गुजरात के मोरबी में पुल गिरने से हुए दर्दनाक हादसे में अब तक 141 लोगों की मौत हो गई है और बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं।
प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, भारत के राज्य गुजरात के मोरबी में रविवार को मच्छू नदी पर बना एक सस्पेंशन ब्रिज गिर गया। बताया जा रहा है कि इस हादसे के समय पुल पर भारी संख्या में लोग मौजूद थे। जिसमें बच्चों और महिलाओं की संख्या सबसे ज़्यादा थी। पुल के गिरते ही उसपर मौजूद लोग भी नदी में गिर गए। भारतीय मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार अब तक इस हादसे में 141 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। वहीं गुजरात के गृह मंत्री मंत्री हर्ष सिंह सांघवी ने कहा है कि रात एक बजे तक 68 लोगों के शव निकाल लिए गए थे। देर रात तक राहत और बचाव कार्य जारी था और कई लोग लापता बताए गए हैं। इस हादसे के बाद एनडीआरएफ की टीमों को मौक़े पर भेजा गया है। साथ ही नेवी और एयरफोर्स की टीमों को मोरबी के लिए रवाना कर दिया है। मरीन कमांडोज़ को भी बचाव-राहत कार्य के लिए भेजा गया है। इस बीच बीजेपी सांसद ने बताया है कि मरने वालों में अधिकतर बच्चे हो सकते हैं।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक़, यह पुल वर्षों से बंद था, हाल ही में मरम्मत के बाद इसे जनता के लिए फिर से खोल दिया गया था। दिवाली के बाद गुजराती नव वर्ष पर इस नए पुल को खोला गया था। दिवाली की छुट्टियों और रविवार होने के कारण पुल पर लोगों की बड़ी भीड़ थी। हालांकि एक सदी पुराना य पुल किस कारण गिरा अब तक इसका पता नहीं चल सका है। पुल गिरने के कारणों की जांच के लिए पांच सदस्यीय टीम बनाई गई है। बता दें कि मोरबी के मच्छू नदी पर बनाया गया यह झूलता हुआ पुल मोरबी को एक ख़ास पहचान देने के उद्देश्य से आधुनिक यूरोपीय तकनीक का उपयोग करते हुए बनाया गया था। मोरबी शहर की सरकारी वेबसाइट पर दी गई जानकारी में इस पुल को इंजीनियरिंग का चमत्कार बताया गया है। यह पुल 1.25 मीटर चौड़ा और 233 मीटर लंबा था और मच्छू नदी पर दरबारगढ़ महल और लखधीरजी इंजीनियरिंग कॉलेज को जोड़ता था। इस बीच भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा है कि उन्होंने इस मामले पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और अन्य अधिकारियों से बात की है। उन्होंने लिखा, “उन्होंने राहत कार्य के लिए टीमें भेजने को कहा है। वह स्थिति पर नज़र रखे हुए हैं। पीड़ितों को हरसंभव मदद देने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं।” प्रधानमंत्री राहत कोष से मरने वालों के परिजनों को 2 लाख रुपये और घायलों के लिए 50 हज़ार रुपये की राहत राशि देने की घोषणा की गई है।
Vivek Ranjan Agnihotri
@vivekagnihotri
There is no doubt now that #MorbiBridgeCollapse is a sabotage by #UrbanNaxals as a planned strategy. They have been destroying schools, hospitals, roads, rail tracks & bridges. You must know
@ArvindKejriwal
’s
@AamAadmiParty
gives protection to #UrbanNaxals
मोरबी के टूट चुके सस्पेंशन ब्रिज की कहानी, कैसे और कब बना था ये पुल
लगभग डेढ़ सौ वर्ष पूर्व मोरबी के राजा सर वाघजी ठाकोर ने सस्पेंशन ब्रिज का निर्माण कराया था.
उस समय इसे ‘कलात्मक और तकनीकी चमत्कार’ कहा जाता था.
इस पुल का उद्घाटन 20 फ़रवरी 1879 को मुंबई के तत्कालीन गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने किया था.
पुल के निर्माण के लिए आवश्यक सभी सामग्री इंग्लैंड से आई थी और निर्माण की लागत तब 3.5 लाख रुपए थी.
गुजरात के मोरबी में रविवार को माच्छू नदी पर बने सस्पेंशन ब्रिज के टूटने से सैकड़ों लोग नदी में गिर गए और कई लोगों की मौत हो गई.
