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Maharashtra : शिंदे सरकार 40 दिन बाद करेंगी कैबिनेट का विस्तार

शिवसेना में विद्रोह के कारण ठाकरे के इस्तीफा देने के बाद शिंदे और फडणवीस ने 30 जून को मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे कार्यभार संभालने के 40 दिन बाद मंगलवार को अपने दो सदस्यीय मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे। लेकिन यह अंतर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के 68 दिनों तक राज्य चलाने के रिकॉर्ड से कम है, जब उन्होंने 2018 में केवल एक मंत्री के साथ सरकार चलाई थी। कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने तीन सप्ताह तक अकेले सरकार चलाई, जब वह 26 जुलाई, 2019 को एच डी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली जद (एस)- कांग्रेस सरकार के पतन के बाद सत्ता में लौटे थे।

फणडवीस ने ठाकरे सरकार का दिया था उदाहरण
कैबिनेट विस्तार में देरी पर विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पिछली महाराष्ट्र विकास अघाड़ी सरकार ने 40 दिनों के लिए सात सदस्यीय कैबिनेट के साथ काम किया था। शिवसेना में विद्रोह के कारण ठाकरे के इस्तीफा देने के बाद शिंदे और फडणवीस ने 30 जून को मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। शिंदे-फडणवीस सरकार ने 4 जुलाई को महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत साबित किया था।

दो सदस्यीय कैबिनेट की कई बैठकें हो चुकी हैं
दो सदस्यीय कैबिनेट की कई बैठकें हो चुकी हैं और राज्य में रुकी हुई परियोजनाओं के पुनरुद्धार सहित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। तेलंगाना में दो महीने से अधिक समय तक मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने गृह मंत्री के रूप में सिर्फ एक कैबिनेट सहयोगी मोहम्मद महमूद के साथ अपनी सरकार चलाई थी। केसीआर के नाम से पहचाने जाने वाले राव ने 13 दिसंबर, 2018 को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद दो महीने से अधिक समय तक कैबिनेट विस्तार नहीं किया था।

19 फरवरी, 2019 को केसीआर ने मंत्रियों के रूप में 10 और सदस्यों को शामिल करके अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया था। कर्नाटक में येदियुरप्पा ने 29 जुलाई को राज्य विधानसभा में अपना बहुमत साबित कर दिया, लेकिन 20 अगस्त, 2019 को ही अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर सके, क्योंकि जाति और क्षेत्रीय समीकरणों के प्रबंधन के लिए विचार-विमर्श में समय लगा था। सबसे बड़ी चुनौती थी जातिगत समीकरण, क्योंकि यहां लिंगायत के 39 विधायक हैं, जिससे मुख्यमंत्री भी जुड़े हुए हैं। लिंगायत भाजपा का सबसे बड़ा जनाधार है।