उत्तर प्रदेश राज्य

UP Nikay Chunav 2023 : भाजपा ने यूपी निकाय चुनाव में 395 मुसलमान उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है : रिपोर्ट

भाजपा ने यूपी निकाय चुनाव में 395 मुसलमान उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस सोच के अनुरूप माना जा रहा है, जिसमें उन्होंने पार्टी की हैदराबाद राष्ट्रीय कार्यकारिणी में मुस्लिम समुदाय के करीब जाने की बात कही थी। भाजपा का दावा है कि वह मुसलमानों के बीच फैलाए गए भ्रम को दूर करने में कामयाब रही है। यही कारण है कि मुस्लिम मतदाताओं के बीच उसकी पहुंच लगातार बढ़ रही है। चूंकि, भाजपा अगले लोकसभा चुनाव में यूपी की सभी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही है, यह लक्ष्य मुसलमान मतदाताओं के सहयोग के बिना संभव नहीं हो सकता। यह भी माना जा रहा है कि यदि भाजपा मुसलमानों के एक वर्ग का वोट हासिल करने में सफल रहती है, तो यूपी में नए राजनीतिक समीकरण पैदा होंगे, जो दूरगामी परिणाम पैदा करेंगे। लेकिन क्या ऐसा होगा?


Parvez Ahmad
@parvezahmadj
नगर निगम, पालिका परिषद , नगर पंचायत में निर्विरोध जीतने 77 भाग्यशालियों में 13 मुसलमान और इनमें से 12 निर्दल और एक भाजपा का है . 11 अन्य निर्दल भी विजयी घोषित ! सपा, बसपा , कांग्रेस का कोई उम्मीदवार निर्दल नहीं जीता !!

जिस समय भाजपा ज्यादा उम्मीदवारों को टिकट देने पर अपनी पीठ थपथपा रही है, उसी समय उसने कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण समाप्त करने का वादा किया है। अतीक अहमद हत्याकांड को लेकर भी मुस्लिम समुदाय में संकोच की भावना देखी जा रही है। भाजपा के साथ-साथ उसकी सहयोगी संस्थाओं के नेताओं के बयान भी मुसलमानों के मन में उसके लिए संदेह पैदा कर रहे हैं। विपक्षी खेमे के हमलों के कारण यह संदेह और ज्यादा गहरा हो रहा है। ऐसे में क्या केवल मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारने से मुसलमान उसके करीब आ जाएंगे?

Vinod Kumar Dixit INC
@VinodKu51806624
BJP ने उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव में 395 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिए
ज्यादातर उम्मीदवार पसमांदा यानी पिछड़ी जातियों के हैं ,
उधर कर्नाटक में भाजपा कह रही है कि हमें मुस्लिमों का वोट नहीं चाहिए तो उत्तर प्रदेश के मुसलमान यूपी निकाय चुनाव में भी भाजपा को वोट क्यों दे

कम हो रही दूरी

उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन डॉ. इफ्तेखार अहमद जावेद ने अमर उजाला से कहा कि सच्चाई यही है कि अब तक विभिन्न दलों के द्वारा मुसलमानों को भाजपा का डर दिखाया जाता था। उन्हें बताया जाता था कि यदि भाजपा सत्ता में आती है, तो वे संकट में पड़ जाएंगे। लेकिन केंद्र में प्रधानमंत्री मोदी की सरकार आए नौ साल बीत चुके हैं। उत्तर प्रदेश में भी योगी आदित्यनाथ की सरकार आए छह साल से ज्यादा समय हो चुका है। इस बीच मुसलमानों ने अनुभव किया है कि भाजपा सरकारों में उनके हितों के साथ कोई समझौता नहीं किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि केंद्र-राज्य की योजनाओं के सबसे बड़े लाभार्थी मुसलमान ही हैं। केवल 20 फीसदी के लगभग आबादी होने के बाद भी मुसलमान केंद्र-राज्य की योजनाओं में 30 से 40 फीसदी तक की हिस्सेदारी प्राप्त कर रहे हैं। इस कदम ने उनके इस विश्वास को मजबूत करने का काम किया है कि भाजपा सरकार उनके साथ धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं कर रही है।

