग़दार में !!
गिरह…
अपना दयार देख के हम दंग रह गये !
“बरसों के बाद आए थे अपने दयार में” !!
Harbans Singh Sethi,
27/10/2022.