#WATCH | Several people feared to be injured after a cable bridge collapsed in the Machchhu river in Gujarat's Morbi area today
PM Modi has sought urgent mobilisation of teams for rescue ops, while Gujarat CM Patel has given instructions to arrange immediate treatment of injured pic.twitter.com/VO8cvJk9TI
— ANI (@ANI) October 30, 2022
समाचार लिखे जाने तक मरने वालों की संख्या 140 को पार कर चुकी है.
इस त्रासदी के बाद कई लोग अब भी लापता हैं और मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका जताई जा रही है.
वर्षों पुराना ये पुल मोरबी के शाही दिनों की याद दिलाता था. मोरबी के राजा सर वाघजी ठाकोर ने लगभग डेढ़ सौ साल पहले आधुनिक यूरोपीय तकनीक का उपयोग करके इस पुल का निर्माण कराया था.
सस्पेंशन ब्रिज का उद्घाटन 20 फ़रवरी 1879 को मुंबई के तत्कालीन गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने किया था. पुल के निर्माण के लिए आवश्यक सभी सामग्री इंग्लैंड से आई थी और निर्माण की लागत तब 3.5 लाख रुपए थी.
सस्पेंशन ब्रिज के कारण शहर में बड़ी संख्या में पर्यटक आते थे और उस समय इसे एक ‘कलात्मक और तकनीकी चमत्कार’ के रूप में देखा जाता था.
सस्पेंशन ब्रिज 1.25 मीटर चौड़ा और 233 मीटर लंबा था. ये ब्रिज दरबारगढ़ पैलेस और शाही निवास नज़रबाग पैलेस को भी जोड़ता था.
वर्ष 2001 में गुजरात में आए विनाशकारी भूकंप से यह पुल बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था.
ANI
@ANI
#MorbiBridgeCollapse | Indian Army teams deployed in Morbi, Gujarat carried out search and rescue operations for survivors of the mishap. All three defence services have deployed their teams for search operations: Defence officials
इस पुल के निर्माण के पीछे सर वाघजी ठाकोर पर औपनिवेशिक काल के स्थापत्य का स्पष्ट प्रभाव था. वाघजी ठाकोर मोरबी शहर के विकास में तेज़ी लाने के लिए इससे प्रेरित हुए थे.
सर वाघजी ठाकोर ने 1922 तक मोरबी पर शासन किया. शाही काल के दौरान मोरबी शहर की प्लानिंग में यूरोपीय शैली का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है.
शहर के मुख्य चौराहे को ‘ग्रीन चौक’ के नाम से जाना जाता है, जहाँ तीन अलग-अलग दरवाज़ों के माध्यम से पहुँचा जा सकता है.
इन तीनों दरवाज़ों के निर्माण में राजपूत और इतालवी शैली का मेल साफ़ देखा जा सकता है.
मोरबी ज़िले की वेबसाइट के अनुसार, सस्पेंशन ब्रिज मोरबी रॉयल्टी के ‘प्रगतिशील और वैज्ञानिक दृष्टिकोण’ को प्रदर्शित करता है.
पुल का मालिक कौन है?
अंग्रेजी अख़बार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़ इस पुल का मालिकाना हक़ फ़िलहाल मोरबी नगर पालिका के पास है.
नगर पालिका ने हाल ही में ओरेवा ग्रुप के साथ एक समझौता पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया था और 15 वर्षों के लिए पुल के रख-रखाव और संचालन का काम उसे सौंपा था.
ओरेवा समूह के एक प्रवक्ता ने समाचार पत्र को बताया, “कई लोगों ने पुल को बीच से हिलाने की कोशिश की और प्रथम दृष्टया यही लगता है कि इसी वजह से पुल गिर गया.”
हाल ही में पुल की मरम्मत के बाद इसे 26 अक्तूबर को जनता के लिए खोल दिया गया था. हालाँकि नगर पालिका का कहना है कि उसे इसकी जानकारी नहीं दी गई है.
मोरबी नगर पालिका के मुख्य अधिकारी संदीप सिंह झाला ने बताया, “पुल मोरबी नगर पालिका की संपत्ति है, लेकिन हमने इसे कुछ महीने पहले 15 साल के लिए ओरेवा समूह को रख-रखाव और प्रबंधन के लिए सौंप दिया था. हालाँकि निजी फ़र्म ने हमें बिना सूचित किए लोगों के लिए खोला था. इसलिए हम पुल का सुरक्षा ऑडिट नहीं कर सके.”