DD News UP
@DDNewsUP
🔹निकाय चुनाव में उम्मीदवार बनाए जाने पर अल्पसंख्यक वर्ग के पसमांदा मुसलमान प्रत्याशियों द्वारा भाजपा और प्रधानमंत्री तथा मुख्यमंत्री का आभार जताया है
🔹लखनऊ से दो शिया समुदाय के प्रत्याशियों को टिकट दिया , जबकि बरेली से 8 पसमंदा मुसलमानों को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है

डॉ. इफ्तेखार अहमद जावेद ने कहा कि भारी संख्या में टिकट देकर भाजपा ने उन आलोचकों का मुंह बंद कर दिया है, जो यह कहते थे कि वह उनके वोट तो लेना चाहती है, लेकिन उन्हें सत्ता की भागीदारी नहीं देना चाहती। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे शिक्षा बढ़ेगी, मुसलमानों के बीच फैलाया गया भ्रम दूर होगा और वे अपनी पसंद के अनुसार अपने लिए नेताओं और राजनीतिक दलों का चयन करेंगे।

मुसलमानों में आशंका

फतवा ऑन मोबाइल सर्विस (देवबंद) के चेयरमैन मुफ्ती अरशद फारुकी ने अमर उजाला से कहा कि एक राजनीतिक दल होने के कारण यदि मुसलमान उम्मीदवारों को टिकट देकर भाजपा उनके करीब जाना चाहती है, तो इसमें कोई बुराई नहीं है। मुसलमान भी सत्ताधारी दल के करीब जाकर देश के विकास में अपनी भागीदारी निभाना चाहते हैं। लेकिन पार्टी ने जिन उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, उनकी छवि को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। यदि वे उम्मीदवार मुस्लिम समुदाय में स्वीकार्य हैं, तो इसे सकारात्मक कदम के रूप में देखा जाना चाहिए।

लेकिन मुफ्ती अरशद फारुकी का मानना है कि मुसलमान केवल भाजपा की उम्मीदवारों की सूची नहीं देख रहा है, बल्कि वह पार्टी की उन नीतियों पर भी दृष्टि लगाए हुए है, जिसके माध्यम से पार्टी देश चलाना चाहती है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम देशों के संगठनों की राय देखकर यही लगता है कि उनके मन में मुसलमानों को लेकर किए जा रहे व्यवहार पर चिंता है। यदि भाजपा अपनी नीतियों में मुसलमान समुदाय के लोगों की सुरक्षा और विकास सुनिश्चित करे, तो मुसलमान भाजपा के करीब जा सकते हैं, लेकिन फिलहाल उन्हें ऐसा होता दिखाई नहीं पड़ रहा है।

भाजपा का दावा

उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि उनकी पार्टी ने 395 मुसलमान उम्मीदवारों को निकाय चुनाव में टिकट दिया है। उम्मीदवारों का चयन जिताऊ, साफ-स्वच्छ छवि और जनता के बीच लोकप्रिय होने के आधार पर किया गया है। भाजपा ने विधान परिषद में भी अन्य सभी राजनीतिक दलों से ज्यादा चार मुसलमानों को विधान परिषद में पहुंचाकर यह साबित किया है कि जहां जीत-हार की बात नहीं होती, वहां भी भाजपा प्राथमिकता के आधार पर मुसलमानों को आगे बढ़ाने का काम कर रही है। इन चार विधान परिषद सदस्यों में से एक को योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री भी बनाया गया है।

राकेश त्रिपाठी ने कहा कि मुसलमानों को केंद्र सरकार की सभी योजनाओं का लाभ उनकी आबादी के अनुपात से ज्यादा दिया जा रहा है। इससे यह साबित होता है कि भाजपा सरकार लोगों की सहायता उनकी पात्रता के अनुसार कर रही है, इसमें जाति-धर्म के आधार पर कोई भेद नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इससे परेशानी केवल उन राजनीतिक दलों को हो रही है, जो केवल भाजपा का डर दिखाकर अब तक मुसलमानों का वोट लेते आए थे, लेकिन सत्ता में आने के बाद उनके लिए कुछ नहीं करते थे।

उन्होंने कहा कि अब समय बदल चुका है और इसके साथ ही राजनीति भी बदल चुकी है। अब केवल भ्रम में डालने की राजनीति सफल नहीं होगी, जो जनता के लिए काम करेगा, वही जनता का समर्थन पाएगा। भाजपा यही काम कर रही है और इसका प्रमाण भाजपा को लगातार बढ़ते जनसमर्थन के रूप में दिखाई पड़ रहा है।

– अमित शर्मा