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Video:पूर्व साँसद शहाबुद्दीन को तिहाड़ की काल कोठरी में ड़ाला-15 किलो वजन हुआ कम,सेहत की जताई चिंता

नई दिल्ली: तिहाड़ जेल में बंद 80 विचाराधीन कैदी पिछले तीन दिन से बेमियादी भूख हड़ताल पर हैं. इन कैदियों में आरजेडी के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन भी शामिल हैं. यह सभी हाई रिस्क वार्ड के कैदी हैं जो तिहाड़ जेल और मंडोली जेल में बंद हैं.शहाबुद्दीन का आरोप है कि छोटा राजन को जेल के अंदर टीवी, किताबें और बाकी सुविधाएं दी जा रही हैं, मगर उन्हें सामान्य सुविधाएं भी हासिल नहीं हैं. इस संबंध में शहाबुद्दीन की ओर हाईकोर्ट में एक याचिका भी दाखिल की गई है, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने तिहाड़ जेल के सुपरिटेंडेंट को नोटिस जारी कर दिया है और 27 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने को कहा है।

सूत्रों के मुताबिक नीरज बबानिया, शहाबुद्दीन और छोटा राजन तीनों दो नंबर हाई रिस्क वार्ड में बंद हैं. नीरज और शहाबुद्दीन का आरोप है कि छोटा राजन को बैरक के अंदर तमाम तरह की सुविधाएं दी जा रही हैं. यही कारण है कि शहाबुद्दीन ने भूख हड़ताल शुरू कर दी हैं. हालांकि 80 कैदियों के भूख हड़ताल पर तिहाड़ ने चुप्पी साधी हुई है.आरजेडी के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन ने दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में कहा है कि उन्हें पिछले 13 महीने से तिहाड़ जेल के ऐसे हिस्से में रखा गया है, जहां न ही रोशनी आती है और न ही हवा।

शहाबुद्दीन ने कहा कि उन्हें एकांत कारावास में रखा गया है. साथ ही अपनी याचिका में उन्होंने यह भी कहा है कि जबसे वह तिहाड़ जेल में शिफ्ट हुए हैं, तब से उनका वजन 15 किलो घट गया है. शहाबुद्दीन ने कहा कि अगर हालात यही रहे तो उन्हें गंभीर बीमारियां हो सकती हैं.उन्होंने मांग की है कि उन्हें एकांत कारावास से निकालकर आम कैदियों की तरह रखा जाए. दरअसल सुप्रीम कोर्ट पिछले साल 15 फरवरी को करीब 45 आपराधिक मामलों का सामना कर रहे मोहम्मद शहाबुद्दीन को बिहार के सीवान जेल से एक तिहाड़ जेल शिफ्ट करने का आदेश दिया था।

बता दें कि शहाबुद्दीन पर करीब 45 आपराधिक मामले दर्ज हैं. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 15 फरवरी को शहाबुद्दीन को बिहार की सीवान जेल से तिहाड़ जेल में शिफ्ट करने का आदेश दिया था. दो अलग-अलग घटनाओं में अपने तीन बेटे गंवा चुके चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू और आशा रंजन ने याचिका दायर कर राजद नेता को तिहाड़ जेल में रखने का आग्रह किया था. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया था.