सस्पेंशन ब्रिज के लिए टिकटों की बिक्री भी ओरेवा ग्रुप ही करती थी. 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए 12 रुपए और वयस्कों के लिए 17 रुपए टिकट की क़ीमत रखी गई थी.
ओरेवा ग्रुप घड़ियों से लेकर ई-बाइक तक कई तरह के इलेक्ट्रिकल प्रोडक्ट बनाती है. कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक़ कंपनी दुनिया की सबसे बड़ी घड़ी निर्माता कंपनी है.

क्या है पूरी घटना?
माच्छू नदी पर बना पुल रविवार शाम क़रीब साढ़े छह बजे ढह गया जिससे कई लोग नदी में गिर गए.
आईजी अशोक यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अब तक 141 लोगों की मौत हो चुकी है और दो लोग अब भी लापता हैं.
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मोरबी त्रासदी में मारे गए लोगों के परिवार को 2 लाख रुपए और प्रधान मंत्री राहत कोष से घायलों को 50,000 रुपए की सहायता राशि की घोषणा की है.
इसके साथ ही गुजरात सरकार ने आर्थिक मदद का भी एलान किया है.
ग़ौरतलब है कि पुल को छह महीने पहले मरम्मत के लिए बंद कर दिया गया था और चार दिन पहले 26 अक्तूबर को जनता के लिए खोला गया था.
मोरबी हादसाः ‘मैंने रस्सी से पंद्रह शवों को पानी से बाहर निकाला’
गुजरात के मोरबी शहर में माच्छू नदी पर बना झूला ब्रिज टूटा
हादसे में कम से कम 141 लोगों के मौत हुई
6 महीने बंद रहने और मरम्मत के बाद 28 अक्तूबर को फिर से खुला था पुल
त्यौहारों की छुट्टियों और रविवार की वजह से थी भारी भीड़
सेना भी बचाव कार्य में जुटी, एनडीआरएफ़ और एसडीआरएफ़ की टीमें भी मौजूद
प्रबंधन के ख़िलाफ़ दर्ज किया गया मुक़दमा
गुजरात के गृहमंत्री गृह मंत्री हर्ष सिंह सांघवी ने कहा है कि राज्य के मोरबी शहर में एक पुल टूट जाने से कम से कम 141 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है.
ब्रिटिश काल में बना ये पुल कुछ दिन पहले ही मरम्मत के बाद फिर से जनता के लिए खुला था. त्यौहारों की छुट्टियां और रविवार होने की वजह से बड़ी तादाद में लोग यहां छुट्टी मनाने जुटे थे.
मोरबी के ज़िलाधिकारी के मुताबिक अब तक 170 लोगों को बचाया गया है. मीडिया से बात करते हुए गुजरात के गृह मंत्री हर्ष सिंह सांघवी ने कहा है कि रात एक बजे तक 68 लोगों के शव निकाल लिए गए थे.
सांघवी ने कहा, “हादसा होते ही प्रशासन मौके पर पहुंच गया था और राहत और बचाव कार्य शुरू हो गया था. मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी मोरबी में हैं और अस्पताल गए हैं.”
गृह मंत्री के मुताबिक पुल का प्रबंधन करने के लिए ज़िम्मेदार लोगों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज कर लिया गया है और सरकार पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है.
रविवार शाम क़रीब दस बजे बीबीसी से बात करते हुए स्थानीय भाजपा सांसद मोहन कुंडारिया ने कहा, “अभी डूबे हुए लोगों की तलाश जारी है. सभी घायलों को अस्पताल पहुंचा दिया गया है. कोई भी घायल गंभीर नहीं है. जितने भी लोग पुल से लटक रहे थे उन सभी को बचा लिया गया है.”
कुंडारिया के मुताबिक, “कुल कितने लोग पुल पर मौजूद थे ये अभी पता नहीं चल सका है. परिवार के बयान और प्रशासनिक अधिकारियों की गणना के बाद ही ये कहा जा सकेगा कि कुल कितने लोग मौजूद थे.”
लेकिन स्थानीय मीडिया की रिपोर्टों में दावा किया गया है कि पुल पर चार सौ से अधिक लोग मौजूद रहे होंगे.
नदी पर बना बांध तोड़ा गया
देर रात तक भी कई लोग लापता थे और उनके परिजन उन्हें खोज रहे थे. माच्छू नदी पर पानी रोकने के लिए छोटे-छोटे बांध बने हैं. डूबे हुए लोगों की तलाश के लिए पुल के पास बने एक ऐसे ही बांध को देर रात तोड़ दिया गया.
