उत्तर प्रदेश राज्य

#SanjeevJeeva : मुख़्तार अंसारी के क़रीबी संजीव माहेश्वरी उर्फ़ जीवा की लखनऊ के कोर्ट रूम में जज के सामने हत्या की पूरी कहानी!

कोर्ट रूम में ताबड़तोड़ फायरिंग, मजिस्ट्रेट के सामने कुख्यात संजीव जीवा ढेर

एससीएसटी कोर्ट रूम में बुधवार दोपहर वकील के भेष में आए हमलावर ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं। मजिस्ट्रेट के सामने ही हमलावर ने कुख्यात अपराधी और माफिया मुख्तार का बेहद करीबी गैंगस्टर संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा(50) को ढेर कर दिया। दो पुलिसकर्मियों, एक डेढ़ साल की बच्ची व उसकी मां को भी गोली लगी। वकीलों ने दौड़कर हमलावर को दबोच लिया और पीटकर पुलिस को सौंप दिया। घायलों को ट्रामा में भर्ती कराया गया है। वारदात से आक्रोशित वकीलों ने प्रदर्शन कर पथराव कर दिया। जिसमें एसीपी चौक का सिर फट गया। कई वाहन भी छतिग्रस्त हो गए। आलाधिकारी भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे तब हालात पर काबू पा पाए। उधर, मुख्यमंत्री योगी ने घटना की जांच के लिए एसआईटी गठित की है। मोहित अग्रवाल, नीलब्ज़ा चौधरी और प्रवीण कुमार एक सप्ताह में जांच पूरी कर रिपोर्ट देंगे।


Parvez Ahmad
@parvezahmadj
कुख्यात संजीव माहेश्वरी उर्फ़ जीवा को भून डालने वाले युवा अपराधी आनंद उर्फ़ विजय यादव परिवार का पुलिस ने डोजियर जारी किया…मामा, बुआ, भाइयों का क्या दोष ? उनके नाम मिटा दिये..विजय का ब्योरा पढ़ लें…इस बार पिस्टल नहीं मिली जिससे गोली चली, 10 कार्टज वाली पिस्टल क्या कहलाती है ?

भाजपा नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड में आजीवन कारवास की सजा पाने वाला मुजफ्फरनगर के शाहपुर आदमपुर निवासी संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा पिछले बीस साल से जेल में बंद था। उस पर दो दर्जन केस दर्ज हैं। वह हत्या व एससीएसटी के एक केस में बुधवार दोपहर पुलिस अभिरक्षा में पेशी पर लाया गया था। दोपहर करीब 3:50 मिनट पर उसके केस की बारी आई। जैसे ही वह उठकर चला वैसे ही कोर्ट रूम के भीतर वकील के भेष में बैठे हमलावर ने उस पर गोलियां दागनी शुरू दीं। कोर्ट रूम से लेकर पूरे परिसर में भगदड़ मच गया। संजीव वही पर लहूलुहान होकर औंधे मुंह गिर गया। हमलावर ने भागने का प्रयास किया लेकिन वहां मौजूद वकीलों ने उसको पकड़ लिया। पूछताछ में उसने बताया कि वह जौनपुर के केराकत का रहने वाला है। उसका नाम विजय यादव है। वकीलों ने उसको जमकर पीटा। तभी सूचना पर कार्यवाहक पुलिस कमिश्नर, ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर समेत आलाधिकारी, पुलिस बल व पीएसी के जवान पहुंचे। संजीवा को अस्पताल ले जाया गया। जहां उसको मृत घोषित कर दिया। संजीव पर विधायक कृष्णानंद राय की हत्या का भी आरोप था लेकिन बाद में वह कोर्ट से बरी हो गया था।

मासूम बच्ची आईसीयू में, मां व पुलिसकर्मी खतरे से बाहर
कोर्ट रूम में बीकेटी के भैसामऊ निवासी सौरभ अपनी पत्नी नीलम व पिता के साथ मौजूद थे। नीलम की गोद में उनकी डेढ़ साल की बेटी लाडो भी थी। गोली लाडो की पीठ व नीलम की अंगुलियों पर लगी। दोनों का इलाज जारी है। लाडो की हालत गंभीर है। वह आईसीयू में है। इसके अलावा अभिरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी कमलेश व लाल मोहम्मद भी घायल हुए हैं। दोनों के पैर में गोली लगी है। ये सभी खतरे से बाहर हैं।

वकीलों में भयंकर आक्रोश, पुलिस अफसरों से धक्का-मुक्की, एसीपी चौक घायल
वारदात के बाद वकीलों ने हंगामा शुरू कर दिया। कई घंटे तक हाईकोर्ट के गेट पर प्रदर्शन करते रहे। इस दौरान पथराव भी कर दिया। जिसमें एसीपी चौक सुनील शर्मा का सिर फट गया। कई और पुलिसकर्मियों को भी मामूली चोटें आईं। उनको बलरामपुर अस्पताल में भर्ती कराया गया। उधर जब पुलिस अफसर कोर्ट के भीतर जाने का प्रयास किया तो उनसे भी धक्कामुक्की की। हालांकि किसी तरह से वह भीतर गए और फिर कोर्ट रूम तक पहुंचे। तनाव को देखते हुए कोर्ट परिसर में भारी पुलिस बल की तैनात की गई है।

