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मणिपुर हिंसा के बीच फिर उठी विभाजन की मांग, मुख्यमंत्री ने कहा- वह राज्य को विभाजित नहीं होने देंगे!

मणिपुर में पिछले दो महीने से जारी जातीय हिंसा के बीच मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा है कि वह राज्य को विभाजित नहीं होने देंगे।

मणिपुर में बीते 3 मई को जातीय हिंसा बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति के दर्जे की मांग के कारण भड़की थी जिसे पहाड़ी जनजातियां अपने अधिकारों पर अतिक्रमण के रूप में देखती हैं।

इस​ हिंसा के बाद सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी सहित प्रदर्शनकारी कुकी विधायकों और आदिवासी संगठन अब अलग प्रशासन की मांग कर रहे हैं।

यह मुद्दा तब फिर उभर गया था, जब मणिपुर हाईकोर्ट ने बीते 27 मार्च को राज्य की भाजपा नेतृत्व वाली एन. बीरेन सिंह सरकार को निर्देश दिया था कि वह मेईतेई समुदाय को एसटी में शामिल करने के संबंध में केंद्र को एक सिफारिश सौंपे।

मणिपुर में मेईतेई समुदाय आबादी का लगभग 53 प्रतिशत है और ज़्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। आदिवासी, जिनमें नगा और कुकी शामिल हैं, आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं, जो घाटी इलाके के चारों ओर स्थित हैं।

एसटी का दर्जा मिलने से मेईतेई सार्वजनिक नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण के हक़दार होंगे और उन्हें वन भूमि तक पहुंच प्राप्त होगी लेकिन राज्य के मौजूदा आदिवासी समुदायों को डर है कि इससे उनके लिए उपलब्ध आरक्षण कम हो जाएगा और सदियों से वे जिन जमीनों पर रहते आए हैं, वे खतरे में पड़ जाएंगी।

ऐसा माना जाता है कि हाईकोर्ट के आदेश से मणिपुर के गैर-मेईतेई निवासी, जो पहले से ही अनुसूचित जनजातियों की सूची में हैं, चिंतित हो गए, जिसके परिणामस्वरूप 3 मई को आदिवासी संगठनों द्वारा निकाले गए निकाले गए एक विरोध मार्च के दौरान जातीय हिंसा भड़क उठी।

बीते 17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हाईकोर्ट द्वारा राज्य सरकार को अनुसूचित जनजातियों की सूची में मेईतेई समुदाय को शामिल करने पर विचार करने के निर्देश के ख़िलाफ़ ‘कड़ी टिप्पणी’ की थी। शीर्ष अदालत ने इस आदेश को तथ्यात्मक रूप से पूरी तरह गलत बताया था।

इससे पहले बीते 8 मई को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में हुई हिंसा को एक ‘मानवीय समस्या’ बताया था। अदालत ने कहा था कि किसी समुदाय को अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के रूप में नामित करने की शक्ति हाईकोर्ट के पास नहीं, बल्कि राष्ट्रपति के पास होती है।