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भारत के हरित क्रांति के जनक कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन का निधन, पूरी दुनिया में थे प्रसिद्ध

भारत में हरित क्रांति के जनक के तौर पर मशहूर कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन का गुरुवार 28 सितम्बर को चेन्नई में निधन हो गया। वह 98 वर्ष के थे।

उन्होंने धान की अधिक उपज देने वाली क़िस्मों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जिससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिली कि भारत के कम आय वाले किसान अधिक उपज पैदा करें।

अपने कार्यकाल के दौरान स्वामीनाथन ने विभिन्न विभागों में विभिन्न पदों पर कार्य किया था।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2004 में स्वामीनाथन को किसानों के लिए गठित राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था, जिसे आत्महत्या के ख़तरनाक मामलों के बीच किसानों के संकट को दूर करने के लिए गठित किया गया था।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने 1949 में आलू, गेहूं, चावल और जूट के आनुवंशिकी पर शोध करके अपना करिअर शुरू किया था। जब भारत बड़े पैमाने पर अकाल के कगार पर था, जिसके कारण खाद्यान्न की कमी हो गई थी, तब उन्होंने नॉर्मन बोरलॉग और अन्य वैज्ञानिकों के साथ मिलकर गेहूं की उच्च उपज वाली किस्म के बीज विकसित किए थे।

स्वामीनाथन को पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया है। उन्हें 1971 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार और 1986 में अल्बर्ट आइंस्टीन विश्व विज्ञान पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों के अलावा उन्हें एचके फिरोदिया पुरस्कार, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय पुरस्कार और इंदिरा गांधी पुरस्कार से नवाज़ा गया है।

भारत में अपने काम के अलावा स्वामीनाथन विश्व स्तर पर एक भी एक जाने-माने व्यक्ति थे। उन्होंने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय कृषि और पर्यावरण पहलों में योगदान दिया। टाइम पत्रिका द्वारा उन्हें 20वीं सदी के 20 सबसे प्रभावशाली एशियाई लोगों में से एक नामित किया गया था।