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ISIS द्वारा इराक़ में मारे गए भारतीयों के परिवार ने कहा”मोदी सरकार ने हमें अँधेरे में क्यों रखा”

चंडीगढ़ः इराक के मोसुल में कुछ वर्ष पहले मारे गए 39 भारतीयों के परिवार के सदस्य इस दुख भरी खबर से उबरने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उनका सवाल है कि आखिर केंद्र ने इन वर्षों में उन्हें अंधेरे में क्यों रखा? विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सोमवार को संसद को सूचित किया कि आईएसआईएस द्वारा अपहृत 39 लोग मारे जा चुके हैं. इसके बाद पंजाब में पीड़ित परिवारों के घरों के सामने दिलदहला देने वाला दृश्य देखने को मिला. मारे गए कामगारों के कई रिश्तेदारों ने कहा कि अधिकारियों ने उन्हें उनके प्रियजन के मारे जाने के बारे में आधिकारिक तौर पर सूचित नहीं किया था. मारे गये लोगों में शामिल 31 वर्षीय निशान के भाई सरवन ने निराशा के साथ कहा अब हम क्या कहें?

अमृतसर के रहने वाले सरवन ने दावा किया, ‘‘ सरकार ने इन वर्षों में हमें अंधेरे में रखा.’’ उन्होंने बेहद उदास स्वर में कहा कि अब चार वर्ष बाद वे इस तरह का स्तब्ध करने वाला बयान दे रहे हैं. सरवन ने कहा, ‘‘ हमने केंद्रीय मंत्री( सुषमा स्वराज) से 11 से 12 बार मुलाकात की और हमें बताया गया कि उनके सूत्रों के मुताबिक लापता भारतीय जीवित हैं. वे कहते रहे हैं कि हरजीत मसीह( आईएस के चंगुल से भाग निकलने में कामयाब इकलौता भारतीय) झूठा है. अगर उनके सूत्र यह बताते रहे हैं कि वे जिंदा हैं तो अचानक अब क्या हुआ. सरकार को झूठे बयान देने की बजाय यह कहना चाहिए था कि उनके पास लापता भारतीयों के बारे में कोई जानकारी नहीं है.’’

गोबिंदर सिंह के परिवार को टीवी चैनलों से उनकी मौत की सूचना मिली.मृतक के छोटे भाई दविंदर सिंह ने कहा, ‘‘ हमें 39 भारतीयों के मारे जाने की पुष्टि की खबर के संबंध में केंद्र सरकार से किसी तरह की सूचना नहीं मिली है.’’ धरमिंदर कुमार(27) की बहन डिंपलजीत कौर ने कहा, ‘‘ हमें सरकार की ओर से झूठे आश्वासन मिले.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ हमारी सारी उम्मीदें आज खत्म हो गयीं.’’

अमृतसर के गुरचरन सिंह के परिवार को भी केंद्र सरकार से कुछ ऐसा ही आश्वासन मिला कि सभी भारतीय सुरक्षित है. गुरचरन सिंह की पत्नी हरजीत कौर ने कहा, ‘उन्होंने 2013-14 में मोसुल छोड़ दिया था, सरकार ने यह बताया था कि वह सभी सुरक्षित है और अब वह कुछ और कह रहे हैं, मुझे नहीं पता की अब मैं क्या कहूं’

मारे गए 39 भारतीयों में शामिल मंजिंदर सिंह की बहन गुरपिंदर कौर ने कहा, ‘पिछले 4 साल से विदेश मंत्रालय हमें कह रहा था कि वह जिंदा है, मुझे नहीं पता कि अब किस पर विश्वास किया जाए. मैं विदेश मंत्री से बात करने का इंतजार कर रही हूं. हमें कोई जानकारी नहीं दी गई, हमें संसद में दिए गए उनके बयान से पता चला’

मालूम हो कि इराक के मोसुल से सरकार ने 39 शवों को बरामद किया है, जिसमें से 38 शवों का डीएनए टेस्ट से पुष्टि हो चुकी है. उन्होंने बताया कि जिन शवों की शिनाख्त हुए हैं उनमे से 27 पंजाब, 4 हिमाचल प्रदेश, 6 बिहार और 2 पश्चिम बंगाल से हैं. हालांकि बिहार के एक शव की शिनाख्त नहीं हो पाई है. बिहार के राजू यादव के शव की शिनाख्त नहीं हो पाई है।

सुषमा स्वराज ने बताया कि प्लेन से शवों को चंडीगढ़ लाया जाएगा. इसके बाद इस प्लेन को हिमाचल फिर इसे पटना ले जाया जाएगा. आखिर में यही प्लेन पश्चिम बंगाल जाएगा और परिजनों को शव सौंपा जाएगा. मैं मृतकों के परिजनों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि मैंने आपसे कभी सच्चाई नहीं छुपाया. मैंने जब सबूत एकत्र कर लिए तो आपके सामने आया हूं. शव से बेहतर सबूत कुछ नहीं हो सकते हैं. उन भारतीयों से जान बचाकर देश लौटे हरजीत मसीह के बयान पर विदेश मंत्री ने कहा कि वह एक व्यक्ति है, हम सरकार हैं. केवल एक व्यक्ति के बयान पर हम किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकते थे. हमने डीएनए टेस्ट के आधार पर शवों पुष्टि की है.

मोसुल में मारे गए भारतीयों के नाम

इराक में मारे गए भारतीयों में पंजाब के 27, हिमाचल प्रदेश के चार, बिहार के छह और पश्चिम बंगाल के दो नागरिक शामिल हैं. विदेश मंत्रालय के अनुसार, पंजाब के नागरिकों के नाम धरमिंदर कुमार, हरीश कुमार, हरसिमरनजीत सिंह, कंवलजीत सिंह, मल्कीत सिंह, रंजीत सिंह, सोनू, संदीप कुमार, मनजिंदर सिंह, गुरुचरण सिंह, बलवंत राय, रूप लाल, देविंदर सिंह, कुलविंदर सिंह, जतिंदर सिंह, निशान सिंह, गुरदीप सिंह, कमलजीत सिंह, गोबिंदर सिंह, प्रीतपाल शर्मा, सुखविंदर सिंह, जसवीर सिंह, परविंदर कुमार, बलवीर चंद, सुरजीत मैंका, नंद लाल और राकेश कुमार हैं.

हिमाचल प्रदेश के मृतकों के नाम अमन कुमार, संदीप सिंह राणा, इंद्रजीत और हेम राज हैं.पश्चिम बंगाल से समर तिकदर और खोखन सिकदर थे, तो बिहार के नागरिकों के नाम संतोष कुमार सिंह, विद्या भूषण तिवारी, अदालत सिंह, सुनील कुमार कुशवाह, धर्मेद्र कुमार और राजू कुमार यादव हैं. राजू कुमार यादव को छोड़कर अन्य सभी के शवों की पहचान डीएनए नमूनों के आधार पर कर ली गई है. सुषमा ने संवाददाताओं को बताया कि यादव के परिजनों की मौत हो जाने के कारण उनके रिश्तेदार द्वारा डीएनए नमूना भेजा गया था. इसलिए यादव का शव मात्र 70 फीसदी पहचाना गया.