नई दिल्ली:अफगानिस्तान के कुंदुज में दश्त ए अरची में एक मदरसे में जलसा ए दस्तारबंदी के मौके पर किये गए हवाई हमलों में 100 के लगभग मासूम बच्चे शहीद हुए हैं जबकि इसके अलावा दर्जनों की संख्या में उलेमा और आम नागरिक भी शहीद हुए हैं।
अफ़ग़ानिस्तान में इस हमले की गूंज और दर्द पूरी दुनिया मे महसूस होरहा है,हर किसी की आँखे इन मासूमों की शहादत पर रोरही हैं,जो भी तस्वीरों को देखता है उसका कलेजा फटने लगता है और तड़प जाता है।
जब इन शहीदों में से एक बच्चे को क़ब्र में उतारा जाने लगा और उसके कफ़न को खोला गया तो उसके पास कब्र के किनारे बैठे उसके बाप ने जैसे ही उसे उठाया तो उसने बाप का हाथ पकड़ लिया,जिसके बाद वहाँ पर मौजूद तमाम लोग तड़पने लगते हैं और रोने लगते हैं,
बाप अपने शहीद बच्चे को तड़पते हुए रोते हुए क़ब्र में उतारता है,इस्लामिक शिक्षा और मान्यताओं के अनुसार जिनको शहादत की मौत नसीब होती है उनका कफ़न कभी मेला नही होता और न ज़मीन कभी उनके जिस्म को कोई नुकसान पहुँचाती है बलिक वो हमेशा सही सलामत अपनी क़ब्रों में क़यामत तक महफूज़ रहेंगेेऔर क़ुरआन में भी आया है कि जो लोग अल्लाह के रास्ते में शहीद होगए हैं उनको मरा हुआ न कहो क्योंकि वो अल्लाह के यहाँ ज़िंदा रहते हैं।
'Not a terrorist': Civilians – mostly children- killed in Afghan air attack in #Kunduz. Officials say there were Taliban fighters in the gathering, many ask, how were children killed?
My latest for @AJEnglish on this tragic story https://t.co/Q4KI2UiE77— Shereena Qazi (@ShereenaQazi) April 3, 2018
अफ़ग़ानिस्तान के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद रदमनिश ने अल जजीरा को बताया कि हवाई हमले का उद्देश्य “शीर्ष तालिबान कमांडरों” के लिए था।
‘मैं आतंकवादी नहीं हूं’
साक्षियों ने अल जजीरा को बताया कि इस सभा में “बहुत से नागरिकों” और हमले में मारे गए लोगों के परिवार “तबाह हो गए” हैं।
हमले के साक्षी मोहम्मद अब्दुल हक ने अल जजीरा को बताया, “समारोह में 11 या 12 वर्ष के नन्हें मासूम बच्चे थे जिन्होंने क़ुरआन पाक हिफ़्ज़ किया था जिस पर उन्हें मदरसे में दस्तार और पुरुस्कार दिया गया था।
माँए अपने बच्चों की मौत के लिए अस्पताल के बाहर रो रही है उनकी तड़प और बिलकना देखकर हर देखने वाली की आंख में आँसू आरहे है,अन्य गवाहों ने अल जजीरा को बताया कि हमले में 100 से ज्यादा लोग मारे गए थे।
स्थानीय नागरिकों ने बताया कि “मैं अपने खेत में काम कर रहा था जब मैंने हेलीकॉप्टर और जेट्स को मदरसे (धार्मिक स्कूल) पर बमबारी करते हुए सुना था जहां नये हाफ़िज़ क़ुरआन (जो कुरान के 30 अध्यायों को याद करते हैं) की दस्तारबंदी होरही थी ।
स्थानीय नागरिक ने बताया कि “तालिबान इस क्षेत्र में सक्रिय हैं, लेकिन इस समारोह ज्यादातर मासूम बच्चे और युवा लड़के शामिल थे”यह एक आपदा थी हर जगह खून ही खून था
Video footage from #KunduzMassacre
The Afghan Airforce killed 70+ (figure by New york times) in airstrikes on a mosque/madrassah in Dasht-e-Archi district of Kunduz. 1000s were present at the time to attend the graduation ceremony of their children/relatives #Afghanistan pic.twitter.com/fcNYzNcPMx
— Asfandyar Bhittani (@BhittaniKhannnn) April 3, 2018
तालिबान ने अल जज़ीरा को भेजे गए प्रेस रिलीज़ में कहा है कि हमला के दौरान कोई भी सैनिक मौजूद नहीं थे, जबकि हवाई हमले करीब 150 इस्लामिक स्कॉलर,मौलाना,मुफ़्ती,हाफ़िज़,शहीद हुए हैं और इनमें ज्यादातर संख्या उन मासूम बच्चों की है जिहोने हिफ़्ज़ क़ुरआन मुक्कमल किया था।
#ThankyouJinnah for Pakistan! Thank you for not throwing us to the afghan wolves. #Kunduz #PakistanZindabadMovement pic.twitter.com/lHJguWtKWD
— Asfandyar Bhittani (@BhittaniKhannnn) April 3, 2018
हवाई हमलों के कारण शहीद हुए मासूम बच्चों ने तो अभी सही से दुनिया को देखा भी नही था लेकिन शैतान की औलाद ने उनको मौत की नीँद तो सुला दिया है लेकिन वो हमेशा हमेश के लिये अमर होगए हैं।