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President Poll : जानें मतगणना का गणित, कैसे गिने जाते हैं वोट, कितने मतों से तय होगी जीत?

आइए जानते हैं कि यह इलेक्टोरल कॉलेज क्या है और किसी सांसद या विधायक के वोट की वैल्यू कैसे तय होती है? आखिर मतगणना के दौरान कौन सा उम्मीदवार जीता है, इसका पता लगाने के लिए कौन सा तरीका होता है…

राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आज आ जाएंगे। एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू जीतेंगी या विपक्ष के यशवंत सिन्हा, इसका फैसला हो जाएगा। हालांकि, आज जिस एक शब्द का जिक्र आप बार-बार सुनेंगे वह है इलेक्टोरल कॉलेज। यह शब्द कितना अहम है, इसे इसी बात से समझा जा सकता है कि आज राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे भी इसी इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए तय होंगे। आइए जानते हैं कि यह इलेक्टोरल कॉलेज क्या है और किसी सांसद या विधायक के वोट की वैल्यू कैसे तय होती है? आखिर मतगणना के दौरान कौन सा उम्मीदवार जीता है, इसका पता लगाने के लिए कौन सा तरीका होता है…

राष्ट्रपति चुनाव का पूरा गणित। – फोटो : तीसरी जंग

क्या है इलेक्टोरल कॉलेज?
राष्ट्रपति का चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा के सदस्य और सभी राज्यों के विधायक वोट डालते हैं। इन सभी के वोट की अहमियत यानी वैल्यू अलग-अलग होती है। यहां तक कि अलग-अलग राज्य के विधायक के वोट की वैल्यू भी अलग होती है। एक सांसद के वोट की वैल्यू 700 होती है। वहीं, विधायकों के वोट की वैल्यू उस राज्य की आबादी और सीटों की संख्या पर निर्भर होती है। सांसदों और विधायकों के वोटों की वैल्यू के कुल योग को इलेक्टोरल कॉलेज कहते हैं। दोनों उम्मीदवारों में इस इलेक्टोरल कॉलेज के 51 फीसदी वोट हासिल करने वाला विजेता होगा।

इस बार राष्ट्रपति चुनाव में कुल कितने वोटर्स थे?
राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा और राज्यों के विधानसभा के सदस्यों ने वोट डाले। 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में से 233 सांसदों को वोट डालने की इजाजत थी (मनोनीत सांसद वोट नहीं डाल सकते)। इसके साथ ही लोकसभा के 543 सदस्यों को वोटिंग की अनुमति मिली थी।

इसके अलावा सभी राज्यों के कुल 4 हजार से ज्यादा विधायकों को वोट डालने का अधिकार था। इस तरह से राष्ट्रपति चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या 4 हजार 796 रही। हालांकि, इनके वोटों की वैल्यू अलग-अलग थी।

कौन होगा अगला राष्ट्रपति – फोटो : तीसरी जंग

राज्यवार विधायकों के वोट की कितनी अहमियत होती है?
देश की सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट की वैल्यू सबसे ज्यादा 208 थी। वहीं, इसके बाद झारखंड और तमिलनाडु के एक विधायक के वोट की वैल्यू 176 तो महाराष्ट्र के एक विधायक के वोट की वैल्यू 175 थी।

बिहार के एक विधायक के वोट की वैल्यू 173 थी। सबसे कम वैल्यू सिक्किम के विधायकों की थी। यहां के एक विधायक के वोट की वैल्यू सात थी। इसके बाद नंबर अरुणाचल और मिजोरम के विधायकों का आता है। यहां के एक विधायक के वोट की वैल्यू आठ थी।

राष्ट्रपति चुनाव। – फोटो : तीसरी जंग

सांसदों के वोट की क्या वैल्यू?
राज्यसभा और लोकसभा सदस्यों के एक वोट की कीमत 700 थी। दोनों सदनों में सदस्यों की संख्या 776 है। इस लिहाज से सांसदों के सभी वोटों की वैल्यू 5,43,200 होती है। अब अगर विधानसभा सदस्यों और सांसदों के वोटों की कुल वैल्यू देखें तो यह 10 लाख 86 हजार 431 हो जाती है। मतलब राष्ट्रपति चुनाव में अधिकतम इतनी वैल्यू के वोट पड़ सकते थे।

