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#ManipurOnFire : आठ ज़िलों में कर्फ्यू, इंटरनेट सेवाएं निलंबित, मणिपुर में क्यों भड़की हिंसा : रिपोर्ट

मणिपुर में हिंसा को देखते हुए सरकार ने बड़ा आदेश जारी किया है। इसके मुताबिक, उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया गया है। जानकारी के मुताबिक, मणिपुर सरकार ने गुरुवार को आदिवासियों और मेइती समुदाय के बीच बढ़ती हिंसा को रोकने के लिए अत्यधिक गंभीर मामलों में उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने का आदेश जारी किया है।

राज्यपाल की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि जब समझाना-बुझाना, चेतावनी और उचित बल का प्रयोग की सीमा पार हो गई हो और स्थिति को नियंत्रित नहीं किया जा सके, तो देखते ही गोली मारने का सहारा लिया जा सकता है। अधिसूचना राज्य सरकार के आयुक्त (गृह) के हस्ताक्षर हैं। अधिसूचना आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 के प्रावधानों के तहत जारी की गई है।

9,000 से अधिक लोग विस्थापित
नगा और कुकी आदिवासियों की ओर से आदिवासी एकजुटता मार्च निकालने के बाद बुधवार को हिंसा भड़क गई थी। हालात रात में और गंभीर हो गए थे। राज्य की 53 फीसदी आबादी वाले गैर-आदिवासी मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मांग के खिलाफ चुराचांदपुर जिले के तोरबंग इलाके में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर’ (एटीएसयूएम) की ओर बुलाए गए ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान बुधवार को हिंसा भड़क गई। हिंसा के कारण 9,000 से अधिक लोग विस्थापित हो गए हैं।

इस वजह से भड़की हिंसा
मार्च का आयोजन मणिपुर हाईकोर्ट की ओर से पिछले महीने राज्य सरकार को मेइती समुदाय द्वारा एसटी दर्जे की मांग पर चार सप्ताह के भीतर केंद्र को एक सिफारिश भेजने के लिए कहने के बाद किया गया। पुलिस ने बताया कि चुराचांदपुर जिले के तोरबंग क्षेत्र में मार्च के दौरान हथियार लिए हुए लोगों की एक भीड़ ने कथित तौर पर मेइती समुदाय के लोगों पर हमला किया। जवाबी कार्रवाई में भी हमले हुए। इस वजह से पूरे राज्य में हिंसा भड़क गई।

 

Mohammed Hussain
@hussain_hrw
मैं मणिपुर में अच्छा महसूस नहीं कर रही हूं यहां स्थिति ठीक नहीं है,
बॉक्सर और पूर्व राज्यसभा सांसद मैरी कॉम ने राज्य में हुई हिंसा पर कहा,
मणिपुर में हालत बहुत ख़राब चर्चों में आगजनी, हर तरफ अफरा-तफरी सड़कों पर गोलियाँ चलाते लोग,
प्रशासन के हाथों से बाहर प्रदेश की व्यवस्था, गोदी मीडिया खामोश (जय बजरंगबली) में उलझा हुआ देशवासी,
ज़िम्मेदार कौन…….?

Nigar Parveen
@NigarNawab
मणिपुर में आग लगी हुई है

पूरा का पूरा राज्य दंगे की चपेट में है। आग की लपटों में हजारों लोग झुलस रहे हैं

हालत इस कदर बिगड़ चुके है कि देखते ही गोली मारने का आदेश दिया गया है

मैरी कॉम से लेकर तमाम लोग मणिपुर को बचाने की गुजारिश कर रहे हैं

लेकिन कर्नाटक चुनाव है इसलिए गोदी गिद्धों को आदेश दिया गया है

चुप रहने का, वो रूस-यूक्रेन दिखा रहे ह़ै लेकिन मणिपुर नहीं

 

 

 

 

आठ जिलों में कर्फ्यू, मोबाइल इंटरनेट सेवाएं भी निलंबित
स्थिति को देखते हुए गैर-आदिवासी बहुल इंफाल पश्चिम, काकचिंग, थौबल, जिरिबाम और बिष्णुपुर जिलों और आदिवासी बहुल चुराचांदपुर, कांगपोकपी और तेंगनौपाल जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। राज्यभर में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को तत्काल प्रभाव से पांच दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया है, लेकिन ब्रॉडबैंड सेवाएं चालू है।

Manipur: An Indian Air Force (IAF) aircraft, carrying Central forces, landed in Imphal earlier this evening. 

— ANI (@ANI) May 4, 2023

भेजी गई सेना-आरएएफ
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह बातचीत की और वहां आदिवासी आंदोलन के दौरान भड़की हिंसा के बारे में जानकारी ली। केंद्र सरकार मणिपुर के हालात पर करीब से नजर रख रही है। उसने पूर्वोत्तर राज्य के हिंसा प्रभावित इलाकों में तैनाती के लिए त्वरित कार्य बल (आरएएफ) के दल भेजे हैं। आरएएफ दंगे जैसे हालात को काबू में करने के लिए दक्ष बल है।

मणिपुर में क्यों भड़की हिंसा

मणिपुर में बहुसंख्यक मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल करने के खिलाफ हो रहा विरोध प्रदर्शन उग्र हो गया। कई संगठनों ने बुधवार को ‘आदिवासी एकता मार्च’ का आह्वान किया, जिसमें हिंसा भड़क गई। हालात को देखते हुए राज्य के कई इलाकों में सेना को तैनात किया गया। गुरुवार को हिंसाग्रस्त इलाकों में देखते ही गोली मारने के आदेश जारी कर दिए गए।

आइये जानते हैं कि आखिर मणिपुर में क्या हो रहा है? विरोध प्रदर्शन क्यों हो रहा है? मैतेई समुदाय का क्या कहना है? राज्य सरकार का इस विरोध प्रदर्शन को लेकर क्या कहना है?