बीबीसी के सहयोगी पत्रकार राकेश अंबालिया के मुताबिक जहां पुल टूटा है वहां आमतौर पर बीस फुट से अधिक पानी रहता है.
सोमवार सुबह एक बजे के बाद भी गोताखोर और यहां डूबे हुए लोगों की तलाश में जुटे थे.
स्थानीय सांसद मोहन कुंडारिया के मुताबिक, “पानी को निकाल लिए जाने के बाद ही पता चल सकेगा कि कितने लोग और डूबे हैं. राजकोट, जामनगर और सौराष्ट्र के दूसरे ज़िलें से भी यहां टीमें पहुंच रही हैं और राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है.
‘चारों तरफ़ मची थी चीख पुकार’
ये हादसा शाम क़रीब छह बजे हुए. बीबीसी के सहयोगी पत्रकार राकेश अंबालिया साढ़े छह बजे मौके पर पहुंच गए थे.
अंबालिया के मुताबिक हादसे के कुछ देर बाद ही एंबुलेंस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर थे और राहत और बचाव कार्य शुरू हो गया था. बड़ी तादाद में स्थानीय लोग भी पानी में डूब रहे लोगों को बचाने में जुटे थे.
अंबालिया के मुताबिक, “जब मैं मौके पर पहुंचा चारों तरफ़ चीख पुकार मची थी. ये बहुत ही भयावह नज़ारा था. कुछ लोग पुल की रेलिंग से लटक रहे थे तो कुछ पुल के डूबे हुए हिस्से पर चढ़कर अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहे थे. बहुत से लोग डूब रहे थे. बचाओं-बचाओं की चीख़ पुकार मची थी.”
अंबालिया बताते हैं, “मौके से भाग रहे एक व्यक्ति ने बताया, मैं तो किसी तरह बच गया हूं, बहुत से लोग फंसे हैं. उन्हें बचा लीजिए.”
हादसे के तुरंत बाद शहर में जितनी भी एंबुलेंस थी वो मौके की तरफ़ दौड़ पड़ी. आसपास के शहरों से भी एंबुलेंस बुला ली गईं. मोरबी फ़ायर डिपार्टमेंट की टीमें भी मौके पर पहुंच गईं.
छह महीने बाद खुला था पुल
माच्छु नदी मोरबी शहर को दो हिस्सों में बांटती हैं. ब्रितानी काल में बना ये झूला पुल शहर के इन दोनों हिस्सों को जोड़ता है और शहर में पर्यटन का चर्चित केंद्र हैं.
इस पुल को मरम्मत के लिए छह महीने पहले बंद किया गया था. दिवाली के एक दिन बाद गुजराती नववर्ष के मौके पर 28 अक्तूबर को इसे फिर से जनता के लिए खोला गया था.
राकेश अंबालिया के मुताबिक, रविवार और छुट्टियां होने की वजह से यहां आम दिनों के मुक़ाबले बहुत ज़्यादा भीड़ थी. यही वजह है कि पुल टूटने की वजह से इतनी बड़ी तादाद में लोग पानी में डूब गए.
स्कूल की छुट्टी होने की वजह से भारी तादाद में बच्चे भी पुल पर मौजूद थे. अंबालिया बताते हैं, “ये पुल मोरबी की पहचान हैं, ऐसे में जब महीनों तक बंद रहने के बाद ये फिर से खुला तो बड़ी तादाद में लोग इसे देखने पहुंचे. बहुत से लोग अपने परिवारों के साथ आए थे.”
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक मोरबी नगर पालिका ने अभी पुल का फिटनेस सर्टीफ़िकेट भी जारी नहीं किया था.
मोरबी नगर पालिका के मुख्य कार्यपालक अधिकारी संदीप सिंह जाला के मुताबिक, “इस पुल को इस साल मार्च में ओरेवा कंपनी को मरम्मत और प्रबंधन के लिए पंद्रह साल के लिए दिया गया था. मरम्मत के लिए इसे जनता के लिए बंद कर दिया गया था. मरम्मत कार्य के बाद ये फिर से खुला था. लेकिन नगर पालिका ने मरम्मत के बाद इसका फिटनेस सर्टीफ़िकेट जारी नहीं किया था.”
इस पुल को नदी के दोनों किनारे स्थित मोरबी राजघराने के दो महलों दरबारगढ़ महल और नज़रबाग़ महल को जोड़ने के लिए 19वीं सदी में बनाया गया था.