MANISH PANDEY
@ManishPandeyLKW
#पत्रकार के भेष में आए अतीक और अशरफ को मौत के घाट उतार दिया । #वकील के भेष में आए संजीव माहेश्वरी को मौत की नींद में सुला दिया । मतलब पत्रकारों के बाद अब वकील भी संदिग्ध हों गए हैं यूपी में । पहले अपराधियो से फिल्म वाले प्रेरणा लेते थे अब क्या फिल्म देखकर अपराधी वारदात कर रहें हैं । गौर करने वाली बात है की इन दुस्साहसिक वारदातो को अंजाम देने वाले अपराधी अभी बहुत कम उम्र के रहें तो क्या ये माना जाय की नौजवानों का ब्रेन वाश करके ऐसे कांड करवाए जा रहें है ? सोचिएगा…

इन सवालों के जवाब तलाश रही पुलिस
आरोपी विजय यादव से पूछताछ जारी है। शुरुआती जांच में पता चला कि विजय साधारण परिवार से है। पिता किसान हैं। विजय चार भाइयों में दूसरे नंबर का है। 2016 में उस पर आजमगढ़ में लड़की भगाने के आरोप में केस दर्ज हुआ था। जौनपुर में 2020 में उस पर कोविड प्रोटोकॉल उल्लंघन का केस दर्ज किया गया था। पिछले तीन साल से वह मुंबई में रह रहा था। तीन महीने वह जौनपुर वापस लौटा था। हालांकि पिछले एक महीने से उसका संपर्क परिवार से नहीं था। उससे पूछताछ का दौर जारी है। पुलिस यही पता कर रही है कि आखिर जीवा की हत्या किसने और क्यों करवाई। पकड़ा गया आरोपी शूटर है। जल्द पुलिस इसको लेकर खुलासा कर सकती है।

आरोपी को पकड़ लिया गया है। पूछताछ की जा रही है। वह वकीलों के भेष में आया था। ये पता किया जा रहा है कि वारदात में अकेला यही आरोपी शामिल है या फिर उसके साथी भी हैं। साजिश किसने, कब और क्यों रची। इसकी जानकारी की जा रही है। – पीयूष मोर्डिया, पुलिस कमिश्नर (कार्यवाहक)

न्यायालयों की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करें : प्रशांत
पेशी पर आए कुख्यात संजीव जीवा की हत्या के बाद विशेष पुलिस महानिदेशक, कानून एव व्यवस्था प्रशांत कुमार ने सभी पुलिस आयुक्तों एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को पत्र भेजा है। कहा है कि न्यायालयों की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करें। सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ करें। पेशी पर आने वाले अभियुक्तों की सुरक्षा के संबंध में अभिसूचना संकलन करें तथा मुकम्मल सुरक्षा व्यवस्था की जाए। जनपद न्यायधीशों, जिला मजिस्ट्रेट एवं बार एसोसिएशन पदाधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित करें।


मुख्तार अंसारी के शॉर्प शूटर संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के रोबिन हुड कहे जाने वाले मुख्तार अंसारी के शॉर्प शूटर संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा का नाम गाजीपुर से भाजपा विधायक कृष्णानंद राय सहित सात लोगों की हत्या में आया था।एके-47 से अंधाधुंध फायरिंग करने के लिए संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा जरायम जगत में कुख्यात था। हालांकि, सीबीआई की अदालत ने मुख्तार अंसारी और उसके गुर्गों को इस हत्याकांड से बरी कर दिया था। फिलहाल, मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है। कृष्णानंद राय की हत्या 18 वर्ष पहले हुई थी।

लखनऊ की अदालत में जिस बदमाश संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की हत्या बुधवार को हुई, उसे सीबीआई कोर्ट ने पूर्व मंत्री ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। जेल में सजा काटने के दौरान ही जौनपुर के कुख्यात बदमाश व मुख्तार अंसारी के खास शूटर मुन्ना बजरंगी ने संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया।

प्रोफेशनल तरीके से वारदात को देता था अंजाम
प्रोफेशनल तरीके से आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने में माहिर संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा धीरे-धीरे मुख्तार अंसारी के करीबी शॉर्प शूटर में शुमार होता चला गया।

29 नवंबर 2005 को गाजीपुर जिले के भांवरकोल थाना क्षेत्र के बसनियां गांव में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय सहित सात लोगों की हत्या की गई तो एके-47 से अंधाधुंध फायरिंग करने वालों में संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा का नाम सुर्खियों में था।