एक वोट की कीमत अलग-अलग क्यों होती है?
हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की जनसंख्या अलग-अलग है। इस चुनाव में हर एक वोट की कीमत राज्य की जनसंख्या और वहां की कुल विधानसभा सीटों के हिसाब से तय होती है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि हर वोट सही मायने में जनता की नुमाइंदगी करे।

वोटों की ये वैल्यू मौजूदा या आखिरी जनगणना की जनसंख्या के आधार पर तय नहीं होती है। इसके लिए 1971 की जनसंख्या को आधार बनाया गया है। राष्ट्रपति चुनाव में जनगणना का आधार 2,026 के बाद होने वाली जनगणना के बाद बदलेगा। यानी, 2031 की जनगणना के आंकड़े प्रकाशित होने के बाद 1971 की जगह 2031 की जनगणना के आधार पर सांसदों और विधायकों के वोट की वैल्यू तय होगी।

राष्ट्रपति चुनाव में हर राज्य के विधायक के वोट की वैल्यू अलग-अलग। – फोटो : तीसरी जंग

अब बात विधायक और सांसद के वोट का मूल्य की। दोनों के मूल्य तय करने का तरीका अलग-अलग है। विधायक के वोट का मूल्य एक साधारण सूत्र से तय होता है। सबसे पहले उस राज्य की 1971 की जनगणना के मुताबिक जनसंख्या को लेते हैं। इसके बाद उस राज्य के विधायकों की संख्या को हजार से गुणा करते हैं। गुणा करने पर जो संख्या मिलती है उससे कुल जनसंख्या को भाग दे देते हैं। इसका नतीजा जो आता है वही उस राज्य के एक विधायक के वोट का मूल्य होता है।

इसे एक उदाहण से समझ सकते हैं। जैसे 1971 में उत्तर प्रदेश की कुल आबादी 8,38,49,905 थी। राज्य में कुल 403 विधानसभा सीटें हैं। कुल सीटों को 1000 से गुणा करने पर हमें 403000 मिलता है। अब हम 8,38,49,905 को 403000 से भाग देते हैं तो हमें 208.06 जवाब मिलता है। वोट दशमलव में नहीं हो सकता इस तरह उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट का मूल्य 208 होता है।

कैसे तय होगी राष्ट्रपति की जीत। – फोटो : तीसरी जंग

अब बात सांसदों के वोट की कीमत की करते हैं। सांसदों के वोट की कीमत निकालने के लिए सभी विधायकों के वोट की कीमत को जोड़ लिया जाता है। जोड़ने पर जो संख्या आती है उसे राज्यसभा और लोकसभा के कुल सांसदों की संख्या से भाग दे देते हैं। वही एक सांसद के वोट की कीमत होती है। जैसे उत्तर प्रदेश के कुल 403 विधायकों के वोट की कुल कीमत 208*403 यानी 83,824 है।

इसी तरह देशभर के सभी विधायकों के वोट की कीमत का जोड़ 543,231 है। राज्यसभा के 233 और लोकसभा के 543 सासंदों का जोड़ 776 है। अब 5,43,231 को 776 से भाग देने पर हमें 700.03 मिलता है। इस पूर्णांक में 700 लिया जाता है। इस तरह एक सांसद के वोट का मूल्य 700 होता है। विधायकों और सांसदों के कुल वोट को मिलाकर ‘इलेक्टोरल कॉलेज’ कहा जाता है। यह संख्या 10,86,431 होती है। इस संख्या के आधे से ज्यादा वोट यानी 5,43,216 मत पाने वाले उम्मीदवार को राष्ट्रपति चुनाव का विजेता घोषित किया जाएगा।