नई दिल्ली: NRC राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर में असम के लगभग 40 लाख लोगों की भारतीय नागरिकता पर तलवार लटक गई है यानि इस अंतिम ड्राफ्ट के मुताबिक इनपर नागरिकता का खतरा मंडरा रहा है. 40 लाख लोगों में कई ऐसे नाम हैं जो आपको चौंका सकते हैं. इसमें सबसे खास है भारत के पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद का परिवार. पूर्व राष्ट्रपति के भतीजे जियाउद्दीन अली अहमद ने दावा किया कि उनका नाम एनआरसी में नहीं है।
उन्होंने कहा, ”मेरा नाम एनआरसी लिस्ट में नहीं है. मेरे पिता (एकरामुद्दीन अली अहमद) ने लेगेसी डेटा दस्तावेज जमा नहीं करवाया था. हम अपने चाचा (फखरुद्दीन अली अहमद) के परिवार के संपर्क में हैं.” एकरामुद्दीन अली अहमद का परिवार असम के कामरुप जिले में रंगिया गांव में रहता है. फखरुद्दीन अली अहमद 24 अगस्त 1974 से लेकर 11 फरवरी 1977 तक राष्ट्रपति रहे थे।
I am surprised to see that the names of our former President Fakhruddin Ali Ahmed's family members are not on the #NRCAssam list. What else can I say? There are so many people whose names are not there: WB CM pic.twitter.com/SP8SnqO6QL
— ANI (@ANI) July 31, 2018
फखरुद्दीन अली अहमद के परिवार का नाम एनआरसी लिस्ट में नहीं होने पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी ने आश्चर्य जताया है. ममता ने दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ”एनआरसी मामले में जमकर पक्षपात हुआ है. पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के परिवार का नाम असम की नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन में नहीं होना हैरान करने वाला है.”
Our names are not mentioned in #NRC list as my father's name is not mentioned in the Legacy Data document, I will get in touch with my uncle's family members: Ziauddin Ali Ahmed, nephew of former President of India Fakhruddin Ali Ahmed. #Assam pic.twitter.com/7Vwe9Syl2y
— ANI (@ANI) July 31, 2018
ममता ने कहा कि गृहमंत्री ने मुझे आश्वासन दिया है कि वो (सरकार) लोगों को परेशान नहीं करेंगे. मैंने उनसे बंगाल में एनआरसी लाए जाने से जुड़ी खबरों के बारे में भी बात की. मैंने उनसे कहा कि अगर ऐसा कुछ होता है, तो गृहयुद्ध हो सकता है. खूनखराबा होगा.”
वहीं सरकार का कहना है कि नागरिकता साबित करने के लिए लोगों को मौके दिये जाएंगे. आज गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ”इस पूरी प्रक्रिया में किसी भी व्यक्ति को परेशान नहीं किया जाएगा. सभी लोगों को अपनी बात रखने का सामान अवसर दिया जाएगा. एनआरसी ड्राफ्ट को सुप्रीम कोर्ट की निगरानी के तहत कानून के मुताबिक तैयार किया गया है.”