साहित्य

झूठ, छद्म और कुटिलता से अर्जित पद और प्रतिष्ठा सब कुछ अंततः यही छूट जाएगा : लक्ष्मी सिन्हा का लेख पढ़ें!

Laxmi Sinha
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झूठ, छद्म और कुटिलता से अर्जित पद और प्रतिष्ठा
सब कुछ अंततः यही छूट जाएगा।
छल_छद्म से बड़ा पद, प्रतिष्ठा और यश भले
ही मिल जाए लेकिन यह सब स्थायी नहीं रहती।
वास्तव में खुद के अवगुणों को कुछ समय तक
छिपाने का अभियान कर स्वयं को गहन अंधकार
में रखी जा सकती है, परंतु जगत_नियंता को नहीं।
अभिनय और यथार्थ में जमीन_आसमानका अंतर
होता है। पद और अवसर अस्थायी है। आते_जाते
रहेंगे, किंतु मूल्य एवं चरित्र स्थायी है। शून्य से
उड़ान भर कर फिर शून्य में मिलना ही जीवन
का अंतिम सत्य है। झूठ, छद्म और कुटिलता से
अर्जित पद और प्रतिष्ठा सब कुछ अंततः यही
छूट जाएगा। परिश्रम, त्याग, तपस्या और संघर्ष से
अर्जित विद्या एवं संपत्ति इतिहास का अंग बनकर
युग _युगो तक आने वाली पीढ़ियों को याद रहेगी।
वहीं , छल_ छद्म से अर्जित पद और यश कुर्सी के
छोड़ते ही स्वयं को अपराधबोध कराकर ग्लानि भाव
से भरते रहेंगे। दूसरों के श्रम, शक्ति और श्रेय का
अनावश्यक लाभ अर्जित करने वाले व्यक्ति को
उन्हीं का ॠण चुकाने के लिए पुनः जन्म लेकर
अपने पाप से उॠण होना पड़ता है। कोई नकल
करके किसी की तरह दिखना प्रारंभ कर सकता है,
लेकिन उसके जैसे मूल्य, संस्कार और चरित्र कहां
से लाएगा ? कोई श्री राम या बुद्ध बनने का स्वांग
भर सकता है, लेकिन वैसा गुणधर्म, चरित्र और
योग्यता कहां से अर्जित करेगा ? बिना साधन के
मिला पद और सम्मान भले ही आपका कीत्रिम यश
बढ़ा सकता हो, लेकिन मौलिकता के अभाव में कोई
भी वस्तु यथार्थ के सुख एवं स्थायी आनंद की प्रतीति
नहीं करा सकती। उस यथार्थता के अभाव में प्राप्त
दुर्लभ जीवन निरर्थक है और भविष्य भी अंधकार
से भरा।इसलिए सदैव स्वयं की खोज में तत्पर रहिए।
पहचानी ए की विधाता ने किस उपदेश के साथ
आपको इस धरती पर भेजा है और पूरे मनोयोग से
उस भूमिका के निर्वहन में जुटकर जीवन को सार्थक
बनाने का प्रयास करनी चाहिए।

#Laxmi_sinha
प्रदेश संगठन सचिव महिला प्रकोष्ठ
राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी(बिहार)