लखनऊ की अदालत में गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की हत्या की सूचना पाकर कमिश्नरेट की पुलिस हरकत में आई। एसीपी कैंट अतुल अंजान त्रिपाठी फोर्स के साथ कचहरी परिसर पहुंचे। सुरक्षा व्यवस्था में पहले से तैनात पुलिस और पीएसी के जवानों की मुस्तैदी परखी। इसके बाद फोर्स के साथ पैदल गश्त कर कचहरी परिसर की सुरक्षा व्यवस्था की जानकारी दी।

संदिग्ध प्रतीत होने वाले लोगों से पूछताछ कर की गई। उनके नाम और पते लिखे गए। एसीपी कैंट ने कचहरी परिसर की सुरक्षा व्यवस्था में तैनात रहने वाले पुलिस कर्मियों से कहा कि निगरानी में किसी भी किस्म की लापरवाही नहीं होनी चाहिए। कचहरी के सभी गेट से परिसर के अंदर प्रवेश करने वालों पर पुलिस की पैनी नजर हो।


जीवा को गोली मारने वाले विजय की कहानी

लखनऊ के सिविल कोर्ट में पश्चिम यूपी के अपराधी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की गोली मारकर हत्या करने का आरोपी बदमाश विजय यादव (25) जौनपुर के केराकत कोतवाली क्षेत्र का रहने वाला है। आजमगढ़ जिले की सीमा से सटा सुल्तानपुर उसका पैतृक गांव है। बुधवार शाम को इतनी बड़ी वारदात को अंजाम देने की जानकारी मिलते ही ग्रामीणों में चर्चा शुरू हो गई।

पुलिस ने उसके घर पर पहुंचकर पारिवारिक पृष्ठभूमि की जानकारी ली। पता चला कि विजय 2016 में एक किशोरी के भगाने के मामले में कुछ महीने तक हवालात में रहा है। हालांकि अब उस मामले में सुलह हो चुकी है। 2020 में उस पर महामारी एक्ट का मुकदमा दर्ज हुआ था।

तीन साल से मुंबई में था विजय यादव
आजमगढ़ जिले के देवगांव थाना क्षेत्र की सीमा से महज एक किमी पहले स्थित केराकत के सुल्तानपुर गांव निवासी श्यामा यादव के चार पुत्रों में विजय दूसरे नंबर का है। परिवार से मिली जानकारी के अनुसार, बड़ा भाई दिल्ली में रहकर एक प्राइवेट कंपनी में काम करता है। विजय मुंबई में रहता था। वह जरायम की दुनिया में कैसे पहुंचा, इसकी जानकारी न तो गांव के लोगों को है और न ही परिवार में किसी को कोई जानकारी। विजय के दो भाई छोटे पढ़ाई करते हैं।

ममेरी बहन की शादी के लिए मुंबई से आया था
परिवार से मिली जानकारी के अनुसार विजय यादव मुंबई के एक पाइप बनाने वाली कंपनी में काम करता था। वहां से मार्च में घर आया। दो-तीन दिन के बाद ही बताया कि लखनऊ में कुछ काम है, वहां जाना है। वहां से 10 मई को मामा की पुत्री की शादी में शामिल होने के लिए गांव बीरमपुर, थाना केराकत आया था।

शादी में शिरकत करने के बाद 11 मई को फिर लखनऊ चला गया, उसके बाद परिवार में किसी से संपर्क नहीं हुआ। उसकी मां निर्मला ने बताया कि 15 मई को जब वह मायके गई थीं, तभी विजय का फोन आया था, उसके बाद मोबाइल फोन बंद बताता रहा।

बीकॉम पास विजय पर 2016 में लगा था पॉक्सो एक्ट
विजय ने 2012 में हाईस्कूल की परीक्षा पास की थी। उसके बाद जौनपुर से इंटर और यहीं के मो. हसन पीजी कॉलेज से बीकॉम किया है। उस समय विजय के पिता श्याम की देवगांव आजमगढ़ में मिठाई की दुकान थी। दुकान पर विजय भी कभी कभार जाता था। वहीं पर किसी किशोरी से संपर्क हो गया और दोनों भाग गए।

किशोरी के परिजनों की तहरीर पर देवगांव थाने में ही पॉक्सो एक्ट का मुकदमा दर्ज हुआ, करीब तीन माह के बाद मुंबई से पुलिस ने दोनों को बरामद किया। उसके बाद उसे हवालात में रखा गया। विजय की मां निर्मला ने बताया उस मामले में करीब छह माह बाद वह घर आया था। अब सुलह हो चुकी है।

कोई बड़ा आपराधिक रिकॉर्ड नहीं
सीओ केराकत गौरव शर्मा ने कहा कि अभी तक विजय यादव के खिलाफ दो मुकदमे सामने आए हैं। पहला, आजमगढ़ के देवगांव में पॉक्सो एक्ट और दूसरा, 2020 में महामारी एक्ट के तहत केराकत में दर्ज किया गया था। फिलहाल कोई बड़ा आपराधिक रिकॉर्ड सामने नहीं आया है। लखनऊ की टीम पूछताछ कर रही है। वहां से यदि कोई इनपुट मिलता है तो उसी के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।