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Lt Gen Anil Puri : कौन हैं ‘अग्निपथ योजना’ की बेहद सधे शब्दों में तरफदारी करने वाले लेफ्टिनेंट जनरल पुरी?

अग्निपथ योजना के खिलाफ मचे बवाल के बीच रविवार को तीनों सेनाओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और योजना को लेकर अपना रुख साफ किया। इस दौरान लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने दो टूक कहा कि अग्निपथ योजना वापस नहीं होगी।

अग्निपथ योजना के खिलाफ मचे बवाल के बीच रविवार को तीनों सेनाओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और योजना को लेकर अपना रुख साफ किया। इस दौरान लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने दो टूक कहा कि अग्निपथ योजना वापस नहीं होगी। योजना की तरफदारी और बेहद सधे शब्दों में बात रखने वाले लेफ्टिनेंट जनरल पुरी अब चर्चाओं में बने हुए हैं।

लेफ्टिनेंट जनरल पुरी ने अपील करते हुए कहा था कि जो विरोध कर रहे हैं, उनसे गुजारिश है कि समय बर्बाद न करें। फिजिकल पास करना आसान नहीं। तैयारी करने के लिए 45-60 दिन का समय है। अब चर्चा यह भी हो रही है कि योजना को लेकर सेना की ओर से बात रखने के लिए लेफ्टिनेंट जनरल पुरी ही क्यों चुने गए? आइए उनके बारे में जानते हैं।

पुरी ढाई साल पहले बनाए गए सैन्य मामलों के विबाग में सबसे वरिष्ठ अधिकारी हैं। वे यहां अतिरिक्त सचिव के पद पर हैं। सैन्य मामलों का विभाग, सकार और सेनाओं के बीच पुल का काम करता है और इसके मुखिया चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ होते हैं। लेफ्टिनेंट जनरल पुरी, दिवंगत सीडीएस जनरल बिपिन रावत के ही उस विजन को आगे बढ़ा रहे हैं जिसमें सेना भर्ती की व्यवस्था को स्ट्रीमलाइन करने की बात कही गई। रक्षा मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, पुरी ही वहां सबसे वरिष्ठ हैं।

जानकारी के मुताबिक लेफ्टिनेंट जनरल पुरी उन वरिष्ठ सैन्य अफसरों में से एक हैं जिनकी देखरेख में यह अल्पकालिक भर्ती योजना तैयार की गई है। पुरी के मुताबिक, तीनों सेनाओं की उम्र घटाने की योजना काफी लंबे समय से बन रही थी। कारगिल रिव्यू कमिटी ने भी इस बारे में टिप्पणियां की थीं।

दो साल पहले 2020 में जब सरकार ने रक्षा मंत्रालय के भीतर सैन्य मामलों का विभाग (डीएमए) बनाया तो जनरल बिपिन रावत पहले सीडीएस बने थे। उन्होंने कई बार भर्ती व्यवस्था में इस सुधार की वकालत की थी। उनके ही नेतृत्व में टीम योजना की बारीकियों पर काम करती थी।

लेफ्टिनेंट जनरल पुरी की वजह से ही मई 2021 के बाद अग्निपथ योजना को अंतिम रूप देने में तेजी आई। उन्हें सैन्य मामलों के विभाग में अतिरिक्त सचिव नियुक्त किया गया। पुरी के साथ ही तीनों सेनाओं के एक-एक वरिष्ठ अधिकारी को सैन्य मामलों के विभाग में संयुक्त सचिव बनाया गया। भारतीय सशस्त्र बलों के इतिहास में यह पहली बार था जब रक्षा मंत्रालय में तीनों सेनाओं के अतिरिक्त सचिव और संयुक्त सचिव की नियुक्ति की गई।