1.25 मीटर चौड़ा ये पुल 233 मीटर लंबा था. ज़िला मोरबी की वेबसाइट के मुताबिक ये पुल उन दिनों की यूरोप में मौजूद नवीनतम तकनीक से बनाया गया था और इसका मक़सद “मोरबी के शासकों के वैज्ञानिक और प्रगतिशील दृष्टिकोण को प्रदर्शित करना था.”
‘मैंने रस्सी से पंद्रह शवों को पानी से बाहर निकाला’
हादसे के तुरंत बाद आसपास के लोग भी मदद करने को दौड़े. रमेश भाई जिलरिया जहां पुल टूटा उससे कुछ दूर ही रहते हैं.
बीबीसी के सहयोगी पत्रकार राकेश अंबालिया से बात करते हुए रमेश भाई कहते हैं, “मैं पास में ही रहता हूं, शाम छह बजे का क़रीब मुझे पता चला कि हादसा हो गया है तो मैं तुरंत रस्सी लेकर पहुंच गया और रस्सी की मदद से मैंने पंद्रह के क़रीब शव बाहर निकाले थे. “
उस घटना के बाद की स्थिति बताते वह कहते हैं, “मैं जब आया तब पचास से साठ लोग टूटे हुए पुल पर लटक रहे थे. हमने समझा कर उन लोगों को ऊपर भेज दिया.”
“उसके बाद हमें जैसे-जैसे शव मिलते गए, हम उन्हें बाहर निकालते गए. उन शवों में तीन छोटे बच्चे थे.”
इस दुर्घटना के चश्मदीद सुभाष भाई कहते हैं, “काम खत्म करके मैं और मेरा दोस्त पुल के पास ही बैठे थे. पुल टूटने की ज़ोरदार आवाज़ आई और हम इस तरफ़ दौड़े आए और लोगों को बचाने में जुट गए.
“कुछ लोग तैरकर बाहर आ रहे थे. कुछ लोग डूबे जा रहे थे. हमने सबसे पहले बच्चों को निकालना शुरू किया. उसके बाद पाइप लिया और पाइप की मदद से हमने बड़े लोगों को बचाने का प्रयास किया. हमने आठ-नौ लोगों को पानी से बाहर निकाला और दो शवों को बाहर निकाला.”
लोगों से जानकारी देने की अपील
अधिकारियों के अनुसार मोरबी में पुल के गिरने से हुए हादसे से जुड़े पीड़ित परिवारों के लिए ज़िला आपदा नियंत्रण कक्ष ने हेल्पलाइन नंबर जारी किया है.
अधिकारियों का कहना है कि जिनके परिवार के सदस्य अब तक लापता हैं उनकी सूचना इस हेल्पलाइन नंबर 02822 243300 पर मालूम की जा सकती है.
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने इस हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों के लिए 4 लाख रुपये और घायलों को 50 हज़ार रुपये की राहत राशि देने का एलान किया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा है कि उन्होंने इस मामले पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और अन्य अधिकारियों से बात की है.
प्रधानमंत्री राहत कोष से मरने वालों के परिजनों को दो लाख रुपये और घायलों के लिए 50 हज़ार रुपये की राहत राशि देने की घोषणा की गई है.
एनसीपी ने भाजपा सरकार को ठहराया जिम्मेदार
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रवक्ता क्लाइड क्रेस्टो ने सोमवार को कहा कि गुजरात में भारतीय जनता पार्टी की सरकार को मोरबी जिले में पुल गिरने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि मच्छू नदी पर बने पुल के नवीनीकरण का काम एक सरकारी निविदा के बाद हासिल किया गया था और स्थानीय नागरिक निकाय से फिटनेस प्रमाण पत्र लिए बिना इसे आम लोगों के लिए खोला गया।
क्रेस्टो ने इस बात पर सवाल उठाया कि मरम्मत के बाद पुल को जब जनता के लिए 26 अक्टूबर को दोबारा: खोला गया था तब क्या गुजरात सरकार को पुल का फिटनेस सर्टिफिकेट होने की जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा कि केंद्र को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए।
पीएम मोदी भावुक हुए
गुजरात के बनासकांठा में जनसभा के दौरान मोरबी हादसे का जिक्र कर पीएम मोदी भावुक हो गए।
#WATCH | PM Modi gets emotional as he talks about #MorbiBridgeCollapse tragedy, in Gujarat's Banaskantha pic.twitter.com/0pmVmGmC0f
— ANI (@ANI) October 31, 2022