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Video:शहीद हाफ़िज़ क़ुरआन बच्चे को जब क़ब्र में उतारने लगे उसने अपने बाप का हाथ पकड़ लिये

नई दिल्ली:अफगानिस्तान के कुंदुज में दश्त ए अरची में एक मदरसे में जलसा ए दस्तारबंदी के मौके पर किये गए हवाई हमलों में 100 के लगभग मासूम बच्चे शहीद हुए हैं जबकि इसके अलावा दर्जनों की संख्या में उलेमा और आम नागरिक भी शहीद हुए हैं।

अफ़ग़ानिस्तान में इस हमले की गूंज और दर्द पूरी दुनिया मे महसूस होरहा है,हर किसी की आँखे इन मासूमों की शहादत पर रोरही हैं,जो भी तस्वीरों को देखता है उसका कलेजा फटने लगता है और तड़प जाता है।

जब इन शहीदों में से एक बच्चे को क़ब्र में उतारा जाने लगा और उसके कफ़न को खोला गया तो उसके पास कब्र के किनारे बैठे उसके बाप ने जैसे ही उसे उठाया तो उसने बाप का हाथ पकड़ लिया,जिसके बाद वहाँ पर मौजूद तमाम लोग तड़पने लगते हैं और रोने लगते हैं,

बाप अपने शहीद बच्चे को तड़पते हुए रोते हुए क़ब्र में उतारता है,इस्लामिक शिक्षा और मान्यताओं के अनुसार जिनको शहादत की मौत नसीब होती है उनका कफ़न कभी मेला नही होता और न ज़मीन कभी उनके जिस्म को कोई नुकसान पहुँचाती है बलिक वो हमेशा सही सलामत अपनी क़ब्रों में क़यामत तक महफूज़ रहेंगेेऔर क़ुरआन में भी आया है कि जो लोग अल्लाह के रास्ते में शहीद होगए हैं उनको मरा हुआ न कहो क्योंकि वो अल्लाह के यहाँ ज़िंदा रहते हैं।

अफ़ग़ानिस्तान के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद रदमनिश ने अल जजीरा को बताया कि हवाई हमले का उद्देश्य “शीर्ष तालिबान कमांडरों” के लिए था।

‘मैं आतंकवादी नहीं हूं’

साक्षियों ने अल जजीरा को बताया कि इस सभा में “बहुत से नागरिकों” और हमले में मारे गए लोगों के परिवार “तबाह हो गए” हैं।

हमले के साक्षी मोहम्मद अब्दुल हक ने अल जजीरा को बताया, “समारोह में 11 या 12 वर्ष के नन्हें मासूम बच्चे थे जिन्होंने क़ुरआन पाक हिफ़्ज़ किया था जिस पर उन्हें मदरसे में दस्तार और पुरुस्कार दिया गया था।

माँए अपने बच्चों की मौत के लिए अस्पताल के बाहर रो रही है उनकी तड़प और बिलकना देखकर हर देखने वाली की आंख में आँसू आरहे है,अन्य गवाहों ने अल जजीरा को बताया कि हमले में 100 से ज्यादा लोग मारे गए थे।

स्थानीय नागरिकों ने बताया कि “मैं अपने खेत में काम कर रहा था जब मैंने हेलीकॉप्टर और जेट्स को मदरसे (धार्मिक स्कूल) पर बमबारी करते हुए सुना था जहां नये हाफ़िज़ क़ुरआन (जो कुरान के 30 अध्यायों को याद करते हैं) की दस्तारबंदी होरही थी ।
स्थानीय नागरिक ने बताया कि “तालिबान इस क्षेत्र में सक्रिय हैं, लेकिन इस समारोह ज्यादातर मासूम बच्चे और युवा लड़के शामिल थे”यह एक आपदा थी हर जगह खून ही खून था

तालिबान ने अल जज़ीरा को भेजे गए प्रेस रिलीज़ में कहा है कि हमला के दौरान कोई भी सैनिक मौजूद नहीं थे, जबकि हवाई हमले करीब 150 इस्लामिक स्कॉलर,मौलाना,मुफ़्ती,हाफ़िज़,शहीद हुए हैं और इनमें ज्यादातर संख्या उन मासूम बच्चों की है जिहोने हिफ़्ज़ क़ुरआन मुक्कमल किया था।

हवाई हमलों के कारण शहीद हुए मासूम बच्चों ने तो अभी सही से दुनिया को देखा भी नही था लेकिन शैतान की औलाद ने उनको मौत की नीँद तो सुला दिया है लेकिन वो हमेशा हमेश के लिये अमर होगए हैं।