मणिपुर में क्या हो रहा है?
मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल करने की मांग के विरोध में छात्रों के संगठन ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर’ (एटीएसयूएम) ने मार्च बुलाया था। ‘आदिवासी एकता मार्च’ के नाम से हो रहे प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि रैली में हजारों आंदोलनकारियों ने हिस्सा लिया और इस दौरान तोरबंग इलाके में आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच झड़प शुरू हो गई। अधिकारी ने बताया कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे।

स्थिति को काबू करने के लिए क्या कदम उठाए गए?
पुलिस अधिकारी के मुताबिक, स्थिति को देखते हुए गैर-आदिवासी बहुल इंफाल पश्चिम, काकचिंग, थौबल, जिरिबाम और बिष्णुपुर जिलों और आदिवासी बहुल चुराचांदपुर, कांगपोकपी और तेंगनौपाल जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया है।
राज्यभर में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को तत्काल प्रभाव से पांच दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया है, लेकिन ब्रॉडबैंड सेवाएं चालू हैं। कर्फ्यू लगाने संबंधी अलग-अलग आदेश आठ जिलों के प्रशासन द्वारा जारी किए गए हैं।

इस बीच, सेना ने जानकारी दी है कि मणिपुर नागरिक प्रशासन की अपील पर विभिन्न इलाकों में सेना की तैनाती की गई है। यह तैनाती तीन मई शाम से की गई है। लोगों को सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट किया जा रहा है और कानून व्यवस्था बनाए रखने की कोशिश की जा रही है।

मुख्यमंत्री ने हिंसा पर क्या कहा?
राज्य में कई हिस्सों में जारी हिंसा और तनाव के बीच मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह का भी बयान आया है। उन्होंने कहा, ‘पिछले 24 घंटे के दौरान कुछ जगहों पर झड़प और तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आई हैं। ये घटनाएं हमारे समाज के दो वर्गों के बीच पैदा हुई गलतफहमी की वजह से हुई हैं। राज्य सरकार स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सभी कदम उठा रही है।

क्यों हो रहा विरोध?
राज्य में मैतेई समुदाय के लोगों की संख्या करीब 60 प्रतिशत है। ये समुदाय इंफाल घाटी और उसके आसपास के इलाकों में बसा हुआ है। समुदाय का कहना रहा है कि राज्य में म्यांमार और बांग्लादेश के अवैध घुसपैठियों की वजह से उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

वहीं, मौजूदा कानून के तहत उन्हें राज्य के पहाड़ी इलाकों में बसने की इजाजत नहीं है। यही वजह है कि मैतेई समुदाय ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर उन्हें जनजातीय वर्ग में शामिल करने की गुहार लगाई थी। अदालत में याचिकाकर्ता ने कहा कि 1949 में मणिपुर की रियासत के भारत संघ में विलय से पहले मैतेई समुदाय को एक जनजाति के रूप में मान्यता थी।

इसी याचिका पर बीती 19 अप्रैल को हाईकोर्ट ने अपना फैसले सुनाया। इसमें कहा गया कि सरकार को मैतेई समुदाय को जनजातीय वर्ग में शामिल करने पर विचार करना चाहिए। साथ ही हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इसके लिए चार हफ्ते का समय दिया। अब इसी फैसले के विरोध में मणिपुर में हिंसा हो रही है।
फैसले का जनजाति विरोध क्यों कर रहे हैं?

हाईकोर्ट के फैसले का राज्य का जनजातीय वर्ग विरोध कर रहा है। जनजातीय संगठनों का कहना है, ‘मैतेई समुदाय को अगर जनजातीय वर्ग में शामिल कर लिया जाता है तो वह उनकी जमीन और संसाधनों पर कब्जा कर लेंगे।’

क्या एसटी स्टेटस की मांग हिंसा की एकमात्र वजह है?
राज्य की पहाड़ी जनजातियों में फैली अशांति को समझने के लिए यहां की डेमोग्राफी समझना जरूरी है। भौगोलिक रूप से, राज्य को दो इलाकों, पहाड़ियों और मैदानों में बंटा है। 2011 की जनगणना के अनुसार मणिपुर की जनसंख्या 28,55,794 है। इसमें से 57.2 फीसदी घाटी के जिलों में और बाकी 42.8 फीसदी पहाड़ी जिलों में रहते हैं। मैदानी इलाकों में मुख्य रूप से मैतेई बोलने वाली आबादी रहती है। वहीं, पहाड़ियों में मुख्य रूप से नागा, कुकी जैसी जनजातियां निवास करती हैं। राज्य की मान्यता प्राप्त जनजातियां इन्हीं पहाड़ी क्षेत्रों तक सुरक्षा और वहां जमीन की खरीद पर प्रतिबंध की मांग भी करती रही हैं।

Aqssss
@AqssssSelin
Devastating situation in India!!!!

Conflict between Christian and Hindus, many houses and places of worship being torched in #Manipur.

Brajendra Singh Bhojla
@Brajendra3535

मैनपुरी में भाजपा के लोगो द्वारा पुलिस और प्रशासन की सहायता से जबरन किया जा रहा पोलिंग डंप करने का प्रयास।

संज्ञान ले चुनाव आयोग, निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित हो।